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20 साल बाद : भारत के CPSE के निजीकरण की शुरुआत

टाटा समूह द्वारा कर्ज में डूबी राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया को टाटा समूह ने 18,000 करोड़ रुपये में खरीद लिया है. इसके साथ ही यह निजीकरण या 1999-00 से 2003-04 में स्ट्रटीजिक सेल (strategic sale) के माध्यम से प्राप्त क्यूम्यलेटिव (cumulative) राशि से प्राप्त सबसे अधिक राशि होगी.

CPSE का निजीकरण
CPSE का निजीकरण
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Published : Oct 8, 2021, 6:59 PM IST

नई दिल्ली : करीब दो दशकों के अंतराल के बाद सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (Central Public Sector Enterprises) के निजीकरण कार्यक्रम (government's CPSE privatisation programme) की शुरुआत टाटा समूह द्वारा कर्ज में डूबी राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया को खरीदने के साथ हुई. इसको खरीदने के लिए टाटा समूह ने 18,000 करोड़ रुपये खर्च किए. इसके साथ ही यह निजीकरण या 1999-00 से 2003-04 में स्ट्रटीजिक सेल (strategic sale) के माध्यम से प्राप्त क्यूम्यलेटिव (cumulative) राशि से प्राप्त सबसे अधिक राशि होगी.

सरकार ने इन पांच साल की अवधि में 10 CPSE का निजीकरण करके लगभग 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की थी. इसके अलावा, होटल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Hotel Corporation of India ) की तीन और ITDC की 18 होटल संपत्तियों को बेचा गया था.

चलिए आपको 1999-00 से 2003-04 के बीच निजी संस्थाओं को CPSE स्ट्रटीजिक सेल के दौरान क्या-क्या और कितनी कीमत पर बेचा गया.

1999-00 - मॉडर्न फूड इंडस्ट्रीज लिमिटेड105 करोड़ रु.

2000-01 - बाल्को, लगान जूट मशीनरी कंपनी लिमिटेड 554 करोड़ रुपये.

2001-02 - वीएसएनएल, कंप्यूटर मेनटेनेंस कोर्पोरेशशन (CMC), हिंदुस्तान टेलीप्रिंटर्स लिमिटेड (HTL), पारादीप फॉस्फेट लिमिटेड (PPL), एचसीआई और आईटीडीसी की कुछ होटल संपत्तियां 2,089 करोड़ रुपये.

2002-03- हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL), इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन (IPCL), कुछ आईटीडीसी होटल संपत्तियां 2,335 करोड़ रुपए.

2003-04- एचजेडएल, जेसोप एंड कंपनी 342 करोड़ रुपए.

सरकार ने कुछ CPSE में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी पर काम कर रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (public sector companies) को भी बेच दिया है. इनमें इंडो बर्मा पेट्रोलियम कंपनी (Indo Burma Petroleum Co) में 74 प्रतिशत सरकारी हिस्सेदारी, इंडियन ऑयल कॉर्प (Indian Oil Corp) को 2001-02 में 1,153 करोड़ रुपये में और 2018 में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्प (Oil and Natural Gas Corp) द्वारा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (Hindustan Petroleum Corp Ltd) में 36,915 रुपये में सरकारी हिस्सेदारी खरीदना शामिल है.

इसके अलावा, आरईसी में सरकार की 52.63 प्रतिशत हिस्सेदारी पावर फाइनेंस कॉर्प (Power Finance Corp) को 2018-19 में 14,500 करोड़ रुपये में बेचा गया था.

2000-01 और 2019-20 के बीच सरकार ने नौ CPSE में अपनी पूरी हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बेच दी है, जिससे कुल 53,450 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं.

2004 के बाद निजीकरण की प्रक्रिया में ठहराव देखा गया, क्योंकि CPSEमें फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (follow on public offer) और ऑफर फॉर सेल (offer for sale) और लाभदायक CPSE की स्टॉक एक्सचेंज लिस्टिंग (stock exchange listing) के माध्यम से CPSE में अल्पसंख्यक हिस्सेदारी बेचने पर ध्यान केंद्रित किया गया.

2021-22 के बजट में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण नीति की घोषणा की, जिसके अनुसार परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा के चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर, सभी सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण किया जाएगा; परिवहन और दूरसंचार; बिजली, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज; और बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाएं का भी निजीकरण किया जाएगा.

इन रणनीतिक क्षेत्रों में, सरकार केवल न्यूनतम सार्वजनिक उपक्रमों को ही बनाए रखेगी.

पढ़ें - गडकरी की दो टूक, 'चीन में कार बनाकर भारत में मत बेचो'

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड, और एलआईसी के आईपीओ का रणनीतिक विनिवेश 2021-22 में पूरा होगा.

इसके अलावा, दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी (general insurance company) का भी निजीकरण किया जाएगा.

बता दें कि 2021-22 के बजट में 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले वित्त वर्ष में अनुमानित 32,000 करोड़ रुपये से अधिक है. 1.75 लाख करोड़ रुपये में से एक लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने से हासिल करना है. वित्त मंत्री ने बताया कि CPSE विनिवेश प्राप्तियों के रूप में 75,000 करोड़ रुपये आएंगे.

