नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि पॉक्सो अधिनियम के तहत बच्चों के शोषण के वर्ष 2019 में 47,324 मामले और वर्ष 2020 में 47,221 मामले दर्ज किए गए. लोकसभा में नुसरत जहां के प्रश्न के लिखित उत्तर में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Women and Child Development Minister Smriti Irani) ने यह जानकारी दी.
स्मृति ईरानी ने बताया कि यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत बच्चों के शोषण के संबंध में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2019 में पॉक्सो अधिनियम के तहत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र में पंजीकृत मामलों की कुल संख्या 47,324 थी जबकि वर्ष 2020 में ऐसे पंजीकृत मामलों की संख्या 47,221 थी जब कोविड अपने चरम पर था.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में पॉक्सो अधिनियम के तहत मामलों में गिरावट आई है. महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि यह भी सूचित किया जाता है कि सरकार ने बच्चों के प्रति ऐसे अपराधों को रोकने तथा अपराधियों में भय पैदा करने के उद्देश्य से बच्चों पर यौन अपराध करने के संबंध में मृत्यु दंड सहित अधिक कठोर दंड लागू करने के लिए वर्ष 2019 में यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम को संशोधित किया था. उन्होंने कहा कि शोषण/हिंसा और यौन शोषण से बच्चों की रक्षा करने के लिये मंत्रालय द्वारा पॉक्सो नियमावली 2020 भी अधिसूचित की गई.
अफसरों को सेवा विस्तार देने के सिलसिले को प्रोत्साहित नहीं किया जाए: भाजपा सांसद - भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजेंद्र सिंह ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि अधिकारियों को सेवा विस्तार देने के सिलसिले को प्रोत्साहित नहीं किया जाए क्योंकि ऐसा करने से उनके कनिष्ठ अधिकारी हतोत्साहित होते हैं. उन्होंने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह मांग उठाई. खुद भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी रह चुके सिंह ने कहा, 'हाल ही में हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि 2022 में 11 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं जिस कारण प्रदेश में अधिकारियों की संख्या कम होगी और ऐसे में प्रशासनिक कार्यों में बाधा पहुंचेगी. तीन अधिकारियों को सेवा विस्तार देने के लिए भी कहा गया था जिस पर भारत सरकार ने अपनी कोई संस्तुति नहीं दी.'
उन्होंने कहा, 'मैं यह बताना चाहूंगा कि आमतौर पर प्रदेश सरकारों का मत रहता है कि उनके पास अधिकारियों की कमी है, लेकिन यह सच नहीं है...हरियाणा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है.' सिंह ने कहा, 'चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार हो, उनमें अधिकारियों को सेवा विस्तार देने पर पूरी रोक नहीं भी लगे तो भी यह न्यूनतम स्तर पर होना चाहिए क्योंकि इससे आने वाले अधिकारी हतोत्साहित होते हैं और उन्हें महसूस होता है कि उनके काम को अहमियत नहीं दी जा रही.' उन्होंने कहा कि सेवा विस्तार के सिलसिले को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए.
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(पीटीआई-भाषा)