प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने धर्म परिवर्तन (Religion change) कर विवाह करने वाली एक युवती और उसके पति को सुरक्षा (Protection of girl and her husband) उपलब्ध कराने का पुलिस को निर्देश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि युवती के इस्लाम धर्म अपनाने और विवाह करने से उसकी आजादी में हस्तक्षेप तब तक प्रासंगिक नहीं होगा, जब तक कि वह जबरदस्ती धर्म परिवर्तन का आरोप ना लगाए.
अदालत ने मुरादाबाद पुलिस (Moradabad Police) को इस दंपती को सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. दंपती का आरोप है कि उनके परिजन उनकी शादीशुदा जिंदगी और आजादी में दखल दे रहे हैं.
याचिका के मुताबिक, याशी देवी (20) ने इस्लाम धर्म (Islam religion) अपनाने के बाद गुच्छन खान (40) के साथ 11 जनवरी 2021 को विवाह किया. यह मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले का है.
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न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का संदर्भ लिया, जिसमें कहा गया है कि यदि दंपती बालिग हैं तो बिना किसी हस्तक्षेप के शांतिपूर्ण तरीके से जीवन जीने का उनका अधिकार है.
अदालत ने निर्देश दिया कि इस मामले में यदि याचिकाकर्ताओं के जीवन को किसी तरह का खतरा लगता है या उनका उत्पीड़न किया जाता है तो मुरादाबाद के एसएसपी से संपर्क कर सकते हैं और इस संबंध में आवश्यक विवरण दे सकते हैं. मुरादाबाद के एसएसपी कानून के मुताबिक, सभी कदम उठाएंगे.
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अदालत ने कहा, यह भी स्पष्ट किया जाता है कि याचिकाकर्ता यदि बालिग हैं तो बगैर शादी के भी वे साथ रहने के हकदार हैं और इसलिए उनके विवाह के प्रमाण की आवश्यकता नहीं होगी तथा संबंधित पुलिस अधिकारी द्वारा इस पर जोर नहीं दिया जाएगा.
(भाषा)