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सूरत के इस शख्स ने 58 साल की उम्र में पीएचडी कर बनाया पहले स्वदेशी विमान का डिजाइन - पहला स्वदेशी विमान

सूरत के रहने वाले डॉ. राजन भट्ट ने मेक इन इंडिया परियोजना के तहत विमान का डिजाइन तैयार किया है. एयरक्राफ्ट की डिजाइन तैयार करने में इसरो के एक पूर्व वैज्ञानिक ने भी सहयोग किया है. यह स्वदेशी विमान आने वाले दिनों में सी प्लेन को टक्कर दे सकता है. इसको बनाने के लिए राजन भट्ट ने 58 वर्ष की आयु में पीएचडी भी की.

स्वदेशी विमान
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Published : Dec 14, 2021, 9:34 PM IST

सूरत : भारतीय वायुसेना (India Airforce) के लिए रिफिलिंग सिस्टम (refilling system) बनाने वाली कंपनी ने पहली बार 100 प्रतिशत मेक इन इंडिया (Make in india) परियोजना के तहत विमान का डिजाइन तैयार किया है. इस एयरक्राफ्ट का डिजाइन तैयार करने में इसरो के एक पूर्व वैज्ञानिक ने भी सहयोग किया है. यह स्वदेशी विमान आने वाले दिनों में सी प्लेन को टक्कर दे सकता है. 8 सीटर का वाला यह विमान पानी और जमीन दोनों से उड़ान भर सकता है और लैंडिंग कर सकता है.

विमान विदेशों से आयात करके भारत में असेंबल किए जाते हैं. इस क्षेत्र में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मिराज 2000 और राफेल के लिए रिफिलिंग पार्ट्स बनाने वाली इस कंपनी ने स्वदेशी एयरक्राफ्ट डिज़ाइन किया है. इस एयरक्राफ्ट की डिजाइन तैयार करने वाले डॉ. राजन भट्ट ने 58 वर्ष की आयु में रिसर्च करने के लिए और एकेडमिक सपोर्ट के लिए पीएचडी भी किया.

डॉ. राजन भट्ट ने कहा कि कि हमारी कंपनी पिछले 40 वर्षों से इंजीनियरिंग व्यवसाय में शामिल है. हम मेक इन इंडिया परियोजना के तहत भारतीय वायुसेना के लिए अधिकांश रिफिलिंग सिस्टम का निर्माण करते हैं. इससे पहले हमने मिराज 2000 और राफेल के लिए रिफिलिंग सिस्टम भी उपलब्ध कराया था. हम एयरपोर्ट के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन हमे यह विचार आया कि हम विमान का निर्माण भी कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें- Lakhimpur Kheri: राहुल गांधी ने क्यों कहा 'मोदी जी, फिर से माफी मांगने का टाइम आ गया'

विमान 6 किमी की देता है एवरेज
यह एयरक्राफ्ट 6 किलोमीटर की एवरेज देता है, जोकि अन्य एयरक्राफ्ट से अधिक है, इसमें 200 हार्स पावर का इंजन लगा हुआ है, इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एन एस गुप्ता (NS gupta) ने भी इस एयरक्राफ्ट को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने बताया की लिफ्टिंग बॉडी होने के कारण यह विमान छोटे रनवे से भी उड़ान भर सकता है.विमान के लिए एक छोटा एयरपोर्ट काफी होगा. खासकर पहाड़ी इलाकों में, जहां जमीन की कमी है, वहां पर भी यह विमान आसानी से टेक ऑफ और लैंडिंग कर सकता है.

सूरत : भारतीय वायुसेना (India Airforce) के लिए रिफिलिंग सिस्टम (refilling system) बनाने वाली कंपनी ने पहली बार 100 प्रतिशत मेक इन इंडिया (Make in india) परियोजना के तहत विमान का डिजाइन तैयार किया है. इस एयरक्राफ्ट का डिजाइन तैयार करने में इसरो के एक पूर्व वैज्ञानिक ने भी सहयोग किया है. यह स्वदेशी विमान आने वाले दिनों में सी प्लेन को टक्कर दे सकता है. 8 सीटर का वाला यह विमान पानी और जमीन दोनों से उड़ान भर सकता है और लैंडिंग कर सकता है.

विमान विदेशों से आयात करके भारत में असेंबल किए जाते हैं. इस क्षेत्र में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मिराज 2000 और राफेल के लिए रिफिलिंग पार्ट्स बनाने वाली इस कंपनी ने स्वदेशी एयरक्राफ्ट डिज़ाइन किया है. इस एयरक्राफ्ट की डिजाइन तैयार करने वाले डॉ. राजन भट्ट ने 58 वर्ष की आयु में रिसर्च करने के लिए और एकेडमिक सपोर्ट के लिए पीएचडी भी किया.

डॉ. राजन भट्ट ने कहा कि कि हमारी कंपनी पिछले 40 वर्षों से इंजीनियरिंग व्यवसाय में शामिल है. हम मेक इन इंडिया परियोजना के तहत भारतीय वायुसेना के लिए अधिकांश रिफिलिंग सिस्टम का निर्माण करते हैं. इससे पहले हमने मिराज 2000 और राफेल के लिए रिफिलिंग सिस्टम भी उपलब्ध कराया था. हम एयरपोर्ट के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन हमे यह विचार आया कि हम विमान का निर्माण भी कर सकते हैं.

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विमान 6 किमी की देता है एवरेज
यह एयरक्राफ्ट 6 किलोमीटर की एवरेज देता है, जोकि अन्य एयरक्राफ्ट से अधिक है, इसमें 200 हार्स पावर का इंजन लगा हुआ है, इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एन एस गुप्ता (NS gupta) ने भी इस एयरक्राफ्ट को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने बताया की लिफ्टिंग बॉडी होने के कारण यह विमान छोटे रनवे से भी उड़ान भर सकता है.विमान के लिए एक छोटा एयरपोर्ट काफी होगा. खासकर पहाड़ी इलाकों में, जहां जमीन की कमी है, वहां पर भी यह विमान आसानी से टेक ऑफ और लैंडिंग कर सकता है.

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