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उत्तर प्रदेश : प्रयागराज में एक ही परिवार के 26 लोगों ने कोरोना को दी मात - कोरोना को दी मात

प्रयागराज में एक परिवार के 26 लोगों ने कोरोना को हराकर दूसरों के लिए मिसाल पेश की है. परिवार का कहना है कि संकट की इस घड़ी में सभी सदस्यों ने एक दूसरे का साथ दिया. साथ ही कोरोना गाइडलाइंस का पालन और संयमित जीवन, योग के जरिए स्वस्थ होने में कामयाबी हासिल की.

26 लोगों ने कोरोना को दी मात
26 लोगों ने कोरोना को दी मात
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Published : May 13, 2021, 10:36 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के एक परिवार के 26 लोगों ने कोरोना महामारी को हराकर दूसरों के लिए मिसाल पेश की है. अप्रैल महीने की शुरुआत से इस परिवार में एक-एक करके 26 लोग कोरोना की चपेट में आ गए थे. फिर सभी ने संकट की इस घड़ी में एक दूसरे का साथ दिया, जिसका नतीजा है कि परिवार के छोटे बच्चे से लेकर 85 साल के एक किडनी पर जीवन बीता रहे बुजुर्ग भी कोरोना से ठीक हो गए.

इस परिवार ने कोविड गाइडलाइंस और संयमित जीवन, पौष्टिक खान-पान के साथ योग के जरिए कोरोना को हराया. अब परिवार का हर सदस्य स्वस्थ है.

साउथ मलाका में 85 वर्षीय राघवेंद्र प्रसाद मिश्रा अपने 8 बेटों और उनके परिवारों के साथ रहते हैं. अप्रैल महीने की शुरुआत के साथ ही उनके घर में कोरोना ने दस्तक दे दी थी. जिसके बाद एक-एक करके परिवार के 26 लोग महामारी की चपेट में आते गए.

एक ही परिवार के संक्रमित 26 लोगों ने कोरोना को दी मात

उस वक्त मोहल्ले के लोग भी इनके घर के पास से गुजरने से डरने लगे थे, लेकिन इस परिवार की एकता और नियम, संयम के पालन, दवा और इलाज की बेहतर व्यवस्था ने इस परिवार के सभी सदस्यों को महामारी से सुरक्षित बचा लिया है.

एक किडनी पर जीवन गुजार रहे राघवेन्द्र प्रसाद

परिवार के मुखिया राघवेन्द्र प्रसाद मिश्रा ने 2012 में अपनी एक किडनी अपने बेटे को दे दी थी. इसके बाद वो एक किडनी के सहारे ही जीवन गुजार रहे हैं. ऐसे में जब 12 अप्रैल को उनको बुखार आने के बाद उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उनका पूरा परिवार घबरा गया.

तब राघवेन्द्र ने अपने सभी बेटे और बहुओं का हौसला बढ़ाया. उन्होंने सभी को बुलाकर कहा कि तुम लोग घबराओ नहीं, मैं जल्दी ठीक हो जाऊंगा.

उसके बाद उन्होंने उम्र के इस पड़ाव में भी योग और व्यायाम करने के साथ ही खानपान का पूरा ध्यान दिया. जिसका नतीजा है कि एक किडनी होने के बावजूद उन्होंने बुलंद हौसलों की बदौलत महामारी को मात दी.

डेंटिस्ट बेटे ने परिवार का रखा ध्यान

राघवेंद्र प्रसाद के एक बेटे पेशे से डेंटिस्ट हैं. परिवार के संक्रमित सदस्यों की देखरेख करने के दौरान वो भी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे. पॉजिटिव होने के बावजूद उन्होंने अपने परिवार के छोटे और बड़े सदस्यों का पूरा ध्यान रखा.

वो समय-समय पर सभी का पल्स और ऑक्सीजन लेवल चेक करने के साथ ही बीपी भी नाप रहे थे. उस दौरान बीच में कई बार ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उन्हें परिवार के सदस्यों के लिए ऑक्सीजन की भी व्यवस्था करनी पड़ी थी.

पढ़ें- साथियों के कंधों पर बंदूक रखकर चलाना बंद करें पंजाब के मुख्यमंत्री: सिद्धू

परिवार का इलाज करने वाले डॉ. मुनीर मिश्रा का कहना है कि जिस वक्त घर में इतने लोग संक्रमित हो गए थे तो उन्हें घर भी छोटे से अस्पताल जैसा दिखने लगा था.

बहू ने सभी को योगा कराया

राघवेन्द्र प्रसाद मिश्रा की बहू शशि ने योगा प्रशिक्षक की ट्रेनिंग ली हुई है. उनके परिवार के 31 सदस्यों में से 26 लोग जब कोरोना संक्रमित हो गए थे. उस समय शशि ने घर के सभी सदस्यों को योग करना सिखाया.

