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अमरनाथ यात्रा में इस बार सुरक्षा को लेकर अधिक खतरा : सैन्य अधिकारी

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Published : Jun 25, 2022, 6:06 PM IST

Updated : Jun 25, 2022, 7:03 PM IST

पिछले वर्षों की तुलना में इस बार अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर ज्यादा खतरा है. इसी वजह से सुरक्षा व्यवस्था को तीन गुना बढ़ा दिया गया है. वहीं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में बने लांचिंग पैड में मौजूद लगभग 150 आतंकवादी जम्मू कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए तैयार हैं. इस बारे में सेना के एक अधिकारी ने बताया कि वहीं 11 प्रशिक्षण शिविरों में 500 से 700 अन्य आतंकवादी प्रशिक्षण ले रहे हैं.

Terrorist
आतंकवादी (प्रतीकात्मक)

श्रीनगर : सरकार ने आगामी अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है क्योंकि वार्षिक तीर्थयात्रा में पिछले वर्षों की तुलना में सुरक्षा को लेकर अधिक खतरा है. नियंत्रण रेखा के उसपार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में बने अलग-अलग लांचिंग पैड पर करीब 150 आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं, जबकि 500 से 700 के करीब अन्य आतंकवादी 11 प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण ले रहे हैं. यह दावा सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को किया. अधिकारी ने कहा, अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा खतरे के बढ़े हुए खतरे को देखते हुए, हमने पिछले वर्षों की तुलना में सुरक्षा व्यवस्था को तीन गुना अधिक बढ़ा दिया है.

उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की एलओसी पार घाटी में घुसपैठ करने की कोशिश को सफलतापूर्वक नाकाम किया है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण दो साल के लिए स्थगित की गई वार्षिक अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू हो रही है. सरकार को तीर्थयात्रा के लिए 6-8 लाख यात्रियों के कश्मीर पहुंचने की उम्मीद है. वहीं गृह मंत्रालय ने पहले से ही सुरक्षा बलों, पुलिस और सेना के जवानों के अलावा 30000 अतिरिक्त जवानों को यात्रा पर तैनात करने के लिए भेजा है.

अधिकारी ने कहा कि हाल के महीनों में टारगेट किलिंग के बावजूद सुरक्षा की स्थिति बेहतर है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल आतंकियों के खिलाफ काइनेटिक ऑपरेशन चला रहे हैं और इस वजह से कई आतंकी मुठभेड़ में मारे गए हैं. टारगेट किलिंग पर अधिकारी ने कहा कि हत्याओं का उद्देश्य डर पैदा करना और आतंकवादियों द्वारा अधिक प्रभाव पैदा करना है, जिन्हें उनके खिलाफ लगातार अभियान चलाकर पीछे धकेल दिया जाता है.

सेना के अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया, 'एलओसी के उस पास मनसेरा, कोटली और मुजफ्फराबाद स्थित 11 प्रशिक्षिण शिविरों में 500 से 700 लोग आतंकवाद का प्रशिक्षण ले रहे हैं.' उन्होंने बताया कि खुफिया जानकारी के मुताबिक पीओके में बने लांचिंग पैड पर करीब 150 आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं. अधिकारी ने कहा कि इस साल अबतक एलओसी पार कर घुसपैठ की कोई कोशिश सफल नहीं हुई है.

सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में विदेशी आतंकवादियों के मारे जाने का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, 'मई तक सब कुछ ठीक रहा है. एक विशेष समूह था जिसके बारे में आप जानते हैं और उसे बांदीपोरा और सोपोर में मार गिराया गया.' सैन्य अधिकारी ने बताया कि आतंकवादी अब घुसपैठ के लिए पूर्व में पहचान किए गए रास्तों के अलावा दूसरे रास्तों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमने शून्य घुसपैठ सुनिश्चित करने के लिए प्रणाली बना ली है. हां, यहां घुसपैठ की संभावना बनी हुई है, लेकिन हाल के वर्षों में जिस तरह से हमने मजबूत सुरक्षा दीवार बनाई है, निगरानी उपकरणों सहित जिस तरह से तैनाती की गई है, उससे घुसपैठ में सफल होने की दर नीचे चली गई है.'

उन्होंने कहा, 'इसका नतीजा है, कि जब एक ओर दबाव बढ़ता है तो वे वैकल्पिक रास्तों की तलाश करते हैं. वे (आतंकवादी) अब दक्षिण पीर पंजाल के राजौरी-पुंछ के रास्ते से घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं. अन्य मार्गों के मुकाबले यहां (कश्मीर घाटी में) घुसपैठ कम हुआ है.' अधिकारी ने कहा कि अब घुसपैठ का केंद्र मोटे तौर पर दक्षिण पीर पंजाल स्थानांतरित हो गया है. तथ्य यह है कि ऐसी जानकारी है कि कुछ लोग नेपाल के रास्ते भी आने की कोशिश कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें - सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में 150 ओजीडब्ल्यू आतंकवादियों की पहचान की

उन्होंने कहा कि आतंकवादियों की संख्या 'गत सालों के मुकाबले न्यूनतम स्तर पर है, लेकिन यह संख्या बदलती रहती है.' अधिकारी ने बताया, 'हमने पिछले 40-42 दिनों में 50 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया. वे समाज के लिए अभिशाप हैं. वे चुनौती और सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए है. इसलिए हम कदम उठा रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'यह 100 या 150 की संख्या तबतक बनी रहेगी जबतक लोग इसकी निरर्थकता को नहीं समझेंगे, जबतक लोग नहीं समझेंगे की गलत क्या है और सही क्या है. जबतक उनका समर्थन होगा, वे बने रहेंगे. लेकिन एक बार वे (लोग) उनसे (आतंकवादियों) मुंह मोड़ लें तो उनके पास कोई रास्ता नहीं होगा और स्वत: उनके खात्मे या संख्या कम होने का लक्ष्य प्राप्त होगा.'

