भरतपुर. मानव सेवा और इंसानियत का धर्म निभा रहे अपना घर आश्रम ने इस बार रक्षाबंधन पर एक और मिसाल पेश किया है. यहां निवासरत प्रभुजनों का आपस में ना तो कोई रक्त संबंध है और ना ही एक मां से जन्मे हैं, फिर भी यहां निवासरत 2900 बहनों ने यहां रह रहे 2300 भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा. इतना ही नहीं, आश्रम में निवासरत दर्जनों मुस्लिम बहनों ने धर्म की बंदिशों से परे जाकर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी को राखी बांधी, साथ ही देशवासियों को आपस में मिलकर और भाइचारे के साथ रहने का संदेश दिया.
2900 बहनों ने बांधी राखी : आश्रम संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में बुधवार को धूमधाम से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया गया. आश्रम में निवासरत करीब 2900 बहनों ने धर्म, जाति को भुलाकर करीब 2300 भाइयों को राखी बांधी. इनमें सभी धर्म और जाति के प्रभुजन शामिल हैं. डॉ. भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में कई महिला प्रभुजन ऐसी हैं जो स्वस्थ हैं और घर जाना चाहती हैं, लेकिन भाई और परिजन उन्हें साथ नहीं ले जाना चाहते. कई परिजनों ने तो आश्रम के नंबर तक ब्लॉक कर दिए हैं. हमारा प्रयास रहता है कि ऐसे प्रभुजनों को यहां किसी तरह की कोई कमी महसूस न हो. उन्हें हर वो खुशी मिले, जिनके वो हकदार हैं.
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प्रेम ही सबसे बड़ा धर्म : लखनऊ की परवीन बानो करीब एक साल से अपना घर आश्रम में रह रही है. परवीन ने बुधवार को रक्षाबंधन के अवसर पर आश्रम के कई प्रभुजनों को राखी बांधी. परवीन ने बताया कि उसके यहां मुस्लिम त्योहारों के साथ ही हिंदुओं के सभी त्योहार होली, दीपावली मनाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि वो फैजाबाद में अपने सभी 6 भाइयों को राखी बांधती थी. इस बार आश्रम में करीब 15 प्रभुजनों को राखी बांधी. परवीन बानो ने भाइचारे का संदेश देते हुए कहा कि सभी धर्मों के लोगों को आपस में प्रेम से रहना चाहिए. धर्मों में कुछ नहीं सबसे बड़ा धर्म प्रेम और इंसानियत है. जब सभी के शरीर में खून लाल है तो धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं होना चाहिए.
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दिल्ली निवासी मुस्कान बीते साढ़े 3 साल से आश्रम में रह रही हैं. हिंदू व्यक्ति से विवाह किया इसलिए मुस्कान ना केवल हिंदू, मुस्लिम बल्कि सभी धर्मों को समान मानती हैं. यही वजह है कि मुस्कान ने बुधवार को आश्रम में कई प्रभुजनों को राखी बांधी. इसी तरह दिलशाद, परवीन और अन्य मुस्लिम बहनों ने भी रक्षाबंधन का त्योहार मनाया. आश्रम में निवासरत 143 बालिकाओं ने 146 बालकों को तिलक लगाकर राखी बांधी.