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केदारनाथ आपदा: हजारों लोगों ने गंवाई थी जान, आज भी रोंगटे खड़े कर देती है त्रासदी की यादें

साल 2013 में केदारनाथ धाम में आई विनाशकारी आपदा में लापता हुए लोगों का दर्द आज भी उनके परिजनों के चेहरों पर साफ दिखाई पड़ता है. 9 साल बाद भी इस आपदा के जख्म नहीं भरे हैं. इस आपदा में बड़ी संख्या में यात्री और स्थानीय लोग काल कवलित हो गए. आज तक इन लोगों का पता नहीं चल पाया है. केदारघाटी के अनेक गांवों के साथ ही देश-विदेश से आए तीर्थयात्रियों ने आपदा में जान गंवाई.

केदारनाथ आपदा 2013 , kedarnath floods 2013 anniversary
केदारनाथ आपदा 2013 , kedarnath floods 2013 anniversary
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Published : Jun 16, 2022, 6:28 AM IST

Updated : Jun 16, 2022, 4:10 PM IST

रुद्रप्रयाग/देहरादून: उत्तराखंड के केदारनाथ में आई भयानक आपदा को 9 साल हो गए हैं. साल 2013 में 16 और 17 जून को आई इस आपदा में कम से कम 6000 लोग मारे गए. तब कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश और फिर चौराबाड़ी झील के फटने से राज्य का यह हिस्सा तहस नहस हो गया. अमूमन सौम्य दिखने वाली मंदाकिनी रौद्र रूप में आ गई. असल में मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़े से कहीं अधिक है.

साल 2013 में केदारनाथ धाम में आई विनाशकारी आपदा में लापता हुए लोगों का दर्द आज भी उनके परिजनों के चेहरों पर साफ दिखाई पड़ता है. हालांकि, आपदा के नौ साल गुजर गए हैं, लेकिन इस प्रलयकारी आपदा के जख्म आपदा की बरसी पर फिर से ताजे होते चले जाते हैं. इस भीषण आपदा में अब भी 3,183 लोगों का कोई पता नहीं चल सका है.

16 और 17 जून 2013 की भीषण आपदा में बड़ी संख्या में यात्री और स्थानीय लोग इस आपदा की चपेट में आ गए. आज तक इन लोगों का पता नहीं लग पाया है. केदारघाटी के अनेक गांवों के साथ ही देश-विदेश से आए तीर्थयात्रियों ने आपदा में जान गंवाई. सरकारी आंकड़ों को देखें तो पुलिस के पास आपदा के बाद कुल 1840 एफआईआर दर्ज हुईं. बाद में पुलिस ने सही तफ्तीश करते हुए 1256 एफआईआर को वैध मानते हुए कार्रवाई की. पुलिस के पास 3,886 गुमशुदगी दर्ज हुई. जिसमें से विभिन्न सर्च अभियानों में 703 कंकाल बरामद किए गए.

बड़े पत्थर ने बाबा के मंदिर को किया था सुरक्षित: कहा जाता है मंदिर के ठीक पीछे ऊपर से बहकर आए एक बड़े पत्थर ने बाबा के मंदिर को सुरक्षित कर दिया था. आज उस पत्थर को भीम शिला के नाम से जाना जाता है. इस प्रलय में 2241 होटल, धर्मशाला एवं अन्य भवन पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे. पुलिसकर्मियों ने अपनी जान पर खेलकर करीब 30 हजार लोगों को बचाया था. यात्रा मार्ग एवं केदारघाटी में फंसे 90 हजार से अधिक लोगों को सेना की ओर से सुरक्षित बचाया गया.

केदारनाथ आपदा के वो गहरे जख्म

  1. केदारनाथ आपदा में 4400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए.
  2. 4200 से अधिक गांवों का पूरी तरह से संपर्क टूट गया.
  3. 2141 भवन पूरी तरह से नष्ट हो गए.
  4. जलप्रलय में 1309 हेक्टेयर कृषि भूमि बह गई.
  5. सेना व अर्द्ध सैनिक बलों ने 90 हजार लोगों को रेस्क्यू किया.
  6. 30 हजार लोगों को पुलिस ने बचाए.
  7. 55 नरकंकाल सर्च ऑपरेशन में खोजे गए.
  8. 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगहों पर मारे गए.
  9. 11,000 से अधिक मवेशी बह गए या मलबे में दब गए.
  10. 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई.
  11. 2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया.
  12. 100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए.
  13. 90 हजार यात्रियों को यात्रा मार्गों से सेना ने निकाला.
  14. 30 हजार स्थानीय लोगों को पुलिस ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया.
  15. 9 राष्ट्रीय व 35 स्टेट हाईवे क्षतिग्रस्त हो गए.
  16. 2385 सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा.
  17. 86 मोटर पुल और 172 बड़े व छोटे पुल बह गए.

