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यूपी-बिहार-उत्तराखंड-झारखंड-बंगाल में 38 फीसदी जलाशय सूखे : रिपोर्ट

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Published : May 18, 2022, 9:12 PM IST

गंगा नदी से सटे पांच राज्यों- यूपी, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड और प.बंगाल- में 38 फीसदी जलाशय सूख चुके हैं. यह दावा एक सर्वे में किया गया है. सर्वेक्षण के अनुसार, उत्तर प्रदेश के 41 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल के 17 प्रतिशत, उत्तराखंड के 84 प्रतिशत, बिहार के 35 प्रतिशत और झारखंड के 16 प्रतिशत जलाशय सूख गए हैं.

pond , concept photo
तालाब, कॉन्सेप्ट फोटो

नई दिल्ली : उत्तर भारत में बढ़ती गर्मी के बीच एक चिंताजनक तथ्य सामने आया है कि क्षेत्र की जीवनरेखा मानी जाने वाली नदी गंगा की घाटी में बसे पांच राज्यों.. उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में औसतन करीब 38 प्रतिशत जलाशय सूख गए हैं. एक रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है. इसकी वजह आबादी की बसावट का विस्तार, ठोस कचरा फेंकने एवं अन्य कारण बताये गये हैं.

देश में घटते भूगर्भ जल के कारण उत्पन्न संकट के बीच गंगा नदी घाटी के इन पांच राज्यों में सिकुड़ते जलाशयों ने चिंता बढ़ा दी है. इन जलाशयों में तालाब, कुएं और बावड़ी आदि शामिल हैं. क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया एवं राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के जलाशयों की एक ताजा गणना सर्वेक्षण रिपोर्ट के आंकड़े स्थिति की गंभीरता को प्रदर्शित करते हैं.

सर्वेक्षण के अनुसार, उत्तर प्रदेश के 41 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल के 17 प्रतिशत, उत्तराखंड के 84 प्रतिशत, बिहार के 35 प्रतिशत और झारखंड के 16 प्रतिशत जलाशय सूख गए हैं. इस प्रकार, गंगा नदी घाटी के इन पांच राज्यों में औसतन करीब 38 प्रतिशत जलाशय सूख गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार काफी संख्या में सूखे जलाशयों में गंदगी सहित ठोस कचरा पाया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, गंगा बेसिन के पांच राज्यों के 2569 गांव में 41 पर्यवेक्षकों के दल ने सर्वेक्षण किया और 1100 जलाशय को देखा. इस कार्य में 23,100 डाटाप्रिंट तथा 1,49,346 चित्र लिये गए तथा ड्रोन तकनीक का भी उपयोग किया गया.

इसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश में गंगा नदी घाटी के 11 जिलों में सर्वेक्षण किये गए 245 गांव में 329 जलाशय पाए गए. इनमें से 20 प्रतिशत जलाशय अच्छी हालत में थे, जबकि 27 प्रतिशत में शैवाल सहित जलीय पौधे पाए गए.

रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल में सर्वेक्षण किये गए 360 गंगा गांव में 558 जलाशय पाए गए. इसमें से 70 प्रतिशत जलाशय अच्छी हालत में थे, जबकि 10 प्रतिशत में शैवाल सहित जलीय पौधे पाए गए. इसके अनुसार उत्तराखंड में सर्वेक्षण किये गए 29 गांव में 44 जलाशय मिले. इनमें से 12 प्रतिशत अच्छी हालत में मिले, जबकि दो प्रतिशत में शैवाल सहित जलीय पौधे पाए गए.

रिपोर्ट के अनुसार बिहार में सर्वेक्षण में गंगा नदी घाटी के 67 गांवों में 113 जलाशय पाए गए. इनमें से 32 प्रतिशत जलाशय अच्छी हालत में पाए गए, जबकि 21 प्रतिशत में शैवाल सहित जलीय पौधे पाए गए. रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में सर्वेक्षण किये गए 33 गांव में 56 जलाशय पाए गए. इनमें से 63 प्रतिशत अच्छी हालत में पाए गए जबकि 16 प्रतिशत में शैवाल सहित जलीय पौधे पाए गए.

गौरतलब है कि देश में पानी की समस्या एवं भूजल स्तर के लगातार नीचे गिरने की स्थिति को देखते हुए जल शक्ति मंत्रालय ने हर जिला मुख्यालय में ‘वर्षा केंद्र ’स्थापित करने पर जोर दिया है. इन वर्षा केंद्रों को “जल शक्ति केंद्रों” के रूप में विकसित किया जा रहा है.

ये वर्षा केंद्र जल संबंधी मामलों जैसे वर्षा जल संचयन प्रणाली (आरडब्ल्यूएचएस) की स्थापना, जल निकायों से गाद की सफाई, भू-जल संचयन, कृषि, उद्योग और पेयजल में पानी को बचाने के तरीकों इत्यादि के बारे में ज्ञान केंद्रों के रूप में काम कर रहे हैं.

