विजयवाड़ा: खेलों में उत्कृष्टता का प्रदर्शन करने के लिए ओलंपिक, पैरालंपिक और वैश्विक स्तर पर आयोजित होने वाली अन्य प्रतियोगिताओं के विपरीत एबिलंपिक, प्रतियोगिता का एक ऐसा अनूठा प्रारूप है, जिसके तहत दिव्यांग प्रतिस्पर्धी अपने व्यावसायिक कौशल को दिखाते हैं. यह कोई खेल प्रतियोगिता नहीं है. इसमें दिव्यांगजन बेकरी, अलमारी बनाने, वेब पेज बनाने, डेटा प्रोसेसिंग, मल्टीमीडिया पत्रकारिता, वेल्डिंग, लकड़ी की नक्काशी और प्रकाशन जैसे काम में अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं.
इसके अलावा, वे नेटवर्क सिस्टम के संचालन और प्रबंधन, टोकरी बनाने, केक की सजावट, सफाई सेवाओं, कंप्यूटर बनाने, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, खाना बनाने, मालिश करने, मिट्टी के बर्तन बनाने आदि जैसे क्षेत्रों में अपनी दक्षता दिखाते हैं. इस बार एबिलंपिक में 22 देशों के 410 दिव्यांग प्रतिभागी 45 क्षेत्रों में अपने कौशल का प्रदर्शन करेंगे। यह प्रतियोगिता चार साल में एक बार होती है. फ्रांस के मेत्ज में 24 और 25 मार्च को आयोजित होने वाले एबिलंपिक के 10वें संस्करण में 14 भारतीय हिस्सा लेंगे, जिनमें विजयवाड़ा के मोहित मजेटी भी शामिल हैं. मजेटी फोटोग्राफी वर्ग की प्रतियोगिता में अपनी कौशल का प्रदर्शन करेंगे. उनके साथ ही पी साई कृष्णन भी इसी वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.
इन दोनों के अलावा, भाग्यश्री नदीमेटला (पोशाक बनाने), ओंकार देवरुखकर (पोस्टर बनाने) और फारुख शेख (रेस्तरां सेवा) समेत अन्य भारतीय विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे. मजेटी (25) की केवल तीन उंगलियां हैं और उनका एक पैर विकृत है, लेकिन इस शारीरिक अक्षमता के बावजूद फोटोग्राफी के प्रति उनका जुनून कम नहीं हुआ। वह प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर में ‘इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग’ के छात्र हैं. उन्होंने कहा, 'शुरुआत में, मैंने एबिलंपिक के पूर्वी क्षेत्र की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, जो कोलकाता में होती है... और वहां मैंने स्वर्ण पदक जीता था. यहीं से मुझे वैश्विक स्तर पर होने वाली एबिलंपिक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की प्रेरणा मिली. अभ्यास और प्रशिक्षण की बदौलत मजेटी ने 2018 में राष्ट्रीय एबिलंपिक में प्रथम पुरस्कार जीता था.
मजेटी के प्रतिद्वंद्वी कृष्णन इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में तीसरी बार भाग लेंगे। वह इस प्रतियोगिता में पहले रजत पदक जीत चुके हैं.
(पीटीआई-भाषा)