ये भी पढ़ें: केदारनाथ धाम में यात्रियों के लिए लगे रेन शेल्टर, बारिश और धूप की टेंशन खत्म

मौत का सटीक आंकड़ा आजतक नहीं मिला: आपदा में कितने लोगों की जान गई, इसका भी सटीक आंकड़ा किसी के पास नहीं है, लेकिन हजारों लोगों की मरने की सूचना पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है. इस आपदा में भारत के ही नहीं बल्कि विदेश के लोगों ने भी अपनी जान गंवाई थी. केदारनाथ की प्रलयकारी आपदा (Kedarnath Disaster 2013) के चश्मदीद आज भी उस पल को सोचकर डर जाते हैं.

हेलीकॉप्टर हादसों में 23 लोगों ने गंवाई थी जान: आपदा के बाद केदारनाथ में हेलीकॉप्टर हादसे भी हुए, जिसमें वायु सेना के जवानों से लेकर यात्रियों ने अपनी जान गंवाई. साल 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान भी रेस्क्यू करते हुए वायु सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर समेत तीन हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए थे. इन दुर्घटनाओं में कुल 23 लोगों की मौत हुई. वहीं, केदारनाथ में हुई भारी तबाही के बाद 19 जून को केंद्र सरकार ने वायु सेना को वहां रेस्क्यू की जिम्मेदारी सौंपी. इसके बाद नौ दिनों तक वायु सेना ने केदारनाथ धाम की पहाड़ियों पर रेस्क्यू कर हजारों लोगों की जान बचाई. इस दौरान वायु सेना को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा था.

एमआई-17 हुआ था क्रैश: 25 जून 2013 को वायु सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर गौचर से गुप्तकाशी होते हुए आपदा में मारे गए लोगों के दाह-संस्कार के लिए लकड़ी लेकर केदारनाथ पहुंचा था. केदारनाथ में लकड़ी छोड़कर जब हेलीकॉप्टर वापस लौट रहा था तो अचानक मौसम खराब होने के कारण दोपहर करीब दो बजे हेलीकॉप्टर पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गया. इस हादसे की सूचना शाम साढ़े चार बजे मिल पाई और दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर को ढूंढने में भी दो दिन लग गए. इस हेलीकॉप्टर में सवार सभी 20 लोग काल के गाल में समा गए थे. इनमें वायु सेना के दो पायलट समेत पांच क्रू-मेंबर, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन बल) के नौ सदस्य और आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के छह सदस्य शामिल थे.

पुनर्निर्माण पर 2700 करोड़ रुपये खर्च: बाबा की नगरी के साथ ही प्रलय से प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण पर 2700 करोड़ रुपये खर्च हुए. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केदारपुरी में पुनर्निर्माण की जो शुरुआत की, उसे बीजेपी सरकार ने जारी रखा है. बाबा के भक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिलचस्पी के चलते केदारनाथ में पुनर्निर्माण के कार्यों ने रफ्तार पकड़ी है.
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रुद्रप्रयाग/देहरादून: उत्तराखंड के केदारनाथ में आई भयानक आपदा को 9 साल हो गए हैं. साल 2013 में 16 और 17 जून को आई इस आपदा में कम से कम 6000 लोग मारे गए. तब कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश और फिर चौराबाड़ी झील के फटने से राज्य का यह हिस्सा तहस नहस हो गया. अमूमन सौम्य दिखने वाली मंदाकिनी रौद्र रूप में आ गई. असल में मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़े से कहीं अधिक है.

साल 2013 में केदारनाथ धाम में आई विनाशकारी आपदा में लापता हुए लोगों का दर्द आज भी उनके परिजनों के चेहरों पर साफ दिखाई पड़ता है. हालांकि, आपदा के नौ साल गुजर गए हैं, लेकिन इस प्रलयकारी आपदा के जख्म आपदा की बरसी पर फिर से ताजे होते चले जाते हैं. इस भीषण आपदा में अब भी 3,183 लोगों का कोई पता नहीं चल सका है.

16 और 17 जून 2013 की भीषण आपदा में बड़ी संख्या में यात्री और स्थानीय लोग इस आपदा की चपेट में आ गए. आज तक इन लोगों का पता नहीं लग पाया है. केदारघाटी के अनेक गांवों के साथ ही देश-विदेश से आए तीर्थयात्रियों ने आपदा में जान गंवाई. सरकारी आंकड़ों को देखें तो पुलिस के पास आपदा के बाद कुल 1840 एफआईआर दर्ज हुईं. बाद में पुलिस ने सही तफ्तीश करते हुए 1256 एफआईआर को वैध मानते हुए कार्रवाई की. पुलिस के पास 3,886 गुमशुदगी दर्ज हुई. जिसमें से विभिन्न सर्च अभियानों में 703 कंकाल बरामद किए गए.

