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गांधी विरासत पोर्टल पर 27 लाख पेजों का हुआ डिजिटलीकरण

गांधीजी ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा इसी आश्रम में बिताया था. गांधीजी ने यहां कई रचनात्मक गतिविधियां भी कीं. इसी सिलसिले में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 2013 में 'गांधी विरासत पोर्टल' का उद्घाटन किया था. इस पोर्टल को गांधी आश्रम संचालित करता है.

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Published : Oct 1, 2021, 8:16 AM IST

Updated : Oct 1, 2021, 8:35 AM IST

गांधी विरासत पोर्टल
गांधी विरासत पोर्टल

अहमदाबाद: 2 अक्टूबर का दिन भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इस दिन भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था. 2 अक्टूबर को हर वर्ष गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है. महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. अंग्रेजों से आजादी दिलाने में महात्मा गांधी का विशेष योगदान रहा है. इस साल महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मनाई जाएगी.

इस मौके पर साबरमती आश्रम की बात न हो तो वह बेमानी होगी. गांधीजी और साबरमती आश्रम का रिश्ता बहुत पुराना और गहरा है. बता दें, अहमदाबाद का साबरमती आश्रम गांधीजी के घर और स्मृति चिन्ह के लिए जाना जाता है. गांधीजी ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा इसी आश्रम में बिताया था. गांधीजी ने यहां कई रचनात्मक गतिविधियां भी कीं. इसी सिलसिले में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 2013 में 'गांधी विरासत पोर्टल' का उद्घाटन किया था. इस पोर्टल को गांधी आश्रम संचालित करता है.

गांधी विरासत पोर्टल

ईटीवी भारत से बात करते हुए साबरमती आश्रम के आईटी और प्रौद्योगिकी प्रमुख विराट कोठारी ने बताया कि यह पोर्टल पूरी दुनिया के लिए 'फ्री' है. उन्होंने आगे कहा कि इस पोर्टल के लिए दुनिया भर से सामग्री देने का अनुरोध किया गया था. इसके साथ-साथ गांधीवादी संस्थानों से भी सामग्री मांगी गई थी. विराट ने कहा कि आज की तारीख में हमारे पास जो किताबें, पत्र आदि हैं, वे भी डिजीटल हो गए हैं.

गांधी विरासत पोर्टल
गांधी विरासत पोर्टल

विराट ने बताया कि यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. इस पोर्टल पर अब तक करीब 27 लाख पेज अपलोड किए जा चुके हैं. इस पोर्टल पर हर महीने लगभग 30,000 पेज अपलोड होते हैं. इसके लिए कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया है. कोरोना के चलते स्टाफ की कमी कर दी गई है. जिस वजह से कोरोना काल में हर महीने 10 से 15 हजार पेज अपलोड किए गए हैं.

गांधी विरासत पोर्टल
गांधी विरासत पोर्टल

दुनियाभर के कई विश्वविद्यालयों में संदर्भ के रूप में उपयोगी

विराट कोठारी ने आगे बताया कि यह पोर्टल दुनिया के 191 देशों में उपलब्ध है. इस पोर्टल पर उपलब्ध सामग्री का उपयोग दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों में संदर्भ के रूप में किया जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस पोर्टल पर अपलोड की गई हर सामग्री की प्रामाणिकता की जांच की जाती है. किताबों के अलावा गांधी से जुड़े स्थान भी वस्तुतः उपलब्ध हैं, न केवल महात्मा से संबंधित साहित्य, बल्कि वर्चुअल वॉक थ्रू भी इस पोर्टल पर अपलोड किया गया है. गांधीजी के हर आश्रम को देखा जा सकता है. इसके अलावा, गांधीजी से जुड़े स्थानों को भी देखा जा सकता है. गांधीजी के दैनिक जीवन को पढ़ा जा सकता है. गांधी आश्रम के साथ-साथ इसकी सामग्री की 3डी मॉडलिंग भी इस पोर्टल पर उपलब्ध है.

भारतीय आगंतुकों की संख्या सबसे ज्यादा

इस पोर्टल की विशेषता यह है कि यह इस बात को अधिक महत्व देता है कि प्रत्येक आगंतुक दैनिक आगंतुकों की तुलना में पोर्टल पर कितना समय व्यतीत करता है. आधे घंटे से अधिक समय व्यतीत करने पर प्रतिदिन 1700 से 1800 आगंतुक आते हैं जो गांधी के जीवन के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं. आगंतुकों के मामले में गर्व की बात यह है कि भारत पहले आता है. दूसरे स्थान पर अमेरिका और तीसरे स्थान पर इंग्लैंड है.

