नई दिल्ली : कतर में 2013 से लेकर 28 फरवरी 2023 तक जान गंवाने वाले भारतीयों की कुल संख्या 3136 है. यह जानकारी सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में दी. इस बारे में केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन (Union Minister for State for External Affairs V. Muraleedharan) ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजीव अरोड़ा के एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि 2700 से अधिक भारतीय प्रवासी मजदूरों की मौत के कारणों का विश्लेषण करने के लिए कहा गया था. इस बारे में सरकार ने कहा कि फीफा विश्व कप से संबंधित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर कतर में पिछले दस साल में ये लोग काम कर रहे हैं.
इसी क्रम में विदेश मंत्रालय ने एक डेटा पेश करते हुए कहा कि पिछले दस साल में सड़क यातायात की घटनाओं, साइट की घटनाओं, प्राकृतिक मौतों, आत्महत्याओं और अन्य कारणों सहित कुल 3136 भारतीयों ने कतर में अपनी जान गंवाई. आंकड़ों के अनुसार 2013 से 28 फरवरी 2023 तक 262 भारतीयों ने सड़क यातायात की घटनाओं की वजह से दम तोड़ा, वहीं 112 लोगों ने साइट दुर्घटनाओं, 195 ने आत्महत्या, 1370 प्राकृतिक मौत और 1197 ने अन्य कारणों की वजह से अपनी जान गंवाई.
वहीं कतर की कंपनियों/सरकार से इन प्रवासी श्रमिकों के निकट संबंधियों द्वारा प्राप्त मुआवजे पर विदेश राज्यमंत्री ने बताया कि मौत का मुआवजा कतर के कानून के मुताबिक सड़क यातायात दुर्घटनाओं और कार्य स्थल दुर्घटनाओं पर लागू होता है. ऐसे मामले में दूतावास के अलावा स्थानीय पुलिस और कतर की अदालतें मामले को आगे बढ़ाती हैं. साथ ही मृतक के परिवार के सदस्यों को नियमित आधार पर विकास और मामले की नवीनतम जानकारी से अवगत कराया जाता है. उन्होंने कहा कि अधिकतर मामलों में दूतावास मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी से मुख्तारनामा लेता है और एक बार मुआवजा प्राप्त हो जाने के बाद मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों को भेज दिया जाता है.
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