सुबह-शाम परिवार की सभी महिलाएं और पुरुष योग करते थे. शशि ने बताया कि उन्होंने राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से योग में डिप्लोमा किया है. इसके साथ ही उन्होंने बाबा रामदेव आश्रम से योग प्रशिक्षण की ट्रेनिंग ली है. उनकी वो ट्रेनिंग आज उनके परिवार वालों को महामारी से सुरक्षित रखने में काम आई.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के एक परिवार के 26 लोगों ने कोरोना महामारी को हराकर दूसरों के लिए मिसाल पेश की है. अप्रैल महीने की शुरुआत से इस परिवार में एक-एक करके 26 लोग कोरोना की चपेट में आ गए थे. फिर सभी ने संकट की इस घड़ी में एक दूसरे का साथ दिया, जिसका नतीजा है कि परिवार के छोटे बच्चे से लेकर 85 साल के एक किडनी पर जीवन बीता रहे बुजुर्ग भी कोरोना से ठीक हो गए.

इस परिवार ने कोविड गाइडलाइंस और संयमित जीवन, पौष्टिक खान-पान के साथ योग के जरिए कोरोना को हराया. अब परिवार का हर सदस्य स्वस्थ है.

साउथ मलाका में 85 वर्षीय राघवेंद्र प्रसाद मिश्रा अपने 8 बेटों और उनके परिवारों के साथ रहते हैं. अप्रैल महीने की शुरुआत के साथ ही उनके घर में कोरोना ने दस्तक दे दी थी. जिसके बाद एक-एक करके परिवार के 26 लोग महामारी की चपेट में आते गए.

एक ही परिवार के संक्रमित 26 लोगों ने कोरोना को दी मात

उस वक्त मोहल्ले के लोग भी इनके घर के पास से गुजरने से डरने लगे थे, लेकिन इस परिवार की एकता और नियम, संयम के पालन, दवा और इलाज की बेहतर व्यवस्था ने इस परिवार के सभी सदस्यों को महामारी से सुरक्षित बचा लिया है.

एक किडनी पर जीवन गुजार रहे राघवेन्द्र प्रसाद

परिवार के मुखिया राघवेन्द्र प्रसाद मिश्रा ने 2012 में अपनी एक किडनी अपने बेटे को दे दी थी. इसके बाद वो एक किडनी के सहारे ही जीवन गुजार रहे हैं. ऐसे में जब 12 अप्रैल को उनको बुखार आने के बाद उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उनका पूरा परिवार घबरा गया.

तब राघवेन्द्र ने अपने सभी बेटे और बहुओं का हौसला बढ़ाया. उन्होंने सभी को बुलाकर कहा कि तुम लोग घबराओ नहीं, मैं जल्दी ठीक हो जाऊंगा.

उसके बाद उन्होंने उम्र के इस पड़ाव में भी योग और व्यायाम करने के साथ ही खानपान का पूरा ध्यान दिया. जिसका नतीजा है कि एक किडनी होने के बावजूद उन्होंने बुलंद हौसलों की बदौलत महामारी को मात दी.

डेंटिस्ट बेटे ने परिवार का रखा ध्यान

राघवेंद्र प्रसाद के एक बेटे पेशे से डेंटिस्ट हैं. परिवार के संक्रमित सदस्यों की देखरेख करने के दौरान वो भी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे. पॉजिटिव होने के बावजूद उन्होंने अपने परिवार के छोटे और बड़े सदस्यों का पूरा ध्यान रखा.

वो समय-समय पर सभी का पल्स और ऑक्सीजन लेवल चेक करने के साथ ही बीपी भी नाप रहे थे. उस दौरान बीच में कई बार ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उन्हें परिवार के सदस्यों के लिए ऑक्सीजन की भी व्यवस्था करनी पड़ी थी.

पढ़ें- साथियों के कंधों पर बंदूक रखकर चलाना बंद करें पंजाब के मुख्यमंत्री: सिद्धू

परिवार का इलाज करने वाले डॉ. मुनीर मिश्रा का कहना है कि जिस वक्त घर में इतने लोग संक्रमित हो गए थे तो उन्हें घर भी छोटे से अस्पताल जैसा दिखने लगा था.

बहू ने सभी को योगा कराया

राघवेन्द्र प्रसाद मिश्रा की बहू शशि ने योगा प्रशिक्षक की ट्रेनिंग ली हुई है. उनके परिवार के 31 सदस्यों में से 26 लोग जब कोरोना संक्रमित हो गए थे. उस समय शशि ने घर के सभी सदस्यों को योग करना सिखाया.

सुबह-शाम परिवार की सभी महिलाएं और पुरुष योग करते थे. शशि ने बताया कि उन्होंने राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से योग में डिप्लोमा किया है. इसके साथ ही उन्होंने बाबा रामदेव आश्रम से योग प्रशिक्षण की ट्रेनिंग ली है. उनकी वो ट्रेनिंग आज उनके परिवार वालों को महामारी से सुरक्षित रखने में काम आई.

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