नई दिल्ली : यूक्रेन (Ukraine Crisis) के उत्तर-पूर्वी शहर सूमी से सुरक्षित निकाले गए लगभग 600 भारतीय छात्रों का अंतिम बड़ा समूह लवीव से पोलैंड के लिए एक विशेष ट्रेन में सवार हो चुका है. इसके गुरुवार को भारत के लिए उड़ान भरने की संभावना है. छात्र विशेष ट्रेन से पोल्तावा से पश्चिमी यूक्रेन स्थित लवीव पहुंचे. यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने बुधवार को एक ट्वीट में कहा कि राजदूत ने लवीव रेलवे स्टेशन पर सूमी विश्वविद्यालय के 600 भारतीय छात्रों के साथ विशेष ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. वे पोलैंड की यात्रा करेंगे और कल उनके भारत के लिए निकासी उड़ानों में सवार होने की उम्मीद है. सुरक्षित रहें, हिम्मत रखें. सोशल मीडिया पर कई वीडियो दिखाई दिए जिनमें छात्र हाथों में तिरंगा थामे और ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे लगाते दिखाई देते हैं. सूमी में दो सप्ताह तक भारी कष्ट में रहे छात्रों को यूक्रेन में सैकड़ों मील की दूरी तय करते हुए परिवहन के कई साधनों से निकाला गया है.
भारत सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत सबसे चुनौतीपूर्ण निकासी कवायद को अंजाम दे रही है. सूमी में निकासी अभियान मंगलवार सुबह शुरू हुआ जिसमें 600 भारतीयों के आखिरी बड़े समूह को शहर से निकाला गया. छात्र समन्वयक अनशद अली ने बताया कि भारतीय नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति द्वारा 13 बसों के काफिले में सूमी से पोल्तावा ले जाया गया. छात्र युद्ध प्रभावित क्षेत्र से बचने के लिए एक कठिन यात्रा कर रहे हैं. सूमी से उन्हें निकालने का यह दूसरा प्रयास है, जो पिछले महीने यूक्रेन पर रूस का आक्रमण शुरू होने के बाद से भारी गोलाबारी का सामना कर रहा है.
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उल्लेखनीय है कि पोल्तावा और लवीव के बीच की दूरी लगभग 888 किलोमीटर की है.ट्रेन में सवार 25 वर्षीय मेडिकल छात्रा जिसना जिजी ने कहा कि उन्हें और अन्य छात्रों को सूमी से बाहर आने के बाद राहत मिली है. उन्होंने कहा कि हम थके हुए हैं लेकिन खुश हैं. हम मंगलवार सुबह से यात्रा कर रहे हैं और कई घंटों की यात्रा करनी है, लेकिन अब हमें उम्मीद है कि हम सुरक्षित घर पहुंच जाएंगे. अली ने पोल्तावा से कहा कि लवीव की लगभग 12 घंटे की ट्रेन यात्रा है जहां से छात्रों को पोलैंड ले जाया जाएगा. अली ने कहा कि शहर से लगभग 600 भारतीयों को निकाला गया और समूह में कुछ बांग्लादेशी तथा नेपाली नागरिक भी हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय छात्रों के बाद, अन्य देशों के छात्रों को भी निकाला गया. सूमी से लगभग 95 प्रतिशत छात्रों की निकासी हो चुकी है.
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भारतीय छात्रों को दो सप्ताह तक सूमी में भारी गोलाबारी के दौरान कड़ाके की ठंड के बीच अपने हॉस्टल के तहखानों में भोजन-पानी और अन्य आवश्यक चीजों के अभाव में भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा.परेशान छात्रों द्वारा एक वीडियो साझा किए जाने के बाद उन्हें निकालने का पहला प्रयास सात मार्च को किया गया था. वीडियो में इन छात्रों ने कहा था कि उन्होंने रूस की सीमा तक पैदल यात्रा का फैसला किया है. उनका प्रयास विफल रहा क्योंकि संघर्षविराम लागू नहीं हुआ और उन्हें अपने हॉस्टल लौटना पड़ा. यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने एक परामर्श जारी कर सभी फंसे भारतीय नागरिकों से 'मानवीय कॉरिडोर' का इस्तेमाल करने और अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखकर ट्रेन या परिवहन के किसी अन्य माध्यम से देश छोड़ने का आग्रह किया है. परामर्श में कहा गया कि सभी फंसे हुए भारतीय नागरिकों से आग्रह किया जाता है कि वे इस अवसर का उपयोग करें और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रेन या वाहनों या परिवहन के किसी अन्य उपलब्ध साधन का उपयोग कर बाहर निकलें.