भरतपुर. जब तक गाय दूध देती है तब तक उसकी देखभाल की जाती है और उसके बाद लोग उसे सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं. लेकिन लोग गाय को पाल कर सिर्फ उसके गोबर से ही प्रतिमाह 30 हजार रुपए तक कमा सकते हैं. कुछ ऐसा ही अनूठा कार्य कर रही है भरतपुर की प्रगतिशील दंपति. यह दंपति 20 गायों के गोबर से लाखों की कमाई कर रही है. इतना ही नहीं पशुपालक एक गाय पालकर क्या क्या फायदे ले सकता है? इसका भी ये बेहतरीन उदाहरण हैं.
एक गाय के फायदे अनेक : जिले के उच्चैन क्षेत्र के गांव पना निवासी प्रगतिशील किसान और पशुपालक कमल मीणा, उनकी पत्नी बिरमा देवी ने करीब 20 गाय पाल रखी हैं. पशुपालक कमल मीणा ने बताया कि लोग गाय पालने से इसलिए कतरा रहे हैं, क्योंकि वो सोचते हैं इसका खर्चा कैसे निकलेगा. लेकिन पशुपालक चाहे तो एक गाय के गोबर से उत्पाद तैयार कर महीने में 25 से 30 हजार रुपए तक कमा सकता है. इससे गाय का चारे का खर्चा भी निकलेगा और किसान की आमदनी भी होगी. साथ ही खाने पीने को शुद्ध दूध, दही, घी मिलेगा. गोबर के उत्पाद तैयार करने के साथ ही इससे खेतों में खाद का काम भी लिया जा सकता है.
गोबर से कर रहे इतने उत्पाद तैयार : कमल मीणा ने बताया कि वो करीब एक साल से गाय के गोबर के उत्पाद तैयार कर रहे हैं. गाय के गोबर से कई प्रकार के दीपक, दो तरह के गमला, ईंट, हवन सामग्री, लकड़ी जैसे उत्पाद तैयार कर रहे हैं. इन सभी उत्पादों की काफी मांग रहती है. बड़े बड़े मंदिरों से हवन समिधा और अन्य उत्पादों की अच्छी मांग आती है.
दो तरह के दीपक : बिरमा देवी ने बताया कि गाय के गोबर से दो तरह के दीपक तैयार किए जा रहे हैं. इनमें एक दीपक ऐसा है जिसमें सिर्फ बाती ही जलती है और दीपक सुरक्षित बच जाता है. दूसरा दीपक ऐसा है जो बाती जलने के बाद खुद भी जल जाता है और सुगंध फैलाता है. जो दीपक जल जाता है वो पूरी तरह से गोबर से बनता है और दूसरे प्रकार के दीपक में हल्की मिट्टी या प्रीमिक्स मिलाते हैं.
दो तरह के गमले : बिरमा देवी ने बताया कि इसी तरह दो प्रकार के गमले तैयार करते हैं. एक गमला ऐसा है जिसमें पौधा बड़ा होने पर उसे निकलकर पौधा जमीन में लगा सकते हैं और गमले को फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं. दूसरा गमला ऐसा है जिसे पौधा बड़ा होने पर पौधे के साथ ही जमीन में गाढ़ सकते हैं. इससे पौधे को गाय के गोबर का खाद भी मिलता रहता है.
पूजन के उत्पाद : दंपती गाय के गोबर से हवन पूजन के भी कई उत्पाद तैयार कर रही है. इनमें हवन की समिधा. इसमें गाय के गोबर में ही हवन सामग्री मिक्स कर दी जाती है. इसके अलावा एक विशेष प्रकार का छोटा दीपक जैसा उत्पाद भी है जिसमें गुग्गल भरकर उसे पूजन के समय जलाकर वातावरण को सुगंधित किया जा सकता है.
ईको फ्रेंडली ईंट : कमल मीणा ने बताया कि गाय के गोबर में प्रीमिक्स मिलाकर ईंट भी तैयार की जा रही हैं. ये ईको फ्रेंडली हैं. साथ ही काफी मजबूत भी हैं. इनसे मड़ हाउस तैयार किया जा सकता है.
साढ़े सात लाख के दीपक बिके : कमल मीणा ने बताया कि दीपक की दो कीमत रखी गई हैं. छोटा दीपक 2 रुपए का और बड़ा दीपक 3 रुपए का बिकता है. बीते साल दीपावली पर ढाई लाख दीपक की बिक्री हुई थी. जिनसे करीब सात से साढ़े सात लाख रुपए तक की आय हुई. इस बार दीपावली पर दस लाख दीपक तैयार किए जा रहे हैं. कमल मीणा बताते हैं कि बीते साल दीपकों की इतनी डिमांड थी कि घर के लिए भी दीपक नहीं बचे थे.
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कमल मीणा ने बताया कि ये सारे उत्पाद तैयार करने के लिए घर पर ही छोटी-छोटी मशीनें लगाई जा सकती हैं. ये मशीनें भी ज्यादा महंगी नहीं आती. अगर कोई परिवार घर पर ही दीपक बनाने की मशीन लगाए, तो एक मशीन से एक व्यक्ति एक दिन में करीब 1500 दीपक तैयार कर सकता है. इसके अलावा गाय के दूध और घी से भी पशुपालक को से हो सकती है. पशुपालक कमल मीणा का कहना है कि पशुपालकों को गायों को बचाना चाहिए. अगर पशुपालक गाय पालेंगे तो उनके परिवार का खर्च भी आसानी से चलता रहेगा.