बड़े पत्थर ने बाबा के मंदिर को किया था सुरक्षित: कहा जाता है मंदिर के ठीक पीछे ऊपर से बहकर आए एक बड़े पत्थर ने बाबा के मंदिर को सुरक्षित कर दिया था. आज उस पत्थर को भीम शिला के नाम से जाना जाता है. इस प्रलय में 2241 होटल, धर्मशाला एवं अन्य भवन पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे. पुलिसकर्मियों ने अपनी जान पर खेलकर करीब 30 हजार लोगों को बचाया था. यात्रा मार्ग एवं केदारघाटी में फंसे 90 हजार से अधिक लोगों को सेना की ओर से सुरक्षित बचाया गया.

केदारनाथ आपदा के वो गहरे जख्म

  1. केदारनाथ आपदा में 4400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए.
  2. 4200 से अधिक गांवों का पूरी तरह से संपर्क टूट गया.
  3. 2141 भवन पूरी तरह से नष्ट हो गए.
  4. जलप्रलय में 1309 हेक्टेयर कृषि भूमि बह गई.
  5. सेना व अर्द्ध सैनिक बलों ने 90 हजार लोगों को रेस्क्यू किया.
  6. 30 हजार लोगों को पुलिस ने बचाए.
  7. 55 नरकंकाल सर्च ऑपरेशन में खोजे गए.
  8. 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगहों पर मारे गए.
  9. 11,000 से अधिक मवेशी बह गए या मलबे में दब गए.
  10. 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई.
  11. 2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया.
  12. 100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए.
  13. 90 हजार यात्रियों को यात्रा मार्गों से सेना ने निकाला.
  14. 30 हजार स्थानीय लोगों को पुलिस ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया.
  15. 9 राष्ट्रीय व 35 स्टेट हाईवे क्षतिग्रस्त हो गए.
  16. 2385 सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा.
  17. 86 मोटर पुल और 172 बड़े व छोटे पुल बह गए.

ये भी पढ़ें: केदारनाथ धाम में यात्रियों के लिए लगे रेन शेल्टर, बारिश और धूप की टेंशन खत्म

मौत का सटीक आंकड़ा आजतक नहीं मिला: आपदा में कितने लोगों की जान गई, इसका भी सटीक आंकड़ा किसी के पास नहीं है, लेकिन हजारों लोगों की मरने की सूचना पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है. इस आपदा में भारत के ही नहीं बल्कि विदेश के लोगों ने भी अपनी जान गंवाई थी. केदारनाथ की प्रलयकारी आपदा (Kedarnath Disaster 2013) के चश्मदीद आज भी उस पल को सोचकर डर जाते हैं.

हेलीकॉप्टर हादसों में 23 लोगों ने गंवाई थी जान: आपदा के बाद केदारनाथ में हेलीकॉप्टर हादसे भी हुए, जिसमें वायु सेना के जवानों से लेकर यात्रियों ने अपनी जान गंवाई. साल 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान भी रेस्क्यू करते हुए वायु सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर समेत तीन हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए थे. इन दुर्घटनाओं में कुल 23 लोगों की मौत हुई. वहीं, केदारनाथ में हुई भारी तबाही के बाद 19 जून को केंद्र सरकार ने वायु सेना को वहां रेस्क्यू की जिम्मेदारी सौंपी. इसके बाद नौ दिनों तक वायु सेना ने केदारनाथ धाम की पहाड़ियों पर रेस्क्यू कर हजारों लोगों की जान बचाई. इस दौरान वायु सेना को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा था.

एमआई-17 हुआ था क्रैश: 25 जून 2013 को वायु सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर गौचर से गुप्तकाशी होते हुए आपदा में मारे गए लोगों के दाह-संस्कार के लिए लकड़ी लेकर केदारनाथ पहुंचा था. केदारनाथ में लकड़ी छोड़कर जब हेलीकॉप्टर वापस लौट रहा था तो अचानक मौसम खराब होने के कारण दोपहर करीब दो बजे हेलीकॉप्टर पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गया. इस हादसे की सूचना शाम साढ़े चार बजे मिल पाई और दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर को ढूंढने में भी दो दिन लग गए. इस हेलीकॉप्टर में सवार सभी 20 लोग काल के गाल में समा गए थे. इनमें वायु सेना के दो पायलट समेत पांच क्रू-मेंबर, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन बल) के नौ सदस्य और आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के छह सदस्य शामिल थे.

पुनर्निर्माण पर 2700 करोड़ रुपये खर्च: बाबा की नगरी के साथ ही प्रलय से प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण पर 2700 करोड़ रुपये खर्च हुए. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केदारपुरी में पुनर्निर्माण की जो शुरुआत की, उसे बीजेपी सरकार ने जारी रखा है. बाबा के भक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिलचस्पी के चलते केदारनाथ में पुनर्निर्माण के कार्यों ने रफ्तार पकड़ी है.
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Last Updated : Jun 16, 2022, 4:10 PM IST
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