मेरठ : 1971 भारत पाक युद्ध में दुश्मन सेना को खदेड़ने में और उनके कई टैंकों को मिट्टी में मिलाने के लिए मशहूर T-55 टैंक को मेरठ कॉलेज में नया ठिकाना मिला है. सेना से रिटायरमेंट के बाद से यह टैंक पुणे में था. मेरठ कॉलेज में यहां के रक्षा अध्ययन विभाग के छात्रों के लिए तो ये टैंक जहां बेहद ही उपयोगी है ही, वहीं अन्य विद्यार्थियों और शहर वासियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है.
1971 भारत पाक युद्ध में पाकिस्तानी सेना से लोहा लेने वाला मशहूर टी-55 टैंक अब मेरठ कॉलेज के साथ ही क्रान्तिधरा की पहचान को और भी मशहूर कर रहा है. यह टैंक पुणे से लाया गया है और मेरठ कॉलेज के मेन गेट के पास स्थापित किया गया है. ये टैंक छात्र-छात्राओं के साथ शहर को भी सेना की वीरता का संदेश दे रहा है. गौरतलब है कि मेरठ कॉलेज में कारगिल वार में शामिल रहा विजयंत टैंक तो पहले से कॉलेज में मौजूद है, जोकि सेना के शौर्य की कहानी बयां करता है. इस तरह से अब कॉलेज में दो टैंक हो गए हैं.
मेरठ कॉलेज की प्राचार्य अंजली मित्तल ने कहा कि 'पहले से ही हमारे कॉलेज को विजयंत टैंक गौरवान्वित कर रहा था और अब T-55 टैंक कॉलेज में स्थापित हो गया है. उन्होंने कहा कि इसकी भव्यता को इसी तरह से समझ सकते हैं कि इस टैंक को स्थापित करने में 4 क्रेन को लगाना पड़ा. प्राचार्य ने कहा कि यह मेरठ महाविद्यालय और मेरठ के लिए गर्व के क्षण हैं और हम गर्व का अनुभव कर रहे हैं. इसे कॉलेज में लाकर इसलिए स्थापित कराया गया है कि जो भी स्टूडेंट्स आएं वह उत्साहित हों.'
रक्षा अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. हेमंत पांडे ने बताया कि 'ये मेरठ कॉलेज के लिए ही नहीं शहर के लिए भी गौरव की बात है कि यहां भारत पाक युद्ध में दुश्मन सेना के टैंकों को मिट्टी में मिलने वाले टी-55 टैंक को स्थापित किया गया है. डॉ. हेमंत कुमार पांडे ने ईटीवी भारत को बताया कि रूस निर्मित यह टैंक वर्ष 1968 में भारतीय सेना में शामिल हुआ था. तब रूस से देश ने 255 टैंक पहली बार खरीदे गए थे. यह उनमें से एक है. 1971 के भारत पाक युद्ध में यह टैंक बैटल ऑफ बसंतर में महत्वपूर्ण भूमिका में रहा है. भारत के पश्चिमी सेक्टर में इसे तब तैनात किया गया था, जब दुश्मनों के कई टैंकों को इसने नष्ट किया था, भारत को विजय दिलायी थी. ये गौरवगाथा इस टैंक के साथ जुड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि रूस और यूक्रेन वार में भी टी-55 टैंक का इस्तेमाल रूस यूक्रेन के खिलाफ कर रहा है, जो कि यूक्रेन को काफी भारी पड़ रहा है.
मेरठ कॉलेज के रक्षा अध्ययन विभाग के प्रोफेसर संजय ने बताया कि 'टी-55 वर्ग का यह टैंक 35 साल सेवा में रहने के बाद एक मार्च 2013 को सेवा से रिटायर हुआ. टी-55 टैंक की पावर 580 हॉर्स पावर है. इसके इंजन के टैंक का वजन 37 टन है. इंजन निकालने के बाद इसका वजन 28.5 टन है, जबकि इसकी लम्बाई 6 मीटर और चौड़ाई 3.27 मीटर और ऊंचाई 2.35 मीटर है.'
प्रोफेसर संजय कुमार कहते हैं कि 'मेरठ कॉलेज में विजयंत टैंक का तोहफा पहले से ही है. उन्होंने बताया कि 2018 में यह टैंक कारगिल वार में शामिल रहा. विजयंत टैंक मेरठ कॉलेज में स्थापित हुआ था. उन्होंने बताया कि रक्षा अध्ययन में स्टडी करने वाले छात्र अब टी-55 टैंक के बारे में हर जरूरी जानकारी पा सकेंगे. कॉलेज में दो टैंक हैं जोकि कहीं किसी शिक्षण संस्थान में अब तक नहीं हैं. रक्षा अध्ययन विभाग के प्रो. संजय कुमार ने बताया कि इस टैंक को दिलाने मे डिप्टी आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल शान्तनु दयाल, मेजर जनरल योगेश चौधरी एवं एडिशनल सेक्रेट्री अमित घोष का विशेष योगदान है.'
गौरतलब है कि मेरठ कॉलेज की स्थापना 1892 में हुई थी, जबकि उसके बाद 1939 में यहां डिफेंस स्ट्डीज विभाग शुरु हुआ. तब मेरठ कॉलेज में डिप्लोमा कोर्स कराया जाता था. उसके बाद 1972 से विषयों की शुरुआत हुई और फिर 1982 से रक्षा अध्ययन विभाग पीएचडी भी करा रहा है. सेना के 25 से भी अधिक बड़े अधिकारी अब तक यहां से रिसर्च कर चुके हैं. सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी यहीं से अध्ययन किया था.
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