नई दिल्ली: असम के मुख्य सचिव जिष्णु बरुआ (Assam Chief Secretary Jishnu Barua) ने शनिवार को ईटीवी भारत को बताया कि राज्य के कम से कम 197 छात्र यूक्रेन में फंसे हैं जबकि अभी तक असम के 89 छात्रों को निकाला गया है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विदेश मंत्रालय द्वारा सक्रिय कार्रवाई के साथ सभी छात्रों को यूक्रेन से वापस लाया जाएगा.
यह कहते हुए कि केंद्र सरकार ने युद्ध क्षेत्र से सभी छात्रों को निकालने के लिए आकस्मिक योजना तैयार की है, बरुआ ने कहा कि सुमी या खारकीव जैसे युद्ध क्षेत्र में फंसे छात्रों को बचाने के लिए भारत सरकार ने आकस्मिक योजना तैयार की है. यूक्रेन में लौटे मेडिकल छात्रों ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्हें यूक्रेन से निकाला गया. वहीं शमीम ने कहा कि हम किसी तरह स्टालेवरिव से पोलैंड पहुंचने में कामयाब रहे और वहां से मुझे और मेरे कई दोस्तों को भारत सरकार ने निकाल लिया.
शमीम ने यूक्रेन में दिन-ब-दिन बिगड़ते हालात बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार सभी फंसे हुए भारतीय छात्रों को निकालने के लिए ठोस कदम उठाएगी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 26 फरवरी से अब तक असम के 89 छात्रों को यूक्रेन से निकाला गया है, जिसमें गुरुवार को एक दिन में सर्वाधिक 30 छात्रों को निकाला गया. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने यूक्रेन के भाग्य से संबंधित मामले पर चर्चा करने की प्रक्रिया शुरू की है, जो चल रहे युद्ध के कारण अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने वाले भारतीय मेडिकल छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है.
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एक सरकारी अधिकारी ने संवाददाता को बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी), विदेश मंत्रालय (एमईए) और नीति आयोग के अधिकारी जल्द ही देश भर के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में भारतीय छात्रों को समायोजित करने के तरीके तलाशने के मुद्दे पर विचार-विमर्श करेंगे. इंडियन मेडियल एसोसिएशन (IMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे ऐसे छात्रों को मौजूदा भारतीय चिकित्सा संस्थानों में मानवीय आधार पर समायोजित करने पर विचार करें. यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि वर्तमान में भारतीय संस्थानों में मेडिकल छात्रों को समायोजित करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विनियमों के तहत कोई मानदंड और नियम नहीं हैं.