नई दिल्ली : पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के करीब चार साल बाद प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 जुलाई को सुनवाई करेगी.
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर सोमवार को जारी एक नोटिस के अनुसार, पांच न्यायाधीशों की पीठ दिशानिर्देश पारित करने के लिए आईएएस अधिकारी शाह फैसल द्वारा दायर याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर 11 जुलाई को सुनवाई करेगी.
पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं. वर्ष 2010 बैच के आईएएस अधिकारी फैसल अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में अव्वल आने वाले पहले कश्मीरी हैं. उन्हें संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद एक साल से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था.
उन्होंने सेवा से इस्तीफा दे दिया था और जनवरी 2019 में एक राजनीतिक पार्टी 'जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट' की शुरुआत की थी. सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था और पेशे से डॉक्टर फैसल को बाद में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में तैनात किया गया था. फैसल ने अनुच्छेद 370 पर सरकार के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका भी दायर की थी.
पांच अगस्त, 2019 को, केंद्र ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. अनुच्छेद-370 समाप्त करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई थीं.
फैसल ने पिछले साल अप्रैल में एक आवेदन दायर कर उन सात याचिकाकर्ताओं की सूची से अपना नाम हटाने का आग्रह किया था, जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को चुनौती दी है.
इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत में सुनवाई को लेकर आशान्वित हैं.
अब्दुल्ला ने एक ट्वीट में कहा, 'आखिरकार पीठ का गठन हो गया. मैं अब सही ढंग से सुनवाई शुरू होने को लेकर आशान्वित हूं.' पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के शीर्ष अदालत के फैसले का सोमवार को स्वागत किया.
उन्होंने कहा, 'अनुच्छेद 370 के अवैध निरस्तीकरण को चुनौती देने वाली 2019 से लंबित याचिकाओं पर आखिरकार सुनवाई करने के माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत है.'
(पीटीआई-भाषा)