कन्नूर : केरल के एर्नाकुलम की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) बेसहरा बच्चों के लिए काम करती है, लेकिन अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी उठाने वाली इस कमेटी की लापरवाही का खामियाजा एक 14 वर्षीय नाबालिग को भुगतना पड़ा.
एर्नाकुलम की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी वैसे तो बेसहरा बच्चों को सहारा देती है. इसके साथ ही कई बार कमेटी मासूमों को एक नए परिवार में शामिल होने का मौका भी देती है. ऐसे में परिवार को औलाद और मासूमों को माता-पिता का प्यार मिल जाता है, लेकिन इन सबके बीच कमेटी से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने कमेटी पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
दरअसल, एक परिवार ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी से एक 14 वर्षीय नाबालिग को गोद लिया था. कुछ समय बाद ये बात सामने आई की गोद ली हुई नाबालिग के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया. बच्ची के साथ हुए शोषण मामले में पुलिस ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी पर भी कई सवाल खड़े किए हैं. पुलिस के मुताबिक, परिवार को बच्ची सौंपने से पहले कमेटी ने गोद ले रहे परिवार के बारे में जानना जरूरी नहीं समझा, इसके साथ ही आवश्यक पृष्ठभूमि की भी जांच नहीं की.
कमेटी की इन सभी लापरवाहियों का नतीजा 14 वर्षीय नाबालिग को भुगतना पड़ा. अपनी जिम्मेदारियों का सही से निर्वाह नहीं करने के चलते आज कमेटी शक के घेरे में है. कमेटी के मुताबिक, आरोपी ने बच्चे को गोद लेते समय गलत जानकारी दी थी कि उसने पहले भी दो बार शादी की है और उनके बच्चे साथ ही रहते हैं.
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पुलिस ने इस मामले में बीते शनिवार सी.जी. शशिकुमार (पालक पिता) को गिरफ्तार किया था. शशिकुमार पर गोद ली गई 14 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने का आरोप है. मामले में शशिकुमार की पत्नी को अपराध में पति की मदद करने और मामले को छिपाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
बता दें कि आरोपी ने पीड़िता को 2016 में कक्कानाड के एक बाल संरक्षण केंद्र से गोद लिया था, जहां उसे अपने माता-पिता को खोने के बाद से रखा गया था.
यौन शोषण मामले में काउंसलिंग सत्र के दौरान आरोपी की दूसरी पत्नी की बच्ची ने चौंकाने वाला खुलासा किया. बच्ची ने चाइल्ड काउंसलर को बताया कि पिता (शशिकुमार) ने छुट्टियों के दौरान मेरी बहन (गोद ली गई नाबालिग) के साथ दुर्व्यवहार किया था. ये बात सामने आई है कि आरोपी पिता द्वारा नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया गया और उसके बाद गर्भपात करवाया गया.
वहीं, पीड़िता की मेडिकल जांच में दुष्कर्म और गर्भपात की पुष्टि हुई है.
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बता दें कि सरकार द्वारा ऐसे परिवार, जो बच्चों को गोद लेते हैं, उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि की जांच के संबंध में कड़े निर्देश दिए गए हैं. जो पालक बच्चों की देखभाल और उन्हें अच्छा जीवन देने के लिए गोद लेते हैं, आवेदन करते हैं, उनकी ठीक तरह से जांच होनी चाहिए. जिला बाल संरक्षण अधिकारी को इस तरह की जांच सौंपी जाती है. वहीं, इस पर पुलिस का कहना है कि कई बार बच्चों को सौंपने से पहले पालक की जांच नहीं की जाती.
केरल की स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने अब बाल विकास विभाग के निदेशक को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की ओर से कथित खामियों के संबंध में एक जांच करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
मंत्री ने कहा, जांच में दोषी पाए जाने पर सीडब्ल्यूसी सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही पीड़ित बच्चे को पूरी देखभाल और उपचार प्रदान करने का भी निर्देश दिया गया है.