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ऑपरेशन सद्भावना के तहत कश्मीर के 24 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाएगी भारतीय सेना

ऑपरेशन सद्भावना चिनार कोर के तहत जम्मू-कश्मीर के 24 छात्र-छात्राओं को आर्मी पब्लिक स्कूल पिथौरागढ़ में 7वीं, 8वीं और 9वीं कक्षा में सेना की तरफ से एडमिशन मिला है. इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में भी जम्मू कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित इलाकों के 29 बच्चों को ऑपरेशन सद्भावना के तहत पढ़ाई के लिए पिथौरागढ़ भेजा गया था.

Operation Sadbhavana Uttarakhand
ऑपरेशन सद्भावना उत्तराखंड
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Published : Apr 26, 2022, 9:18 PM IST

पिथौरागढ़/देहरादून: जम्मू-कश्मीर के लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने और उन तक विकास के रथ को पहुंचाने में सेना की बड़ी भूमिका रहती है. भारतीय सेना अक्सर ऑपरेशन सद्भावना के तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों तक पहुंचते हैं और अलग-अलग तरह से उनकी मदद करते हैं. इसी कड़ी में ऑपरेशन सद्भावना चिनार कोर के तहत जम्मू-कश्मीर के 24 छात्र-छात्राओं को आर्मी पब्लिक स्कूल पिथौरागढ़ में 7वीं, 8वीं और 9वीं कक्षा में सेना की तरफ से एडमिशन मिला है.

भारतीय सेना द्वारा चलाए जा रहे इस छात्रवृत्ति कार्यक्रम के एक भाग के रूप में ये छात्र एपीएस पिथौरागढ़ से 12वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त करेंगे. जीओसी 31 सब एरिया ने 26 अप्रैल 22 को 216 टीसी श्रीनगर से इन छात्रों के दल को पिथौरागढ़ के लिए रवाना किया है. एपीएस पिथौरागढ़ की यात्रा श्रीनगर से जम्मू तक सड़क मार्ग से शुरू होगी. इसके तहत छात्र ट्रेन से बरेली तक की यात्रा करेंगे, जहां से एपीएस पिथौरागढ़ के अधिकारियों द्वारा इन छात्र-छात्राओं को रिसीव किया जाएगा.

इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में भी जम्मू कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित इलाकों के 29 बच्चों को ऑपरेशन सद्भावना के तहत पढ़ाई के लिए पिथौरागढ़ भेजा गया था. ये बच्चे पिथौरागढ़ स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल में इंटरमीडिएट तक की मुफ्त शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. उस बैच के 29 बच्चे जनरल बीसी जोशी आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ रहे हैं.

क्या है ऑपरेशन सद्भावना: ऑपरेशन सद्भावना की आधिकारिक रूप से शुरुआत सन् 1998 में हुई. यह ऑपरेशन विशेष रूप से नियंत्रण रेखा के पास ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू किया गया था. इसके तहत कई कल्याणकारी पहल की जाती है, जिसमें बुनियादी ढांचा विकास, चिकित्सा देखभाल, महिला और युवा सशक्तीकरण, शैक्षिक पर्यटन और खेलकूद टूर्नामेंट आदी शामिल हैं.

यह भी पढ़ें-ले.जन. मनोज पांडे होंगे देश के अगले सेना प्रमुख, ऑपरेशन पराक्रम को किया था लीड

परियोजनाओं को स्थानीय आबादी की जरूरतों और इच्छाओं के अनुसार योजनाबद्ध किया जाता है और सफल दीक्षा के बाद राज्य सरकार को सौंप दिया जाता है. ऑपरेशन सद्भावना के माध्यम से भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर में आबादी के करीब आने और आपसी विश्वास और विकसित करती है.

पिथौरागढ़/देहरादून: जम्मू-कश्मीर के लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने और उन तक विकास के रथ को पहुंचाने में सेना की बड़ी भूमिका रहती है. भारतीय सेना अक्सर ऑपरेशन सद्भावना के तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों तक पहुंचते हैं और अलग-अलग तरह से उनकी मदद करते हैं. इसी कड़ी में ऑपरेशन सद्भावना चिनार कोर के तहत जम्मू-कश्मीर के 24 छात्र-छात्राओं को आर्मी पब्लिक स्कूल पिथौरागढ़ में 7वीं, 8वीं और 9वीं कक्षा में सेना की तरफ से एडमिशन मिला है.

भारतीय सेना द्वारा चलाए जा रहे इस छात्रवृत्ति कार्यक्रम के एक भाग के रूप में ये छात्र एपीएस पिथौरागढ़ से 12वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त करेंगे. जीओसी 31 सब एरिया ने 26 अप्रैल 22 को 216 टीसी श्रीनगर से इन छात्रों के दल को पिथौरागढ़ के लिए रवाना किया है. एपीएस पिथौरागढ़ की यात्रा श्रीनगर से जम्मू तक सड़क मार्ग से शुरू होगी. इसके तहत छात्र ट्रेन से बरेली तक की यात्रा करेंगे, जहां से एपीएस पिथौरागढ़ के अधिकारियों द्वारा इन छात्र-छात्राओं को रिसीव किया जाएगा.

इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में भी जम्मू कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित इलाकों के 29 बच्चों को ऑपरेशन सद्भावना के तहत पढ़ाई के लिए पिथौरागढ़ भेजा गया था. ये बच्चे पिथौरागढ़ स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल में इंटरमीडिएट तक की मुफ्त शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. उस बैच के 29 बच्चे जनरल बीसी जोशी आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ रहे हैं.

क्या है ऑपरेशन सद्भावना: ऑपरेशन सद्भावना की आधिकारिक रूप से शुरुआत सन् 1998 में हुई. यह ऑपरेशन विशेष रूप से नियंत्रण रेखा के पास ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू किया गया था. इसके तहत कई कल्याणकारी पहल की जाती है, जिसमें बुनियादी ढांचा विकास, चिकित्सा देखभाल, महिला और युवा सशक्तीकरण, शैक्षिक पर्यटन और खेलकूद टूर्नामेंट आदी शामिल हैं.

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परियोजनाओं को स्थानीय आबादी की जरूरतों और इच्छाओं के अनुसार योजनाबद्ध किया जाता है और सफल दीक्षा के बाद राज्य सरकार को सौंप दिया जाता है. ऑपरेशन सद्भावना के माध्यम से भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर में आबादी के करीब आने और आपसी विश्वास और विकसित करती है.

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