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Fire in Hospital: निजी अस्पताल में आग लगने से 6 दिन के बच्चे की मौत, दो घायल

बनासकांठा जिले के शिहोरी इलाके में एक निजी अस्पताल में बुधवार सुबह साढ़े पांच बजे के करीब शार्ट सर्किट से आग लग गई. आग में बॉक्स में रखे छह दिन के एक नवजात बच्चे की मौत हो गई और दो अन्य बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए. जब गांव वाले बच्चों लेकर रेफरल अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था.

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Published : Mar 15, 2023, 10:54 PM IST

कांकरेज: बनासकांठा जिले के एक बच्चों के अस्पताल में आग की घटना सामने आई है. कांकरेज के शिहोरी स्थित एक निजी अस्पताल में अचानक आग लग गई. जिस समय आग लगी उस वक्त तीन बच्चे अस्पताल के आईसीसीयू विभाग में भर्ती थे, जिसमें से एक बच्चे की मौत हो गई है. जबकि दो बच्चों को इलाज के लिए दूसरे अस्पताल ले जाया गया है. इस घटना से सरकारी रेफरल अस्पताल में बच्चों के इलाज में लापरवाही की पोल भी खुल गई है.

कांकरेज के शिहोरी के हनी अस्पताल के आईसीसीयू में आग लग गई. चंद सेकेंड में ही आग ने विकराल रूप धारण कर लिया. आग लगते ही अस्पताल में अफरातफरी मच गई हालांकि, डॉक्टर और ग्रामीणों ने शीशा तोड़कर बच्चों को बचाने की कोशिश की. हालांकि एक बच्चे की मौत हो गई जबकि दो बच्चों को इलाज के लिए रेफरल अस्पताल ले जाया गया है. जब रेफरल अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉक्टर मौजूद नहीं थे तो लोग उन्हें बुलाने उनके घर पहुंच गए, जहां डॉक्टर ने अभद्र व्यवहार किया. डॉक्टर ने आधे घंटे बाद भी उनका इलाज नहीं किया, अंत में बच्चों को निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया. इस प्रकार का आरोप गांव के लोगों द्वारा लगाया जा रहा है. डॉक्टर की इस तरह की हरकत के कारण लोगों ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया. पूरी घटना सामने आने के बाद अस्पताल के सामने लोगों की भीड़ जमा हो गई. इस बीच, बच्चों को आगे के इलाज के लिए डीसा अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है. फायर विभाग की टीम ने लगातार वाटर कैनन चलाकर आग पर काबू पाया. अनुमान लगाया जा रहा है कि शार्ट सर्किट के कारण आग लगी.

डॉक्टरो की मनमानी के कारण शिहोरी में डॉक्टर बदलने के लिए लोगों ने समर्थन किया. लोगों ने अपनी दुकानें बंद रखकर विरोध जताया. लापरवाही के आरोप पर शिहोरी के रेफरल अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने बच्चों का इलाज किया, लेकिन ग्रामीणों ने गुस्से में अस्पताल का दरवाजा तोड़ने की कोशिश की. डॉक्टर ने ग्रामीणों के गुस्से से खुद का बचाव किया और भागने की कोशिश की. बच्चों को तत्काल इलाज नहीं मिलने पर लोगों और निजी अस्पताल व्यवस्था के बीच विरोध हुआ. आपको बता दें कि इस घटना में तीनों बच्चों की उम्र 10 दिन से अधिक नहीं थी, जिस बच्चे की मौत हुई वो सिर्फ छह दिन का था.

बनासकांठा के कांकरेज से कांग्रेस विधायक अमृतजी ठाकुर ने कहा कि शिहोरी के एक निजी अस्पताल में आज सुबह साढ़े पांच बजे के करीब शार्ट सर्किट से आग लग गई. आग में बॉक्स में रखे छह दिन के नवजात बच्चे की मौत हो गई और दो अन्य बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए. घटना के बाद परिजन सीएचसी सेंटर गए लेकिन वहां चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने पर वे चिकित्सक के घर चले गए. दरवाजा खटखटाया गया, डॉक्टर गुस्से में था.

