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अरुणाचल-चीन सीमा पर 5जी नेटवर्क की जंग, क्या जीत पाएंगे हम ? - बीजिंग समय

अरुणाचल प्रदेश के अंजौ जिले में चीन की उत्तरी सीमा पर किबिथू सीमा पर बसी आबादी वाले इलाकों में फोन पर दो टाइम जोन देखने को मिलते हैं. हालांकि जहां चीन ने अपने सीमावर्ती इलाकों में 5जी नेटवर्क (5G Network) के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछा दिया है और 5जी नेटवर्क की सुविधा दे रहा है, वहीं भारत अभी तक किबिथू तक फाइबर केबल नहीं बिछा पाया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

5जी नेटवर्क
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Published : Sep 13, 2022, 5:29 PM IST

Updated : Sep 13, 2022, 9:45 PM IST

नई दिल्ली: जब आप अरुणाचल प्रदेश के अंजौ जिले में चीन की उत्तरी सीमा पर किबिथू सीमा पर बसी आबादी की ओर कुछ घंटों की ड्राइव करते हैं, तो आपके स्मार्टफोन में दो टाइम जोन दिखने लगते हैं, जिसमें से एक आईएसटी (IST) होता है और दूसरा बीजिंग टाइम होता है. दिलचस्प बात यह है कि बीजिंग का टाइम दो आईएसटी से करीब ढाई घंटा आगे है, वहां पर लोकल टाइम के तौर पर दिखाई देता है. किबिथू में जहां कोई भी भारतीय फोन और इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वहां पर चीन के चार टेलिकॉम नेटवर्क 5जी का नेटवर्क (5G Network) दिखाते हैं.

इन कंपनियों में से एक चीन यूनिकॉम है, जिसे 11 जनवरी, 2021 में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (New York Stock Exchange) की ट्रेडिंग लिस्ट से हटा दिया गया था, क्योंकि चीनी सेना (chinese army) में इस कंपनी के कनेक्शन थे. इसी बीच किबिथू के पास फोन पर एक मैसेज दिखाई देता है कि अंतरराष्ट्रीय रोमिंग एक विकल्प है, जोकि तब भी उपलब्ध होगा, जब आईएसटी का समय बीजिंग के समय में बदल जाता है. इसके परिणामस्वरूप किबिथु के पास कम से कम दो 'उद्यमी' व्यवसायियों ने चीनी दूरसंचार नेटवर्क की सदस्यता ली है.

पढ़ें: ज्ञानवापी मामले में अदालत का फैसला भाजपा की सोच का समर्थन करता है: महबूबा मुफ्ती

ये व्यवसायी यहां के स्थानीय लोगों को एक निश्चित शुल्क के साथ इंटरनेट का उपयोग करने की पेशकश कर रहे हैं, जिससे उन्हें बाहरी दुनिया का एक कनेक्शन मिल सके और वे जुड़ाव की कुछ झलक पा सकते हैं. ये सारी बातें नाम न बताने की शर्त पर स्थानीय अधिकारियों ने ईटीवी भारत को बताईं. वहीं दूसरी ओर शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने कहा कि 4जी कनेक्टिविटी का निर्माण एक गेम-चेंजिंग कदम होगा और विशेष रूप से चीन की सीमा में दूरसंचार बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश के बावजूद, यह स्पष्ट है कि भारत को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है और अधिक निवेश व प्रयास की आवश्यकता है.

अरुणाचल-चीन सीमा पर 5जी नेटवर्क की जंग
अरुणाचल-चीन सीमा पर 5जी नेटवर्क की जंग

जहां भारत सरकार के पास दूरसंचार बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए एक समयबद्ध योजना है, वहीं यह सड़कों और अन्य नागरिक बुनियादी ढांचे की कमी के चलते बाधित है, क्योंकि सड़कों के ठीक से बिछाए जाने के बाद ही ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बिछाई जा सकती हैं, जिससे 4जी प्रवेश की सुविधा होगी, जिससे तेजी से डेटा ट्रांसफर और बेहतर टेलीफोन कनेक्टिविटी हो सकेगी. पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर टीएम सिन्हा ने पत्रकारों के एक समूह को इस बारे में जानकारी दी.

