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मां की गुहार, मेरे बेटे को दो इच्छा मृत्यु, बच्चे ने ली अंतिम सांस जानिये कैसे - कोर्ट से लौट रही मां के हाथों में बच्चे ने तोड़ा दम

आंध्र प्रदेश के चित्तौड़ जिले के पुवगनुरु में एक दुखद घटना घटी. इसमें एक मां अपने बेटे के लिए जज से इच्छा मृत्यु (mercy killing) मांगने के लिए उसे स्थानीय अदालत ले गई थी. कोर्ट के लौटने के दौरान बेटे ने मां के हाथों में ही प्राण त्याग दिए.

बच्चे ने तोड़ा दम
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Published : Jun 1, 2021, 6:52 PM IST

Updated : Jun 1, 2021, 7:54 PM IST

अमरावती : आंध्र प्रदेश के चित्तौड़ जिले के पुवगनुरु में एक दुखद घटना घटी. इसमें एक मां अपने बेटे के लिए जज से इच्छा मृत्यु (mercy killing) मांगने के लिए उसे स्थानीय अदालत ले गई थी. लेकिन अदालत से लौटते समय उसके बेटे ने मां के हाथों में ही प्राण त्याग दिए.

चित्तूर जिले के चौदेपल्ली मंडल के बिरजेपल्ली के मणि और अरुणा का नौ साल का बेटा हर्षवर्धन पांच साल से रक्त संबंधी एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा था. पांच साल पहले जब वह स्कूल में था, उस समय हुई दुर्घटना के समय उसकी बीमारी के बारे में पता चला था.

हालांकि हर्षवर्धन के माता-पिता ने बेटे की बीमारी को ठीक कराने के लिए कई अस्पतालों में गए, लेकिन वह ठीक नहीं हो सका. इतना ही नहीं इलाज कराने के लिए उसके माता-पिता ने कर्ज भी लिया था. बच्चे को देखने के बाद डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताई थी. पिता ने अपने बेटे की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन मां अरणा ने अपने बेटे के लिए संघर्ष जारी रखा. उसने हर संभव कोशिश की जिससे उसका बच्चा बस सके.

पढ़ें - गाजीपुर बॉर्डर पर आंधी से उखड़े किसानों के रैन बसेरे, हाईवे ब्रिज के नीचे ली शरण

परेशान होकर हर्षवर्धन की मां दो दिनों से पुंगनूर कोर्ट में गुहार लगा रही थी कि सरकार उसके बेटे को इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए.

इस पर बच्चे की मां अरुणा का कोर्ट से कहना था कि मैं अपने बच्चे को पीड़ित नहीं देख सकती. बेटा जहां शारीरिक रुप से परेशान है वहीं हम लोग मानसिक रूप से परेशान हैं. आपको खुद कुछ करना होगा. आप अन्य लोगों के प्रति सहायता प्रदान करते हैं, ऐसे में मेरे साथ भेदभावपूर्ण होगा. इसके लिए इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए. अंतत: परेशान माता-पिता अपने बेटे को लेकर कोर्ट से वापस घर आ रह थे, इसी दौरान बेटे की मौत हो गई.

अमरावती : आंध्र प्रदेश के चित्तौड़ जिले के पुवगनुरु में एक दुखद घटना घटी. इसमें एक मां अपने बेटे के लिए जज से इच्छा मृत्यु (mercy killing) मांगने के लिए उसे स्थानीय अदालत ले गई थी. लेकिन अदालत से लौटते समय उसके बेटे ने मां के हाथों में ही प्राण त्याग दिए.

चित्तूर जिले के चौदेपल्ली मंडल के बिरजेपल्ली के मणि और अरुणा का नौ साल का बेटा हर्षवर्धन पांच साल से रक्त संबंधी एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा था. पांच साल पहले जब वह स्कूल में था, उस समय हुई दुर्घटना के समय उसकी बीमारी के बारे में पता चला था.

हालांकि हर्षवर्धन के माता-पिता ने बेटे की बीमारी को ठीक कराने के लिए कई अस्पतालों में गए, लेकिन वह ठीक नहीं हो सका. इतना ही नहीं इलाज कराने के लिए उसके माता-पिता ने कर्ज भी लिया था. बच्चे को देखने के बाद डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताई थी. पिता ने अपने बेटे की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन मां अरणा ने अपने बेटे के लिए संघर्ष जारी रखा. उसने हर संभव कोशिश की जिससे उसका बच्चा बस सके.

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परेशान होकर हर्षवर्धन की मां दो दिनों से पुंगनूर कोर्ट में गुहार लगा रही थी कि सरकार उसके बेटे को इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए.

इस पर बच्चे की मां अरुणा का कोर्ट से कहना था कि मैं अपने बच्चे को पीड़ित नहीं देख सकती. बेटा जहां शारीरिक रुप से परेशान है वहीं हम लोग मानसिक रूप से परेशान हैं. आपको खुद कुछ करना होगा. आप अन्य लोगों के प्रति सहायता प्रदान करते हैं, ऐसे में मेरे साथ भेदभावपूर्ण होगा. इसके लिए इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए. अंतत: परेशान माता-पिता अपने बेटे को लेकर कोर्ट से वापस घर आ रह थे, इसी दौरान बेटे की मौत हो गई.

Last Updated : Jun 1, 2021, 7:54 PM IST
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