यह भी पढ़ें: Farmers' Long March: मुंबई की ओर हजारों किसानों का लॉन्ग मार्च जारी, यातायात में बदलाव

कांकरेज: बनासकांठा जिले के एक बच्चों के अस्पताल में आग की घटना सामने आई है. कांकरेज के शिहोरी स्थित एक निजी अस्पताल में अचानक आग लग गई. जिस समय आग लगी उस वक्त तीन बच्चे अस्पताल के आईसीसीयू विभाग में भर्ती थे, जिसमें से एक बच्चे की मौत हो गई है. जबकि दो बच्चों को इलाज के लिए दूसरे अस्पताल ले जाया गया है. इस घटना से सरकारी रेफरल अस्पताल में बच्चों के इलाज में लापरवाही की पोल भी खुल गई है.

कांकरेज के शिहोरी के हनी अस्पताल के आईसीसीयू में आग लग गई. चंद सेकेंड में ही आग ने विकराल रूप धारण कर लिया. आग लगते ही अस्पताल में अफरातफरी मच गई हालांकि, डॉक्टर और ग्रामीणों ने शीशा तोड़कर बच्चों को बचाने की कोशिश की. हालांकि एक बच्चे की मौत हो गई जबकि दो बच्चों को इलाज के लिए रेफरल अस्पताल ले जाया गया है. जब रेफरल अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉक्टर मौजूद नहीं थे तो लोग उन्हें बुलाने उनके घर पहुंच गए, जहां डॉक्टर ने अभद्र व्यवहार किया. डॉक्टर ने आधे घंटे बाद भी उनका इलाज नहीं किया, अंत में बच्चों को निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया. इस प्रकार का आरोप गांव के लोगों द्वारा लगाया जा रहा है. डॉक्टर की इस तरह की हरकत के कारण लोगों ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया. पूरी घटना सामने आने के बाद अस्पताल के सामने लोगों की भीड़ जमा हो गई. इस बीच, बच्चों को आगे के इलाज के लिए डीसा अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है. फायर विभाग की टीम ने लगातार वाटर कैनन चलाकर आग पर काबू पाया. अनुमान लगाया जा रहा है कि शार्ट सर्किट के कारण आग लगी.

डॉक्टरो की मनमानी के कारण शिहोरी में डॉक्टर बदलने के लिए लोगों ने समर्थन किया. लोगों ने अपनी दुकानें बंद रखकर विरोध जताया. लापरवाही के आरोप पर शिहोरी के रेफरल अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने बच्चों का इलाज किया, लेकिन ग्रामीणों ने गुस्से में अस्पताल का दरवाजा तोड़ने की कोशिश की. डॉक्टर ने ग्रामीणों के गुस्से से खुद का बचाव किया और भागने की कोशिश की. बच्चों को तत्काल इलाज नहीं मिलने पर लोगों और निजी अस्पताल व्यवस्था के बीच विरोध हुआ. आपको बता दें कि इस घटना में तीनों बच्चों की उम्र 10 दिन से अधिक नहीं थी, जिस बच्चे की मौत हुई वो सिर्फ छह दिन का था.

बनासकांठा के कांकरेज से कांग्रेस विधायक अमृतजी ठाकुर ने कहा कि शिहोरी के एक निजी अस्पताल में आज सुबह साढ़े पांच बजे के करीब शार्ट सर्किट से आग लग गई. आग में बॉक्स में रखे छह दिन के नवजात बच्चे की मौत हो गई और दो अन्य बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए. घटना के बाद परिजन सीएचसी सेंटर गए लेकिन वहां चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने पर वे चिकित्सक के घर चले गए. दरवाजा खटखटाया गया, डॉक्टर गुस्से में था.

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