पढ़ें: प. बंगाल : ममता सरकार के खिलाफ भाजपा का उग्र प्रदर्शन, कई जगहों पर हुईं झड़पें

उन्होंने कहा कि अब हम पूर्वी क्षेत्र में आगे के इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास को एक बड़ा धक्का दे रहे हैं. हम सभी फॉरवर्ड पोस्ट को ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. नए रेडियो सेट प्रदान करने के अलावा त्वरित डेटा ट्रांसफर के लिए सैटेलाइट टर्मिनल भी स्थापित कर रहे हैं. वहीं अरुणाचल प्रदेश राज्य विधानसभा के स्पीकर पासंग दोरजी सोना ने ईटीवी भारत को बताया कि आजकल सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है. हमें बताया गया है कि सरकार सीमा क्षेत्र में नेटवर्क को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है. लेकिन इसमें बहुत समय लग रहा है और इसमें तेजी लाई जानी चाहिए.

सोना, जो मेचुका के सीमावर्ती निर्वाचन क्षेत्र का भी प्रतिनिधित्व करती हैं, उनका कहना है कि रिपोर्ट जमा करनी होती है, आधिकारिक बैठकें और संचार होता है और रिकॉर्ड किया जाता है. इन क्षेत्रों से जहां कोई संपर्क नहीं है, अधिकारियों को ऑनलाइन रिपोर्ट जमा करने के लिए भी नेटवर्क वाले क्षेत्रों में जाना पड़ता है. इंटरनेट कनेक्टिविटी दो तरह से हासिल की जाती है- माइक्रोवेव (मेगावाट) और ओएफसी के माध्यम से. लेकिन यह ओएफसी के माध्यम से है, जो मेगावाट से अधिक है कि नेटवर्क में अधिक विश्वसनीयता, दक्षता और मजबूती है.

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यह तथ्य कि चीन ने सीमा पर 5जी नेटवर्क स्थापित किया है, इस बात का भी संकेत है कि ओएफसी पहले ही बिछाए जा चुके हैं. विडंबना का एक तथ्य यह है कि ओएफसी की उत्पत्ति का बिंदु जो भारत रखने की कोशिश कर सकता है, उसे चीन फिर से कर रहा है. जबकि भारत में ओएफसी का स्वदेशी उत्पादन होता है, स्थानीय उत्पादन भारी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

नई दिल्ली: जब आप अरुणाचल प्रदेश के अंजौ जिले में चीन की उत्तरी सीमा पर किबिथू सीमा पर बसी आबादी की ओर कुछ घंटों की ड्राइव करते हैं, तो आपके स्मार्टफोन में दो टाइम जोन दिखने लगते हैं, जिसमें से एक आईएसटी (IST) होता है और दूसरा बीजिंग टाइम होता है. दिलचस्प बात यह है कि बीजिंग का टाइम दो आईएसटी से करीब ढाई घंटा आगे है, वहां पर लोकल टाइम के तौर पर दिखाई देता है. किबिथू में जहां कोई भी भारतीय फोन और इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वहां पर चीन के चार टेलिकॉम नेटवर्क 5जी का नेटवर्क (5G Network) दिखाते हैं.

इन कंपनियों में से एक चीन यूनिकॉम है, जिसे 11 जनवरी, 2021 में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (New York Stock Exchange) की ट्रेडिंग लिस्ट से हटा दिया गया था, क्योंकि चीनी सेना (chinese army) में इस कंपनी के कनेक्शन थे. इसी बीच किबिथू के पास फोन पर एक मैसेज दिखाई देता है कि अंतरराष्ट्रीय रोमिंग एक विकल्प है, जोकि तब भी उपलब्ध होगा, जब आईएसटी का समय बीजिंग के समय में बदल जाता है. इसके परिणामस्वरूप किबिथु के पास कम से कम दो 'उद्यमी' व्यवसायियों ने चीनी दूरसंचार नेटवर्क की सदस्यता ली है.

