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15 Year Boys Made Electric Cycle: 10वीं क्लास में पढ़ने वाले लड़के ने बनाई इलेक्ट्रिक साइकिल, हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से पीड़ित - केरल की खबरें

केरल के हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से पीड़ित 15 वर्षीय एक लड़के ने एक इलेक्ट्रिक साइकिल बनाई है. इस इलेक्ट्रिक साइकिल की बैटरी 4 घंटे में पूरी तरह चार्ज हो जाती है और एक बाच चार्ज होने पर 90 किलोमीटर तक की रेंज देती है.

15 year old boy made electric bicycle
15 वर्षीय लड़के ने बनाई इलेक्ट्रिक साइकिल
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Published : Feb 3, 2023, 10:29 PM IST

15 वर्षीय लड़के ने बनाई इलेक्ट्रिक साइकिल

कालीकट: केरल के कालीकट में कोयिलैंडी का रहने वाला एक 15 वर्षीय लड़का, जिसका नाम जी.एस. सायंत है, वह हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से पीड़ित है. लेकिन इस लड़के ने एक इलेक्ट्रिक साइकिल बनाकर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. साइकिल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी बैटरी को 4 घंटे में पूरी तरह चार्ज किया जा सकता है और इसके बाद यह 90 किलोमीटर तक की रेंज प्रदान करती है.

वह सरकारी मोपिला हायर सेकेंडरी स्कूल, कोईलैंडी में 10वीं का छात्र है. कालीकट जिला विज्ञान मेले में प्रस्तुत इस आविष्कार के लिए सायंत ने ए ग्रेड के साथ दूसरा स्थान हासिल किया. सायंत कोयलंडी मूल निवासी श्रीधरन (सेवानिवृत्त ग्राम अधिकारी) और गीता के पुत्र हैं. सायंत को न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर हाइपरएक्टिविटी है, जिससे उसे कुछ चीजों पर ध्यान देने में परेशानी होती है और वह अति सक्रिय है. वह अपने आश्चर्यजनक कौशल से अपने आसपास के सभी लोगों को चकित कर देता है.

इस बारे में सायंत ने कहा, 'मैं दूसरी क्लास से साइकिल से सफर करता था. अब मैं साइकिल का पैडल मारते-मारते थक गया, इसलिए मैंने एक इलेक्ट्रिक साइकिल के बारे में सोचा. 14 साल की उम्र में मैंने साइकिल को इसके लिए मॉडिफाई किया और खुद इसकी वेल्डिंग की. पैरों को रखने के लिए दो छड़ें जुड़ी हुई हैं और पैडल हटा दिए गए हैं.'

आगे उसने कहा, 'इसमें बीएलडीसी मोटर, बाइक की चेन, बैटरी और स्विच लगे हुए थे. अब मैं 4 घंटे चार्ज करके साइकिल को 90 किलोमीटर चला सकता हूं.' उसने बताया कि एक बार जब मजदूर कुछ रखरखाव के लिए उसके घर आए, तो उसने उनके औजारों का उपयोग करके साइकिल का संशोधन शुरू किया. इसके बाद उसने अपने पिता से औजार खरीदने को कहा. अपने बेटे को सहारा देने और प्रोत्साहित करने के लिए उसके पिता श्रीधर ने एक-एक करके सभी उपकरण खरीदे.

पढ़ें: Fraud With Deepak Chahar Wife: क्रिकेटर दीपक चाहर की पत्नी से 10 लाख की ठगी, इन पर मुकदमा दर्ज

अब सायंत के पास वेल्डिंग मशीन, ग्राइंडर, प्लानर, ब्लोअर, ड्रिलिंग मशीन आदि हैं. स्थानीय लोगों की सेवा के रूप में आजकल वह कुत्तों के पिंजरे, मुर्गी आश्रय और चाकू जैसे उपकरण भी बनाता है. उसके माता-पिता सामान खरीदने और उसे जो भी सहायता चाहिए, देने के लिए तैयार हैं. सायंत का अगला लक्ष्य एसएसएलसी पूरा करने के बाद पॉलिटेक्निक अध्ययन के लिए नामांकन करना है.

15 वर्षीय लड़के ने बनाई इलेक्ट्रिक साइकिल

कालीकट: केरल के कालीकट में कोयिलैंडी का रहने वाला एक 15 वर्षीय लड़का, जिसका नाम जी.एस. सायंत है, वह हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से पीड़ित है. लेकिन इस लड़के ने एक इलेक्ट्रिक साइकिल बनाकर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. साइकिल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी बैटरी को 4 घंटे में पूरी तरह चार्ज किया जा सकता है और इसके बाद यह 90 किलोमीटर तक की रेंज प्रदान करती है.

वह सरकारी मोपिला हायर सेकेंडरी स्कूल, कोईलैंडी में 10वीं का छात्र है. कालीकट जिला विज्ञान मेले में प्रस्तुत इस आविष्कार के लिए सायंत ने ए ग्रेड के साथ दूसरा स्थान हासिल किया. सायंत कोयलंडी मूल निवासी श्रीधरन (सेवानिवृत्त ग्राम अधिकारी) और गीता के पुत्र हैं. सायंत को न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर हाइपरएक्टिविटी है, जिससे उसे कुछ चीजों पर ध्यान देने में परेशानी होती है और वह अति सक्रिय है. वह अपने आश्चर्यजनक कौशल से अपने आसपास के सभी लोगों को चकित कर देता है.

इस बारे में सायंत ने कहा, 'मैं दूसरी क्लास से साइकिल से सफर करता था. अब मैं साइकिल का पैडल मारते-मारते थक गया, इसलिए मैंने एक इलेक्ट्रिक साइकिल के बारे में सोचा. 14 साल की उम्र में मैंने साइकिल को इसके लिए मॉडिफाई किया और खुद इसकी वेल्डिंग की. पैरों को रखने के लिए दो छड़ें जुड़ी हुई हैं और पैडल हटा दिए गए हैं.'

आगे उसने कहा, 'इसमें बीएलडीसी मोटर, बाइक की चेन, बैटरी और स्विच लगे हुए थे. अब मैं 4 घंटे चार्ज करके साइकिल को 90 किलोमीटर चला सकता हूं.' उसने बताया कि एक बार जब मजदूर कुछ रखरखाव के लिए उसके घर आए, तो उसने उनके औजारों का उपयोग करके साइकिल का संशोधन शुरू किया. इसके बाद उसने अपने पिता से औजार खरीदने को कहा. अपने बेटे को सहारा देने और प्रोत्साहित करने के लिए उसके पिता श्रीधर ने एक-एक करके सभी उपकरण खरीदे.

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अब सायंत के पास वेल्डिंग मशीन, ग्राइंडर, प्लानर, ब्लोअर, ड्रिलिंग मशीन आदि हैं. स्थानीय लोगों की सेवा के रूप में आजकल वह कुत्तों के पिंजरे, मुर्गी आश्रय और चाकू जैसे उपकरण भी बनाता है. उसके माता-पिता सामान खरीदने और उसे जो भी सहायता चाहिए, देने के लिए तैयार हैं. सायंत का अगला लक्ष्य एसएसएलसी पूरा करने के बाद पॉलिटेक्निक अध्ययन के लिए नामांकन करना है.

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