नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि 31 मार्च 2022 तक, शिशुओं सहित 4105 बच्चे 390 विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों (SAAs) में रह रहे हैं. इनमें से अधिकतम 600 राजस्थान में, इसके बाद कर्नाटक में 360, उत्तर प्रदेश में 349, तेलंगाना में 340 और पश्चिम बंगाल में 332 हैं.
केंद्रीय मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, अंडमान और निकोबार, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, लद्दाख और लक्षद्वीप में एसएए में रहने वाले बच्चों की संख्या शून्य है. यह जानकारी केंद्रीय महिला और बाल अधिकारिता मंत्री, स्मृति ईरानी ने भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह के एक सवाल के जवाब में दी. सांसद ने सवाल पूछा था कि क्या सरकार ने उन सुविधाओं का रिकॉर्ड बना कर रखा है जो वर्तमान में परित्यक्त शिशुओं की जरूरतों को पूरा करती हैं और इसका विवरण राज्य/केंद्र शासित प्रदेश वार है.
इस सवाल पर कि क्या मिशन वात्सल्य में परित्यक्त शिशुओं की सुरक्षा और उसके विवरण शामिल हैं, केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया, 'मंत्रालय बच्चों के लिए सेवाएं प्रदान करने को लेकर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों की मदद के लिए मिशन वात्सल्य योजना नाम से एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रहा है. योजना के तहत स्थापित एसएए सहित चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशंस (सीसीआई) अन्य बातों के साथ-साथ आयु-उपयुक्त शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थ्य देखभाल और परामर्श का समर्थन करते हैं.'
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मिशन वात्सल्य योजना प्रति जिले में कम से कम एक एसएए (सरकार संचालित) में पालना शिशु केंद्र स्थापित करने का प्रावधान करती है. मंत्रालय नियमित रूप से राज्य / केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के साथ समन्वय स्थापित करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एसएए सहित सीसीआई देखभाल के जेजे अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के अनुसार मानकों का पालन करें. सभी सीसीआई के अनिवार्य निरीक्षण के संबंध में सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को विभिन्न परामर्श भेजे गए हैं.