पढ़ें: ज्ञानवापी मामले में अदालत का फैसला भाजपा की सोच का समर्थन करता है: महबूबा मुफ्ती

ये व्यवसायी यहां के स्थानीय लोगों को एक निश्चित शुल्क के साथ इंटरनेट का उपयोग करने की पेशकश कर रहे हैं, जिससे उन्हें बाहरी दुनिया का एक कनेक्शन मिल सके और वे जुड़ाव की कुछ झलक पा सकते हैं. ये सारी बातें नाम न बताने की शर्त पर स्थानीय अधिकारियों ने ईटीवी भारत को बताईं. वहीं दूसरी ओर शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने कहा कि 4जी कनेक्टिविटी का निर्माण एक गेम-चेंजिंग कदम होगा और विशेष रूप से चीन की सीमा में दूरसंचार बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश के बावजूद, यह स्पष्ट है कि भारत को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है और अधिक निवेश व प्रयास की आवश्यकता है.

अरुणाचल-चीन सीमा पर 5जी नेटवर्क की जंग
अरुणाचल-चीन सीमा पर 5जी नेटवर्क की जंग

जहां भारत सरकार के पास दूरसंचार बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए एक समयबद्ध योजना है, वहीं यह सड़कों और अन्य नागरिक बुनियादी ढांचे की कमी के चलते बाधित है, क्योंकि सड़कों के ठीक से बिछाए जाने के बाद ही ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बिछाई जा सकती हैं, जिससे 4जी प्रवेश की सुविधा होगी, जिससे तेजी से डेटा ट्रांसफर और बेहतर टेलीफोन कनेक्टिविटी हो सकेगी. पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर टीएम सिन्हा ने पत्रकारों के एक समूह को इस बारे में जानकारी दी.

पढ़ें: प. बंगाल : ममता सरकार के खिलाफ भाजपा का उग्र प्रदर्शन, कई जगहों पर हुईं झड़पें

उन्होंने कहा कि अब हम पूर्वी क्षेत्र में आगे के इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास को एक बड़ा धक्का दे रहे हैं. हम सभी फॉरवर्ड पोस्ट को ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. नए रेडियो सेट प्रदान करने के अलावा त्वरित डेटा ट्रांसफर के लिए सैटेलाइट टर्मिनल भी स्थापित कर रहे हैं. वहीं अरुणाचल प्रदेश राज्य विधानसभा के स्पीकर पासंग दोरजी सोना ने ईटीवी भारत को बताया कि आजकल सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है. हमें बताया गया है कि सरकार सीमा क्षेत्र में नेटवर्क को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है. लेकिन इसमें बहुत समय लग रहा है और इसमें तेजी लाई जानी चाहिए.

सोना, जो मेचुका के सीमावर्ती निर्वाचन क्षेत्र का भी प्रतिनिधित्व करती हैं, उनका कहना है कि रिपोर्ट जमा करनी होती है, आधिकारिक बैठकें और संचार होता है और रिकॉर्ड किया जाता है. इन क्षेत्रों से जहां कोई संपर्क नहीं है, अधिकारियों को ऑनलाइन रिपोर्ट जमा करने के लिए भी नेटवर्क वाले क्षेत्रों में जाना पड़ता है. इंटरनेट कनेक्टिविटी दो तरह से हासिल की जाती है- माइक्रोवेव (मेगावाट) और ओएफसी के माध्यम से. लेकिन यह ओएफसी के माध्यम से है, जो मेगावाट से अधिक है कि नेटवर्क में अधिक विश्वसनीयता, दक्षता और मजबूती है.

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यह तथ्य कि चीन ने सीमा पर 5जी नेटवर्क स्थापित किया है, इस बात का भी संकेत है कि ओएफसी पहले ही बिछाए जा चुके हैं. विडंबना का एक तथ्य यह है कि ओएफसी की उत्पत्ति का बिंदु जो भारत रखने की कोशिश कर सकता है, उसे चीन फिर से कर रहा है. जबकि भारत में ओएफसी का स्वदेशी उत्पादन होता है, स्थानीय उत्पादन भारी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

Last Updated : Sep 13, 2022, 9:45 PM IST
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