हैदराबाद : नेशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD) बतौर विकास बैंक, कृषि, लघु उद्योगों (small scale industries), कुटीर और ग्रामोद्योग (cottage and village industries), हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्प (handicrafts and other rural crafts) तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य संबद्ध आर्थिक गतिविधयों के प्रचार व प्रसार के लिए ऋण उपलब्ध कराती है.
यह भारत का एक ऐसा वित्तीय संस्थान है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) के कृषि व ग्रामीण क्षेत्र (agricultural and rural sector) को ऋण और अन्य प्रकार की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखता है. इसके अलावा यह अन्य प्रकार की वित्तीय सहायता (financial assistance) के प्रबंधन और प्रावधान में विशेषज्ञता रखता है.
बैंक विनियमन : नाबार्ड राज्य सहकारी बैंकों (State Cooperative Banks- StCBs), जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों (District Cooperative Central Banks- DCCBs), और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks-RRBs) का पर्यवेक्षण करता है और इन बैंकों का वैधानिक निरीक्षण (statutory inspections) करता है.
उत्पत्ति
भारत सरकार (Government of India) के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था (rural economy) को बढ़ावा देने में संस्थागत ऋण (institutional credit) का महत्व योजना के प्रारंभिक चरण से ही स्पष्ट हो गया है. इसलिए, भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने भारत सरकार के आग्रह पर, कृषि और ग्रामीण विकास के लिए संस्थागत ऋण के लिए प्रबंधन की समीक्षा करने वाली कमेटी (Committee to Review the Arrangements for Institutional Credit for Agriculture and Rural Development-CRAFICARD) का गठन किया. इस कमेटी का गठन 30 मार्च 1979 को भारत सरकार के योजना आयोग के पूर्व सदस्य बी शिवरमण की अध्यक्षता में हुआ.
28 नवंबर, 1979 को कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट दाखिल की. जिसमें ग्रामीण विकास से जुड़े ऋण संबंधी मुद्दों पर अविभाजित ध्यान (undivided attention), सशक्त दिशा (forceful direction) और समर्पित लक्ष्य (dedicated focus) प्रदान करने के लिए एक नए संगठनात्मक उपकरण की जरूरत को रेखांकित किया गया था. कमेटी ने ऐसे एक अद्वितीय विकास वित्तीय संस्थान के गठन की सिफारिश की जो इन आकांक्षाओं को पूरा करता. इसके बाद राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) की स्थापना को संसद द्वारा 1981 के अधिनियम 61 के तहत अनुमोदित किया गया था.
आरबीआई के कृषि ऋण कार्यों और तत्कालीन कृषि पुनर्वित्त और विकास निगम (Agricultural Refinance and Development Corporation- ARDC) के पुनर्वित्त कार्यों को स्थानांतरित करने के बाद 12 जुलाई 1982 को नाबार्ड अस्तित्व में आया.
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (the then Prime Minister Smt. Indira Gandhi) ने 5 नवंबर 1982 को राष्ट्र की सेवा में इस संस्थान को समर्पिच किया.
100 करोड़ रुपये के प्रारंभिक पूंजी के साथ स्थापित संस्थान की चुकता पूंजी 31 मार्च, 2021 तक 15,080 करोड़ रुपये थी.
कुछ प्रमुख उपलब्धियां
वित्तीय संस्थानों द्वारा फसल उत्पादन के लिए किसानों को फसल ऋण दिया जाता है, जो देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता करते हैं। वर्ष 2019-20 के दौरान, नाबार्ड ने सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को मौसमी कृषि कार्यों के लिए ₹92411 करोड़ और मौसमी कृषि कार्यों के अलावा अन्य के लिए ₹7971 का वितरण किया है।
वित्तीय संस्थानों द्वारा फसल उत्पादन के लिए किसानों को फसल ऋण दिया जाता है, जो देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक होता है. वर्ष 2019-20 के दौरान, नाबार्ड ने सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (cooperative banks and RRBs) को मौसमी कृषि कार्यों (Seasonal Agriculture Operations) के लिए 92411 करोड़ रुपये और मौसमी कृषि कार्यों के अलावा अन्य के लिए 7971 करोड़ रुपये का वितरण किया है.
ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास कोष (Rural Infrastructure Development Fund- RIDF) की स्थापना 1995-96 में नाबार्ड के साथ हुई. ग्रामीण बुनियादी ढांचा परियोजना को समर्थन देने के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (scheduled commercial banks) द्वारा प्राथमिक क्षेत्रों को ऋण देने में कमी के कारण RIDF की स्थापना की गई थी.
नाबार्ड ने 2019-20 के दौरान 26,266 करोड़ रुपये का वितरण किया था. आज RIDF देश में ग्रामीण बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में महत्वपूर्ण योगदान देता है.
विजन - ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा (Fostering Rural Prosperity) देने के लिए राष्ट्र का विकास बैंक (Development Bank of the Nation).
मिशन - स्मृद्धि की प्राप्ति के लिए सहभागी वित्तीय (participative financial) और गैर-वित्तीय हस्तक्षेप (non-financial interventions), नवाचार (innovations), प्रौद्योगिकी और संस्थागत विकास (technology and institutional development) के माध्यम से सतत और साम्यिक कृषि और ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करना.
पहल - इसकी पहल का उद्देश्य विशिष्ट लक्ष्य उन्मुख विभागों के माध्यम से एक सशक्त और वित्तीय रूप से समावेशी ग्रामीण भारत (financially inclusive rural India) का निर्माण करना है, जो तीन प्रमुखों में वर्गीकृत किया जा सकता है :
वित्तीय
विकासात्मक और
पर्यवेक्षण
पिछले कुछ वर्षों में इस पहल ने देशभर के लाखों ग्रामीणों तक पहुंच पाया है.
नाबार्ड की ओर से 1992 में शुरू की गई एसएचजी (Self Help Group) बैंक लिंकेज परियोजना (SHG Bank Linkage Project) दुनिया की सबसे बड़ी सूक्ष्म वित्त परियोजना (micro finance project) के रूप में विकसित हुई है.
किसान क्रेडिट कार्ड योजना (The Kisan Credit Card scheme) भारत सरकार (Government of India) की एक योजना है जो किसानों को समय पर ऋण उपलब्ध कराती है. नाबार्ड की ओर से किसान क्रेडिट कार्ड (Kishan Credit Card-KCC) योजना 1998 में शुरू की गई जिसका उद्देश्य किसानों को अल्पकालिक औपचारिक ऋण (short-term formal credit) प्रदान करना है.
नाबार्ड के विषय में रौचक तथ्य
नाबार्ड की ओर से भारत के कुल ग्रामीण बुनियादी ढांचे (India’s total rural infrastructure) का पांचवां हिस्सा वित्तपोषित किया जाता है.
सतत क्लाइमेट प्रुफिंग के लिए उपकरण के तौर पर जलविभाजन विकास के क्षेत्र में यह अग्रणी है.
कुल परियोजना लागत के एक हिस्से को सब्सिडी बनाने द्वारा भारत सरकार चुनिंदा क्षेत्रों में परियोजनाएं शुरू कर किसानों को प्रोत्साहित करती है. इन सभी परियोजनाओं का उद्देश्य पूंजीनिवेश, निरंतर आय प्रवाह और राष्ट्रीय महत्व के रोजगार क्षेत्रों को बढ़ाना है.
नाबार्ड इनमें से कुछ योजनाओं में सरकार का एक गौरवान्वित चैनल पार्टनर है-
- डेयरी उद्यमिता विकास योजना (Dairy Entrepreneurship Development Scheme)
- जैविक आदानों की वाणिज्यिक उत्पादन इकाइयां (Commercial production units of organic inputs)
- कृषि क्लिनिक और कृषि व्यवसाय केंद्र योजना (Agri clinic and Agri business Centers Scheme)
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission)
- GSS - जारी की गई सब्सिडी का अंतिम उपयोग सुनिश्चित करना (Ensuring End Use of Subsidy Released)
- इंटरेस्ट सबवेंशन स्किम (Interest Subvention Scheme)
- नई कृषि विपणन अवसंरचना (New Agricultural Marketing Infrastructure)