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विदेश की जेलों में 7710 भारतीय नागरिक हैं बंद, यूएई में सबसे अधिक

विदेश की जेलों में 7710 भारतीय नागरिक बंद हैं. इनमें यूएई में सबसे अधिक 1535 और उसके बाद सऊदी अरब (1167) का नंबर आता है. इनके अलावा नेपाल, पाकिस्तान और कतर में भी भारतीय बंद हैं. यह जानकारी विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन (V Muraleedharan) ने राज्यसभा में दी.

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Published : Jul 28, 2022, 7:04 PM IST

V Muraleedharan
विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन

नई दिल्ली : विदेशों में कैद भारतीयों की संख्‍या कम नहीं है. वर्तमान में विदेशी जेलों में 7710 भारतीय नागरिक बंद हैं, इनमें विचाराधीन कैदी भी शामिल हैं. उक्त जानकारी गुरुवार को राज्यसभा में विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन (V Muraleedharan) ने दी. आंकड़ों के मुताबिक विदेशों की जेलों में भारतीय बंदियों में संयुक्त अरब अमीरात (1535) में संख्या सबसे अधिक है. इसके बाद दूसरे पायदान पर सऊदी अरब (1167) दूसरे पायदान पर, नेपाल (1134) तीसरे, पाकिस्तान (585) चौथे और कतर (485) के साथ पांचवे स्थान पर है. इस दौरान बताया गया कि बड़ी संख्या में भारतीय युवा जो काम के लिए विदेश जाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ को उस देश के नियम और कानून के बारे में जानकारी नहीं होने से या कुछ अन्य कारणों से ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

विदेश में भारतीयों द्वारा सामना किए जाने वाले उत्पीड़न पर सांसद एस सेल्वगनबथी द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन (V Muraleedharan) ने यह बातें सदन के पटल पर रखीं. इस मुद्दे को हल करने के लिए सरकार द्वारा की गई पहल के बारे में पूछे जाने पर मुरलीधरन ने कहा कि भारतीय मिशन और विदेशों में रहने वाले भारतीयों को काउंसलर और सामुदायिक कल्याण अनुभागों के द्वारा रजिस्ट्रेशन कराना चाहिए. इसको लेकर व्यापाक रूप से प्रचार-प्रसार भी किया जाता है.

उन्होंने कहा कि विदेशों में भारतीय नागरिकों की जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से वेबसाइट, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से मेजबान देशों के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है.साथ ही बताया गया कि इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड (ECR) देशों में काम करने के इच्छुक भारतीयों की जागरूकता बढ़ाने के लिए और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सहयोग से विदेश मंत्रालय प्री-डिपार्चर ओरिएंटेशन ट्रेनिंग (PDOT) नामक एक कार्यक्रम चलाता है.

केंद्र ने कहा कि पीडीओटी कार्यक्रमों का उद्देश्य गंतव्य देश की संस्कृति, भाषा, परंपरा, स्थानीय नियमों और विनियमों के संदर्भ में हमारे प्रवासी श्रमिकों के सॉफ्ट कौशल को बढ़ाना है. इसके अलावा प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षित और कानूनी प्रवास के रास्ते और विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के बारे में जागरूक करना है. साथ ही भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF), प्रवासी भारतीय बीमा योजना (PBBY), ई माइग्रेट पोर्टल, मदद पोर्टल, प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र (PBSK), भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों आदि में उनके कल्याण और सुरक्षा के लिए जानकारी दी जाती है.

केंद्र सरकार ने बताया कि 30 जून, 2022 तक, 1,15,056 श्रमिकों को प्रशिक्षित किया गया है. प्रवासी श्रमिकों के लिए पहला ऑनलाइन पूर्व प्रस्थान अभिविन्यास प्रशिक्षण (PDOT) कार्यक्रम अप्रैल 2021 में शुरू किया गया था. वहीं वर्तमान में देश भर में प्रशिक्षण देने वाले 32 पीडीओटी केंद्र हैं.

ये भी पढ़ें - Monsoon Session 2022 : लोकसभा में भाजपा का हंगामा, कार्यवाही कल तक स्थगित

नई दिल्ली : विदेशों में कैद भारतीयों की संख्‍या कम नहीं है. वर्तमान में विदेशी जेलों में 7710 भारतीय नागरिक बंद हैं, इनमें विचाराधीन कैदी भी शामिल हैं. उक्त जानकारी गुरुवार को राज्यसभा में विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन (V Muraleedharan) ने दी. आंकड़ों के मुताबिक विदेशों की जेलों में भारतीय बंदियों में संयुक्त अरब अमीरात (1535) में संख्या सबसे अधिक है. इसके बाद दूसरे पायदान पर सऊदी अरब (1167) दूसरे पायदान पर, नेपाल (1134) तीसरे, पाकिस्तान (585) चौथे और कतर (485) के साथ पांचवे स्थान पर है. इस दौरान बताया गया कि बड़ी संख्या में भारतीय युवा जो काम के लिए विदेश जाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ को उस देश के नियम और कानून के बारे में जानकारी नहीं होने से या कुछ अन्य कारणों से ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

विदेश में भारतीयों द्वारा सामना किए जाने वाले उत्पीड़न पर सांसद एस सेल्वगनबथी द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन (V Muraleedharan) ने यह बातें सदन के पटल पर रखीं. इस मुद्दे को हल करने के लिए सरकार द्वारा की गई पहल के बारे में पूछे जाने पर मुरलीधरन ने कहा कि भारतीय मिशन और विदेशों में रहने वाले भारतीयों को काउंसलर और सामुदायिक कल्याण अनुभागों के द्वारा रजिस्ट्रेशन कराना चाहिए. इसको लेकर व्यापाक रूप से प्रचार-प्रसार भी किया जाता है.

उन्होंने कहा कि विदेशों में भारतीय नागरिकों की जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से वेबसाइट, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से मेजबान देशों के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है.साथ ही बताया गया कि इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड (ECR) देशों में काम करने के इच्छुक भारतीयों की जागरूकता बढ़ाने के लिए और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सहयोग से विदेश मंत्रालय प्री-डिपार्चर ओरिएंटेशन ट्रेनिंग (PDOT) नामक एक कार्यक्रम चलाता है.

केंद्र ने कहा कि पीडीओटी कार्यक्रमों का उद्देश्य गंतव्य देश की संस्कृति, भाषा, परंपरा, स्थानीय नियमों और विनियमों के संदर्भ में हमारे प्रवासी श्रमिकों के सॉफ्ट कौशल को बढ़ाना है. इसके अलावा प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षित और कानूनी प्रवास के रास्ते और विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के बारे में जागरूक करना है. साथ ही भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF), प्रवासी भारतीय बीमा योजना (PBBY), ई माइग्रेट पोर्टल, मदद पोर्टल, प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र (PBSK), भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों आदि में उनके कल्याण और सुरक्षा के लिए जानकारी दी जाती है.

केंद्र सरकार ने बताया कि 30 जून, 2022 तक, 1,15,056 श्रमिकों को प्रशिक्षित किया गया है. प्रवासी श्रमिकों के लिए पहला ऑनलाइन पूर्व प्रस्थान अभिविन्यास प्रशिक्षण (PDOT) कार्यक्रम अप्रैल 2021 में शुरू किया गया था. वहीं वर्तमान में देश भर में प्रशिक्षण देने वाले 32 पीडीओटी केंद्र हैं.

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