नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोविड-19 रोधी टीकाकरण के वास्ते 'कोविन' (CoWIN) मंच पर पंजीकरण करने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की एक पीठ को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बताया कि टीकाकरण के लिए पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, मतदान कार्ड, राशन कार्ड सहित नौ पहचान दस्तावेजों में से एक का ही होना अनिवार्य है.
शीर्ष अदालत ने इस कथन पर गौर किया और सिद्धार्थशंकर शर्मा की याचिका का निपटारा किया. याचिका में दावा किया गया था कि ‘कोविन’ मंच पर कोविड-19 रोधी टीकाकरण के लिए पंजीकृत कराने के लिए आधार कार्ड पर अनिवार्य रूप से जोर दिया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने इस याचिका के संबंध में एक अक्टूबर 2021 को केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था.
पीठ ने कहा, 'एक अक्टूबर, 2021 के इस अदालत के आदेश के अनुसार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि 'कोविन' मंच पर पंजीकरण के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है और नौ पहचान दस्तावेजों में से किसी एक को भी इसके लिए इस्तेमाल किया जा सकता है....हलफनामे में यह भी कहा गया कि अन्य श्रेणी के लोगों के लिए प्रावधान किया गया है, जिनके पास पहचान पत्र नहीं हो सकते हैं जैसे जेल के कैदी, मानसिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लोग आदि.'
अदालत ने कहा, 'केंद्र के अधिवक्ता ने बताया है कि बिना पहचान पत्र वाले लगभग 87 लाख लोगों को टीके लगाए गए हैं. याचिकाकर्ता की शिकायत है कि उसे आधार कार्ड नहीं होने के कारण टीकाकरण से वंचित कर दिया गया था, इस समस्या का भी हलफनामे में निपटारा किया गया है.'
स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) को संबंधित निजी टीकाकरण केन्द्र के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक पत्र भेजा गया है, जिसने वैध पासपोर्ट आईडी होने के बावजूद याचिकाकर्ता को टीका लगाने से इनकार कर दिया था. याचिकाकर्ता की शिकायत का विधिवत निपटारा किया जाता है. सभी संबंधित अधिकारी सरकार की नीति के अनुसार कार्य करें. याचिका में भारत के नागरिक को दिए गए टीकाकरण के अधिकार की सुरक्षा के लिए पूरे देश में पहले से ही अधिसूचित नियमों/नीतियों को प्रभावी और गैर-भेदभावपूर्ण तरीके से लागू करने का अनुरोध किया गया था.