श्रीनगर : सरकार ने आगामी अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है क्योंकि वार्षिक तीर्थयात्रा में पिछले वर्षों की तुलना में सुरक्षा को लेकर अधिक खतरा है. नियंत्रण रेखा के उसपार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में बने अलग-अलग लांचिंग पैड पर करीब 150 आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं, जबकि 500 से 700 के करीब अन्य आतंकवादी 11 प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण ले रहे हैं. यह दावा सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को किया. अधिकारी ने कहा, अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा खतरे के बढ़े हुए खतरे को देखते हुए, हमने पिछले वर्षों की तुलना में सुरक्षा व्यवस्था को तीन गुना अधिक बढ़ा दिया है.

उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की एलओसी पार घाटी में घुसपैठ करने की कोशिश को सफलतापूर्वक नाकाम किया है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण दो साल के लिए स्थगित की गई वार्षिक अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू हो रही है. सरकार को तीर्थयात्रा के लिए 6-8 लाख यात्रियों के कश्मीर पहुंचने की उम्मीद है. वहीं गृह मंत्रालय ने पहले से ही सुरक्षा बलों, पुलिस और सेना के जवानों के अलावा 30000 अतिरिक्त जवानों को यात्रा पर तैनात करने के लिए भेजा है.

अधिकारी ने कहा कि हाल के महीनों में टारगेट किलिंग के बावजूद सुरक्षा की स्थिति बेहतर है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल आतंकियों के खिलाफ काइनेटिक ऑपरेशन चला रहे हैं और इस वजह से कई आतंकी मुठभेड़ में मारे गए हैं. टारगेट किलिंग पर अधिकारी ने कहा कि हत्याओं का उद्देश्य डर पैदा करना और आतंकवादियों द्वारा अधिक प्रभाव पैदा करना है, जिन्हें उनके खिलाफ लगातार अभियान चलाकर पीछे धकेल दिया जाता है.

सेना के अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया, 'एलओसी के उस पास मनसेरा, कोटली और मुजफ्फराबाद स्थित 11 प्रशिक्षिण शिविरों में 500 से 700 लोग आतंकवाद का प्रशिक्षण ले रहे हैं.' उन्होंने बताया कि खुफिया जानकारी के मुताबिक पीओके में बने लांचिंग पैड पर करीब 150 आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं. अधिकारी ने कहा कि इस साल अबतक एलओसी पार कर घुसपैठ की कोई कोशिश सफल नहीं हुई है.

सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में विदेशी आतंकवादियों के मारे जाने का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, 'मई तक सब कुछ ठीक रहा है. एक विशेष समूह था जिसके बारे में आप जानते हैं और उसे बांदीपोरा और सोपोर में मार गिराया गया.' सैन्य अधिकारी ने बताया कि आतंकवादी अब घुसपैठ के लिए पूर्व में पहचान किए गए रास्तों के अलावा दूसरे रास्तों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमने शून्य घुसपैठ सुनिश्चित करने के लिए प्रणाली बना ली है. हां, यहां घुसपैठ की संभावना बनी हुई है, लेकिन हाल के वर्षों में जिस तरह से हमने मजबूत सुरक्षा दीवार बनाई है, निगरानी उपकरणों सहित जिस तरह से तैनाती की गई है, उससे घुसपैठ में सफल होने की दर नीचे चली गई है.'

उन्होंने कहा, 'इसका नतीजा है, कि जब एक ओर दबाव बढ़ता है तो वे वैकल्पिक रास्तों की तलाश करते हैं. वे (आतंकवादी) अब दक्षिण पीर पंजाल के राजौरी-पुंछ के रास्ते से घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं. अन्य मार्गों के मुकाबले यहां (कश्मीर घाटी में) घुसपैठ कम हुआ है.' अधिकारी ने कहा कि अब घुसपैठ का केंद्र मोटे तौर पर दक्षिण पीर पंजाल स्थानांतरित हो गया है. तथ्य यह है कि ऐसी जानकारी है कि कुछ लोग नेपाल के रास्ते भी आने की कोशिश कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें - सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में 150 ओजीडब्ल्यू आतंकवादियों की पहचान की

उन्होंने कहा कि आतंकवादियों की संख्या 'गत सालों के मुकाबले न्यूनतम स्तर पर है, लेकिन यह संख्या बदलती रहती है.' अधिकारी ने बताया, 'हमने पिछले 40-42 दिनों में 50 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया. वे समाज के लिए अभिशाप हैं. वे चुनौती और सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए है. इसलिए हम कदम उठा रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'यह 100 या 150 की संख्या तबतक बनी रहेगी जबतक लोग इसकी निरर्थकता को नहीं समझेंगे, जबतक लोग नहीं समझेंगे की गलत क्या है और सही क्या है. जबतक उनका समर्थन होगा, वे बने रहेंगे. लेकिन एक बार वे (लोग) उनसे (आतंकवादियों) मुंह मोड़ लें तो उनके पास कोई रास्ता नहीं होगा और स्वत: उनके खात्मे या संख्या कम होने का लक्ष्य प्राप्त होगा.'

Last Updated : Jun 25, 2022, 7:03 PM IST
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