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कोरोना से जान गंवाने वालों के परिवारों को ₹50 हजार का मुआवजा भद्दा मजाक : कांग्रेस

कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि दिये जाने की सिफारिश को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस ने कहा कि यह मुआवजा शोक संतप्त परिवारों के साथ भद्दा मजाक है तथा सरकार के अहंकार एवं असंवेदनशीलता का प्रमाण है. इसके साथ ही कांग्रेस ने मांग की कोविड-19 से जान गंवा चुके लोगों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए चाहिए.

सुप्रिया श्रीनेत
सुप्रिया श्रीनेत
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Published : Sep 23, 2021, 3:25 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि दिये जाने की सिफारिश को लेकर बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह शोक संतप्त परिवारों के साथ भद्दा मजाक है तथा सरकार के अहंकार एवं असंवेदनशीलता का प्रमाण है.

पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने केंद्र से यह आग्रह भी किया कि कोविड से मौतों का सही आंकड़ा पता करने के लिए फिर से सर्वेक्षण कराया जाए और संबंधित परिवारों को चिह्नित कर उन्हें पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.

सुप्रिया श्रीनेत का बयान.

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कोविड-19 से जान गंवा चुके लोगों के परिजन को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की सिफारिश की है.

केंद्र ने कहा कि कोविड-19 राहत कार्य में शामिल रहने या महामारी से निपटने के लिए तैयारियों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल रहने के चलते संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजन को भी अनुग्रह राशि दी जाएगी.

सुप्रिया ने संवाददाताओं से कहा, 'मोदी सरकार के ढोंग का एक बार फिर पर्दाफ़ाश हो चुका है. पहले तो सरकार की विफलता के चलते लाखों लोगों की कोरोना काल में जान चली गयी और अब शोक संतप्त परिवारों के घावों पर नमक-मिर्च रगड़ा जा रहा है. मृतकों के परिजन को मात्र 50,000 रुपये का मुआवज़ा देने की बात करना इन परिवारों के साथ भद्दा मज़ाक़ है.'

सुप्रिया ने आरोप लगाया कि यह सरकार के अहंकार और असंवेदनशीलता का प्रमाण भी है.

यह भी पढ़ें- कोरोना से प्रमाणित मौत पर 50 हजार रुपये का मुआवजा

उन्होंने सवाल किया, 'जिस सरकार ने एक साल में मात्र ईंधन पर कर से 4 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा कमाया है, क्या वह मात्र 22,000 करोड़ रुपये इन परिवारों को नहीं दे सकती?'

कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'यह वही सरकार है जिसने सबसे पहले उच्चतम न्यायालय में यह कहा था कि आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत कोविड महामारी को 'आपदा' ही नहीं कहा जा सकता है. इस कुतर्क को सर्वोच्च न्यायालय ने 30 जून, 2021 के अपने फ़ैसले में पूर्णतः ख़ारिज कर दिया था.'

उन्होंने दावा किया, 'न्यायालय के आदेश के बाद मोदी सरकार ने 22 सितंबर, 2021 को राज्य आपदा कोष से मात्र 50,000 रुपये दिए जाने का फ़ैसला किया. गृह मंत्रालय ने 8 अप्रैल, 2015 को एसडीआरएफ और एनडीआरएफ से संशोधित सूची और सहायता के मानदंड जारी किए थे जिसमें यह साफ़ तौर से अंकित है कि किसी भी आपदा के कारण हुई मृत्यु के लिए पीड़ित परिवार को बाक़ी राहत के अलावा 4 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा. यानी मोदी सरकार ने अपने ही बनाए हुए क़ानून की भी अनदेखी कर दी.'

सुप्रिया ने केंद्र से आग्रह किया, 'हर मृतक के परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाए. मौत के आकड़ें छुपाने का प्रयास बंद हो. हर राज्य में कोरोना काल में होने वाली मृत्यु का फिर से सर्वेक्षण कर मुआवजे के दावों को स्वीकार किया जाए.'

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : कांग्रेस ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि दिये जाने की सिफारिश को लेकर बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह शोक संतप्त परिवारों के साथ भद्दा मजाक है तथा सरकार के अहंकार एवं असंवेदनशीलता का प्रमाण है.

पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने केंद्र से यह आग्रह भी किया कि कोविड से मौतों का सही आंकड़ा पता करने के लिए फिर से सर्वेक्षण कराया जाए और संबंधित परिवारों को चिह्नित कर उन्हें पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.

सुप्रिया श्रीनेत का बयान.

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कोविड-19 से जान गंवा चुके लोगों के परिजन को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की सिफारिश की है.

केंद्र ने कहा कि कोविड-19 राहत कार्य में शामिल रहने या महामारी से निपटने के लिए तैयारियों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल रहने के चलते संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजन को भी अनुग्रह राशि दी जाएगी.

सुप्रिया ने संवाददाताओं से कहा, 'मोदी सरकार के ढोंग का एक बार फिर पर्दाफ़ाश हो चुका है. पहले तो सरकार की विफलता के चलते लाखों लोगों की कोरोना काल में जान चली गयी और अब शोक संतप्त परिवारों के घावों पर नमक-मिर्च रगड़ा जा रहा है. मृतकों के परिजन को मात्र 50,000 रुपये का मुआवज़ा देने की बात करना इन परिवारों के साथ भद्दा मज़ाक़ है.'

सुप्रिया ने आरोप लगाया कि यह सरकार के अहंकार और असंवेदनशीलता का प्रमाण भी है.

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उन्होंने सवाल किया, 'जिस सरकार ने एक साल में मात्र ईंधन पर कर से 4 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा कमाया है, क्या वह मात्र 22,000 करोड़ रुपये इन परिवारों को नहीं दे सकती?'

कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'यह वही सरकार है जिसने सबसे पहले उच्चतम न्यायालय में यह कहा था कि आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत कोविड महामारी को 'आपदा' ही नहीं कहा जा सकता है. इस कुतर्क को सर्वोच्च न्यायालय ने 30 जून, 2021 के अपने फ़ैसले में पूर्णतः ख़ारिज कर दिया था.'

उन्होंने दावा किया, 'न्यायालय के आदेश के बाद मोदी सरकार ने 22 सितंबर, 2021 को राज्य आपदा कोष से मात्र 50,000 रुपये दिए जाने का फ़ैसला किया. गृह मंत्रालय ने 8 अप्रैल, 2015 को एसडीआरएफ और एनडीआरएफ से संशोधित सूची और सहायता के मानदंड जारी किए थे जिसमें यह साफ़ तौर से अंकित है कि किसी भी आपदा के कारण हुई मृत्यु के लिए पीड़ित परिवार को बाक़ी राहत के अलावा 4 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा. यानी मोदी सरकार ने अपने ही बनाए हुए क़ानून की भी अनदेखी कर दी.'

सुप्रिया ने केंद्र से आग्रह किया, 'हर मृतक के परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाए. मौत के आकड़ें छुपाने का प्रयास बंद हो. हर राज्य में कोरोना काल में होने वाली मृत्यु का फिर से सर्वेक्षण कर मुआवजे के दावों को स्वीकार किया जाए.'

(एजेंसी इनपुट)

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