अहमदाबाद: 2 अक्टूबर का दिन भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इस दिन भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था. 2 अक्टूबर को हर वर्ष गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है. महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. अंग्रेजों से आजादी दिलाने में महात्मा गांधी का विशेष योगदान रहा है. इस साल महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मनाई जाएगी.

इस मौके पर साबरमती आश्रम की बात न हो तो वह बेमानी होगी. गांधीजी और साबरमती आश्रम का रिश्ता बहुत पुराना और गहरा है. बता दें, अहमदाबाद का साबरमती आश्रम गांधीजी के घर और स्मृति चिन्ह के लिए जाना जाता है. गांधीजी ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा इसी आश्रम में बिताया था. गांधीजी ने यहां कई रचनात्मक गतिविधियां भी कीं. इसी सिलसिले में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 2013 में 'गांधी विरासत पोर्टल' का उद्घाटन किया था. इस पोर्टल को गांधी आश्रम संचालित करता है.

गांधी विरासत पोर्टल

ईटीवी भारत से बात करते हुए साबरमती आश्रम के आईटी और प्रौद्योगिकी प्रमुख विराट कोठारी ने बताया कि यह पोर्टल पूरी दुनिया के लिए 'फ्री' है. उन्होंने आगे कहा कि इस पोर्टल के लिए दुनिया भर से सामग्री देने का अनुरोध किया गया था. इसके साथ-साथ गांधीवादी संस्थानों से भी सामग्री मांगी गई थी. विराट ने कहा कि आज की तारीख में हमारे पास जो किताबें, पत्र आदि हैं, वे भी डिजीटल हो गए हैं.

गांधी विरासत पोर्टल
गांधी विरासत पोर्टल

विराट ने बताया कि यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. इस पोर्टल पर अब तक करीब 27 लाख पेज अपलोड किए जा चुके हैं. इस पोर्टल पर हर महीने लगभग 30,000 पेज अपलोड होते हैं. इसके लिए कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया है. कोरोना के चलते स्टाफ की कमी कर दी गई है. जिस वजह से कोरोना काल में हर महीने 10 से 15 हजार पेज अपलोड किए गए हैं.

गांधी विरासत पोर्टल
गांधी विरासत पोर्टल

दुनियाभर के कई विश्वविद्यालयों में संदर्भ के रूप में उपयोगी

विराट कोठारी ने आगे बताया कि यह पोर्टल दुनिया के 191 देशों में उपलब्ध है. इस पोर्टल पर उपलब्ध सामग्री का उपयोग दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों में संदर्भ के रूप में किया जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस पोर्टल पर अपलोड की गई हर सामग्री की प्रामाणिकता की जांच की जाती है. किताबों के अलावा गांधी से जुड़े स्थान भी वस्तुतः उपलब्ध हैं, न केवल महात्मा से संबंधित साहित्य, बल्कि वर्चुअल वॉक थ्रू भी इस पोर्टल पर अपलोड किया गया है. गांधीजी के हर आश्रम को देखा जा सकता है. इसके अलावा, गांधीजी से जुड़े स्थानों को भी देखा जा सकता है. गांधीजी के दैनिक जीवन को पढ़ा जा सकता है. गांधी आश्रम के साथ-साथ इसकी सामग्री की 3डी मॉडलिंग भी इस पोर्टल पर उपलब्ध है.

भारतीय आगंतुकों की संख्या सबसे ज्यादा

इस पोर्टल की विशेषता यह है कि यह इस बात को अधिक महत्व देता है कि प्रत्येक आगंतुक दैनिक आगंतुकों की तुलना में पोर्टल पर कितना समय व्यतीत करता है. आधे घंटे से अधिक समय व्यतीत करने पर प्रतिदिन 1700 से 1800 आगंतुक आते हैं जो गांधी के जीवन के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं. आगंतुकों के मामले में गर्व की बात यह है कि भारत पहले आता है. दूसरे स्थान पर अमेरिका और तीसरे स्थान पर इंग्लैंड है.

Last Updated : Oct 1, 2021, 8:35 AM IST
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