अब तक एक्सिस बैंक, एनएमडीसी लिमिटेड, हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्प (Housing and Urban Development Corp) और हिंदुस्तान कॉपर में अल्पमत हिस्सेदारी की बिक्री के जरिए 9,110 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं.

नई दिल्ली : करीब दो दशकों के अंतराल के बाद सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (Central Public Sector Enterprises) के निजीकरण कार्यक्रम (government's CPSE privatisation programme) की शुरुआत टाटा समूह द्वारा कर्ज में डूबी राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया को खरीदने के साथ हुई. इसको खरीदने के लिए टाटा समूह ने 18,000 करोड़ रुपये खर्च किए. इसके साथ ही यह निजीकरण या 1999-00 से 2003-04 में स्ट्रटीजिक सेल (strategic sale) के माध्यम से प्राप्त क्यूम्यलेटिव (cumulative) राशि से प्राप्त सबसे अधिक राशि होगी.

सरकार ने इन पांच साल की अवधि में 10 CPSE का निजीकरण करके लगभग 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की थी. इसके अलावा, होटल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Hotel Corporation of India ) की तीन और ITDC की 18 होटल संपत्तियों को बेचा गया था.

चलिए आपको 1999-00 से 2003-04 के बीच निजी संस्थाओं को CPSE स्ट्रटीजिक सेल के दौरान क्या-क्या और कितनी कीमत पर बेचा गया.

1999-00 - मॉडर्न फूड इंडस्ट्रीज लिमिटेड105 करोड़ रु.

2000-01 - बाल्को, लगान जूट मशीनरी कंपनी लिमिटेड 554 करोड़ रुपये.

2001-02 - वीएसएनएल, कंप्यूटर मेनटेनेंस कोर्पोरेशशन (CMC), हिंदुस्तान टेलीप्रिंटर्स लिमिटेड (HTL), पारादीप फॉस्फेट लिमिटेड (PPL), एचसीआई और आईटीडीसी की कुछ होटल संपत्तियां 2,089 करोड़ रुपये.

2002-03- हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL), इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन (IPCL), कुछ आईटीडीसी होटल संपत्तियां 2,335 करोड़ रुपए.

2003-04- एचजेडएल, जेसोप एंड कंपनी 342 करोड़ रुपए.

सरकार ने कुछ CPSE में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी पर काम कर रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (public sector companies) को भी बेच दिया है. इनमें इंडो बर्मा पेट्रोलियम कंपनी (Indo Burma Petroleum Co) में 74 प्रतिशत सरकारी हिस्सेदारी, इंडियन ऑयल कॉर्प (Indian Oil Corp) को 2001-02 में 1,153 करोड़ रुपये में और 2018 में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्प (Oil and Natural Gas Corp) द्वारा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (Hindustan Petroleum Corp Ltd) में 36,915 रुपये में सरकारी हिस्सेदारी खरीदना शामिल है.

इसके अलावा, आरईसी में सरकार की 52.63 प्रतिशत हिस्सेदारी पावर फाइनेंस कॉर्प (Power Finance Corp) को 2018-19 में 14,500 करोड़ रुपये में बेचा गया था.

2000-01 और 2019-20 के बीच सरकार ने नौ CPSE में अपनी पूरी हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बेच दी है, जिससे कुल 53,450 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं.

2004 के बाद निजीकरण की प्रक्रिया में ठहराव देखा गया, क्योंकि CPSEमें फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (follow on public offer) और ऑफर फॉर सेल (offer for sale) और लाभदायक CPSE की स्टॉक एक्सचेंज लिस्टिंग (stock exchange listing) के माध्यम से CPSE में अल्पसंख्यक हिस्सेदारी बेचने पर ध्यान केंद्रित किया गया.

2021-22 के बजट में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण नीति की घोषणा की, जिसके अनुसार परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा के चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर, सभी सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण किया जाएगा; परिवहन और दूरसंचार; बिजली, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज; और बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाएं का भी निजीकरण किया जाएगा.

इन रणनीतिक क्षेत्रों में, सरकार केवल न्यूनतम सार्वजनिक उपक्रमों को ही बनाए रखेगी.

पढ़ें - गडकरी की दो टूक, 'चीन में कार बनाकर भारत में मत बेचो'

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड, और एलआईसी के आईपीओ का रणनीतिक विनिवेश 2021-22 में पूरा होगा.

इसके अलावा, दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी (general insurance company) का भी निजीकरण किया जाएगा.

बता दें कि 2021-22 के बजट में 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले वित्त वर्ष में अनुमानित 32,000 करोड़ रुपये से अधिक है. 1.75 लाख करोड़ रुपये में से एक लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने से हासिल करना है. वित्त मंत्री ने बताया कि CPSE विनिवेश प्राप्तियों के रूप में 75,000 करोड़ रुपये आएंगे.

अब तक एक्सिस बैंक, एनएमडीसी लिमिटेड, हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्प (Housing and Urban Development Corp) और हिंदुस्तान कॉपर में अल्पमत हिस्सेदारी की बिक्री के जरिए 9,110 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं.

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