इसके अलावा, मंत्रालय ‘कैच दी रेन’ अभियान भी चला रहा है. इसके तहत वर्षा जल को एकत्रित करने वाले गड्ढे, चेक डैम आदि बनाने, जलाशयों की संग्रहण क्षमता बढ़ाने के लिए उनमें अतिक्रमण दूर करने, बारिश के पानी को जलाशयों तक लाने वाले मार्गों को साफ करने जैसे अभियान चलाये जा रहे हैं.

(PTI)

नई दिल्ली : उत्तर भारत में बढ़ती गर्मी के बीच एक चिंताजनक तथ्य सामने आया है कि क्षेत्र की जीवनरेखा मानी जाने वाली नदी गंगा की घाटी में बसे पांच राज्यों.. उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में औसतन करीब 38 प्रतिशत जलाशय सूख गए हैं. एक रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है. इसकी वजह आबादी की बसावट का विस्तार, ठोस कचरा फेंकने एवं अन्य कारण बताये गये हैं.

देश में घटते भूगर्भ जल के कारण उत्पन्न संकट के बीच गंगा नदी घाटी के इन पांच राज्यों में सिकुड़ते जलाशयों ने चिंता बढ़ा दी है. इन जलाशयों में तालाब, कुएं और बावड़ी आदि शामिल हैं. क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया एवं राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के जलाशयों की एक ताजा गणना सर्वेक्षण रिपोर्ट के आंकड़े स्थिति की गंभीरता को प्रदर्शित करते हैं.

सर्वेक्षण के अनुसार, उत्तर प्रदेश के 41 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल के 17 प्रतिशत, उत्तराखंड के 84 प्रतिशत, बिहार के 35 प्रतिशत और झारखंड के 16 प्रतिशत जलाशय सूख गए हैं. इस प्रकार, गंगा नदी घाटी के इन पांच राज्यों में औसतन करीब 38 प्रतिशत जलाशय सूख गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार काफी संख्या में सूखे जलाशयों में गंदगी सहित ठोस कचरा पाया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, गंगा बेसिन के पांच राज्यों के 2569 गांव में 41 पर्यवेक्षकों के दल ने सर्वेक्षण किया और 1100 जलाशय को देखा. इस कार्य में 23,100 डाटाप्रिंट तथा 1,49,346 चित्र लिये गए तथा ड्रोन तकनीक का भी उपयोग किया गया.

इसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश में गंगा नदी घाटी के 11 जिलों में सर्वेक्षण किये गए 245 गांव में 329 जलाशय पाए गए. इनमें से 20 प्रतिशत जलाशय अच्छी हालत में थे, जबकि 27 प्रतिशत में शैवाल सहित जलीय पौधे पाए गए.

रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल में सर्वेक्षण किये गए 360 गंगा गांव में 558 जलाशय पाए गए. इसमें से 70 प्रतिशत जलाशय अच्छी हालत में थे, जबकि 10 प्रतिशत में शैवाल सहित जलीय पौधे पाए गए. इसके अनुसार उत्तराखंड में सर्वेक्षण किये गए 29 गांव में 44 जलाशय मिले. इनमें से 12 प्रतिशत अच्छी हालत में मिले, जबकि दो प्रतिशत में शैवाल सहित जलीय पौधे पाए गए.

रिपोर्ट के अनुसार बिहार में सर्वेक्षण में गंगा नदी घाटी के 67 गांवों में 113 जलाशय पाए गए. इनमें से 32 प्रतिशत जलाशय अच्छी हालत में पाए गए, जबकि 21 प्रतिशत में शैवाल सहित जलीय पौधे पाए गए. रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में सर्वेक्षण किये गए 33 गांव में 56 जलाशय पाए गए. इनमें से 63 प्रतिशत अच्छी हालत में पाए गए जबकि 16 प्रतिशत में शैवाल सहित जलीय पौधे पाए गए.

गौरतलब है कि देश में पानी की समस्या एवं भूजल स्तर के लगातार नीचे गिरने की स्थिति को देखते हुए जल शक्ति मंत्रालय ने हर जिला मुख्यालय में ‘वर्षा केंद्र ’स्थापित करने पर जोर दिया है. इन वर्षा केंद्रों को “जल शक्ति केंद्रों” के रूप में विकसित किया जा रहा है.

ये वर्षा केंद्र जल संबंधी मामलों जैसे वर्षा जल संचयन प्रणाली (आरडब्ल्यूएचएस) की स्थापना, जल निकायों से गाद की सफाई, भू-जल संचयन, कृषि, उद्योग और पेयजल में पानी को बचाने के तरीकों इत्यादि के बारे में ज्ञान केंद्रों के रूप में काम कर रहे हैं.

इसके अलावा, मंत्रालय ‘कैच दी रेन’ अभियान भी चला रहा है. इसके तहत वर्षा जल को एकत्रित करने वाले गड्ढे, चेक डैम आदि बनाने, जलाशयों की संग्रहण क्षमता बढ़ाने के लिए उनमें अतिक्रमण दूर करने, बारिश के पानी को जलाशयों तक लाने वाले मार्गों को साफ करने जैसे अभियान चलाये जा रहे हैं.

(PTI)

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