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मौलाना आजाद की 133वीं जयंती, उप-राष्ट्रपति नायडू ने उनके योगदान को किया याद

आज स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती है. इस अवसर पर उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. उप-राष्ट्रपति नायडू ने कहा कि मौलाना आजाद ने कठिन समय में राष्ट्रीय एकता व सांप्रदायिक सौहार्द बनाने में अहम भूमिका निभाई.

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Published : Nov 11, 2021, 4:01 PM IST

नई दिल्ली : आज भारत के पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री (First Education Minister) मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) की जयंती है. इस दिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day 2021) मनाया जाता है. वे स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानियों आचार्य कृपलानी और मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. कृपलानी को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश की आजादी के आंदोलन की अगुवाई करने वालों में वह शुमार थे.

मोदी ने कहा, देश को लेकर उनकी एक दूरदृष्टि थी और एक सांसद होने के नाते उन्होंने इसे पूरा करने की कोशिश की. पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सशक्तीकरण की दिशा में उन्होंने बड़ा योगदान दिया. उनकी जयंती पर मैं उन्हें नमन करता हूं.

कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके कृपलानी की गिनती समाजवादी पुरोधा के रूप में भी होती है.

एक अन्य ट्वीट में प्रधानमंत्री ने आजाद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, वह एक महान चिंतक और विद्वान थे. स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका प्रेरित करने वाली है. वह शिक्षा के क्षेत्र को लेकर बेहद गंभीर थे और उन्होंने समाज में भाईचारे को मजबूत करने के लिए काम किया.

उपराष्ट्रपति ने भी दी श्रद्धांजलि

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बृहस्पतिवार को स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य योगदान देने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

उपराष्ट्रपति ने एक ट्वीट में कहा, राष्ट्रवादी स्वाधीनता सेनानी, विचारक और शिक्षाविद् मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर उनकी स्मृति को सादर प्रणाम करता हूं. कठिन समय में राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सौहार्द बनाने में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही.

मूल्य आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने में उनके योगदान की सराहना करते हुए नायडू ने कहा, स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

आजाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री भी थे.

पढ़ें :- राष्ट्रीय शिक्षा दिवस : मौलाना आजाद ने की थी नई शिक्षा नीति की स्थापना

कौन थे मौलाना अबुल कलाम आजाद

देश के पहले शिक्षा मंत्री, आज़ाद किशोरावस्था में ही पत्रकारिता में सक्रिय हो गए थे. इसके साथ ही साल 1912 में, उन्होंने कलकत्ता में एक साप्ताहिक उर्दू अखबार अल-हिलाल (द क्रिसेंट) (Al-Hilal, The Crescent) प्रकाशित करना शुरू कर दिया था. इसके बाद में, उन्होंने दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे कई संस्थानों की स्थापना की.

मौलाना अबुल कलाम आजाद ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया, तथा वे अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से थे. मौलाना आज़ाद को ही 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' (IIT) और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' (UGC) की स्थापना का श्रेय है. उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की.

राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा दिवस

भारत के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सितंबर 2008 में मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन को 'राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की. इस दिन शिक्षणिक संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इसी क्रम में अबुल कलाम आजाद की 133वीं जयंती के अवसर पर ICCR ने मौलाना आज़ाद की समाधि पर माल्यार्पण समारोह का आयोजन किया गया.

नई दिल्ली : आज भारत के पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री (First Education Minister) मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) की जयंती है. इस दिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day 2021) मनाया जाता है. वे स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानियों आचार्य कृपलानी और मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. कृपलानी को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश की आजादी के आंदोलन की अगुवाई करने वालों में वह शुमार थे.

मोदी ने कहा, देश को लेकर उनकी एक दूरदृष्टि थी और एक सांसद होने के नाते उन्होंने इसे पूरा करने की कोशिश की. पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सशक्तीकरण की दिशा में उन्होंने बड़ा योगदान दिया. उनकी जयंती पर मैं उन्हें नमन करता हूं.

कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके कृपलानी की गिनती समाजवादी पुरोधा के रूप में भी होती है.

एक अन्य ट्वीट में प्रधानमंत्री ने आजाद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, वह एक महान चिंतक और विद्वान थे. स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका प्रेरित करने वाली है. वह शिक्षा के क्षेत्र को लेकर बेहद गंभीर थे और उन्होंने समाज में भाईचारे को मजबूत करने के लिए काम किया.

उपराष्ट्रपति ने भी दी श्रद्धांजलि

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बृहस्पतिवार को स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य योगदान देने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

उपराष्ट्रपति ने एक ट्वीट में कहा, राष्ट्रवादी स्वाधीनता सेनानी, विचारक और शिक्षाविद् मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर उनकी स्मृति को सादर प्रणाम करता हूं. कठिन समय में राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सौहार्द बनाने में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही.

मूल्य आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने में उनके योगदान की सराहना करते हुए नायडू ने कहा, स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

आजाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री भी थे.

पढ़ें :- राष्ट्रीय शिक्षा दिवस : मौलाना आजाद ने की थी नई शिक्षा नीति की स्थापना

कौन थे मौलाना अबुल कलाम आजाद

देश के पहले शिक्षा मंत्री, आज़ाद किशोरावस्था में ही पत्रकारिता में सक्रिय हो गए थे. इसके साथ ही साल 1912 में, उन्होंने कलकत्ता में एक साप्ताहिक उर्दू अखबार अल-हिलाल (द क्रिसेंट) (Al-Hilal, The Crescent) प्रकाशित करना शुरू कर दिया था. इसके बाद में, उन्होंने दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे कई संस्थानों की स्थापना की.

मौलाना अबुल कलाम आजाद ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया, तथा वे अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से थे. मौलाना आज़ाद को ही 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' (IIT) और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' (UGC) की स्थापना का श्रेय है. उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की.

राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा दिवस

भारत के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सितंबर 2008 में मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन को 'राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की. इस दिन शिक्षणिक संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इसी क्रम में अबुल कलाम आजाद की 133वीं जयंती के अवसर पर ICCR ने मौलाना आज़ाद की समाधि पर माल्यार्पण समारोह का आयोजन किया गया.

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