अहमदाबाद : एक मंदिर में भगवान हनुमान को स्वामीनारायण संप्रदाय के संत सहजानंद स्वामी के सामने घुटने टेकते हुए चित्रित किया गया था. इसी सारंगपुर विवाद को लेकर अहमदाबाद के साधु संतों ने अहम बैठक की. इस बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया है. साधु संतों ने फैसला लिया है कि वे स्वामीनारायण मंदिर नहीं जाएंगे और स्वामीनारायण संतों को स्वीकार नहीं करेंगे (Outrage among monks and saints).
बैठक में राज्य भर से बड़ी संख्या में साधु-संत शामिल हुए. इनमें महामंडलेश्वर विश्वेश्वरी भारतीजी माता, महामंडलेश्वर श्री कल्याणंद भारती बापू, महामंडलेश्वर ऋषिभारती बापू सरखेज, महामंडलेश्वर महेंद्रगिरि बापू जूनागढ़, मोहनदास बापू, दिलीप दास बापू, ज्योति नाथ बापू, देवनाथ बापू कच्छ, महामंडलेश्वर प्रेमानंद बापू, राजशास्त्री बापू दाहोद, हर्षद भारती बापू नासिक सहित बड़ी संख्या में साधु-संत मौजूद रहे.
डॉ. ज्योतिर्नाथ महाराज ने कहा कि 'अभी तो शुरुआत है, हम स्वामीनारायण संतों के साथ किसी भी कार्यक्रम में नहीं जाएंगे और उन्हें बुलाएंगे भी नहीं. हम अपने अनुयायियों को अनुसरण करने के लिए ये सभी बातें समझाएंगे. हम स्वामीनारायण मंदिर नहीं जाएंगे, अब कोई समझौता नहीं. सिर्फ विवाद का क्षेत्र ही नहीं बल्कि उनके साहित्य में जिस तरह से अक्सर भगवान का अपमान किया जाता है. इसे लेकर भी साधु संतों में विरोध है.'
विभिन्न प्रस्ताव पारित: साणंद के लांबेनारायण आश्रम में दी गई जानकारी के अनुसार डाॅ. ज्योतिर्नाथ बापू की अध्यक्षता में आयोजित संत सम्मेलन में 13 विभिन्न प्रस्ताव पारित किए गए हैं. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में अखिल भारतीय संत समिति की बैठक हुई है. इनमें स्वामीनारायण संप्रदाय के संत नौतम स्वामी को निष्कासित कर दिया गया है.
ये है पूरा मामला : गुजरात के बोटाद जिले के एक मंदिर में भगवान हनुमान को स्वामीनारायण संप्रदाय के संत सहजानंद स्वामी के सामने घुटने टेकते हुए चित्रित किया गया था. इसे लेकर ही साधु संतों में आक्रोश है. दरअसल मंदिर प्रबंधन ने कुछ महीने पहले, मंदिर परिसर में भगवान हनुमान की 54 फुट की मूर्ति स्थापित की थी. इसके आसन की दीवार भित्तिचित्रों से ढकी हुई है, जिनमें से कम से कम दो भित्तिचित्रों के कारण विवाद उत्पन्न हुआ जिसमें भगवान हनुमान को सहजानंद स्वामी को प्रणाम करते हुए दिखाया गया था.
विशेष रूप से, कई पंथों में विभाजित स्वामीनारायण संप्रदाय सहजानंद स्वामी (1781-1830) को भगवान स्वामीनारायण के रूप में संदर्भित करता है.
तीन गिरफ्तार : विवादित भित्तिचित्र क्षतिग्रस्त करने और विरूपित करने के आरोप में पुलिस ने तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी.
आरोपियों में से एक की पहचान हर्षद गढवी के रूप में हुई है. सोशल मीडिया पर सामने आये वीडियो में उक्त आरोपी जिले के सालंगपुर स्थित मंदिर में विवादास्पद भित्तिचित्र तोड़ते हुए दिखा था.
पुलिस अधीक्षक किशोर बलोलिया ने बताया कि दो अन्य आरोपी जयसिंह भरवाड और बलदेव भरवाड भी उसके सहयोगी थे और दोनों उसके साथ मौके पर गए थे.
प्रथम दृष्टया, गढवी बैरिकेड पार करता हुआ प्रतिमा तक पहुंच गया और उसने भित्तिचित्रों को क्षतिग्रस्त करने के साथ ही उस पर कालिख पोत दी. पुलिस ने शनिवार को उसे पकड़ लिया. गढवी के इस कृत्य का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया.
बरवाला पुलिस थाने के एक अधिकारी बताया कि शनिवार रात को गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295 (ए) (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 153 (ए) (धर्म आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 506 (2) (आपराधिक धमकी), 120 (बी) (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मंदिर की सुरक्षा कड़ी : इस बीच, मंदिर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई गई है. पूजा-अर्चना के लिए मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं मिलने के चलते श्रद्धालु रविवार को मंदिर परिसर के बाहर एकत्रित हो गए. उनमें से कुछ भित्तिचित्रों में चित्रण के विरोध में बैनर लिए हुए थे. कथावाचक मोरारी बापू ने बिना किसी का नाम लिए भित्तिचित्रों में चित्रण का विरोध किया था. इसके अलावा अहमदाबाद के भगवान जगन्नाथ मंदिर के दिलीपदासजी महाराज ने भी कहा था कि किसी को भी ऐसे कृत्य में लिप्त नहीं होना चाहिए जो किसी धर्म का अपमान करते हों.
(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)