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सब्सिडी का ये कैसा खेल, जिसने बंद करा दीं बनारस की 1300 से ज्यादा टेक्सटाइल मशीनें

वाराणसी में कपड़ा कारोबारी मंदी की मार झेल रहे हैं. क्योंकि बड़ी संख्या टेक्सटाइल मशीनें बंद हो चुकी हैं. सरकार की बिजली सब्सिडी ने इस पूरे कारोबार को चौपट कर दिया है. स्पेशल रिपोर्ट में जानिए मशीन चलाने वाले का परिवारों का हाल.

धूल फांक रही हैं टेक्सटाइल मशीनें.
धूल फांक रही हैं टेक्सटाइल मशीनें.
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Published : Aug 19, 2023, 6:38 PM IST

वाराणसी में 1300 से ज्यादा टेक्सटाइल मशीनें बंद.

वाराणसी: बनारस अपने कपड़े के कारोबार के लिए जाना जाता है. लेकिन इन दिनों यह कारोबार मंदी (Recession) के दौर से गुजर रहा है. सरकार की बिजली सब्सिडी ने इस पूरे कारोबार को चौपट कर दिया है. जिसका परिणाम है कि वर्तमान में काशी में लगभग 1300 से ज्यादा टेक्सटाइल मशीनें बंद हो चुकी हैं. इससे मार्केट में अरबों का नुकसान हो चुका है. व्यापारियों का कहना है कि बिजली की दरों में 30 गुना इजाफा होने से इस सेक्टर पर ताला पड़ गया है. ऐसे ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब बनारस का कपड़ा कारोबार खत्म हो जाएगा.

वाराणसी में कपड़े का कारोबार प्रभावित.
वाराणसी में कपड़े का कारोबार प्रभावित.

बिजली की बढ़ी दरों ने बढ़ाई मुश्किलः बनारस के कपड़ा कारोबारियों का कहना है कि यह बंदी एक या दो दिन नहीं बल्कि बीते 4 महीने से चल रही है. इसकी वजह से सैकड़ों उद्यमियों के साथ-साथ हजारों की संख्या में कारीगर प्रभावित हो रहे हैं. कपड़ा कारोबार से जुड़े हुए लोगों का कहना है कि मार्केट में ऑर्डर न मिलने से अरबों का कपड़ा फैक्ट्री में डंप है. बिजली बिल बढ़ने से कई मशीन बंद हो चुकी है. अगर यही हाल रहा तो 100-200 जो चल रही हैं वह भी बंद हो जाएंगी. कारोबारियों का कहना है कि एक अप्रैल से नया अध्यादेश लागू होने के बाद अबतक 1300 मशीनें बंद हो चुकी हैं.

कारोबार प्रभावित होने से कारीगर और मालिक परेशान.
कारोबार प्रभावित होने से कारीगर और मालिक परेशान.
मशीन चलाने वालों का परिवार भुखमरी के कगार पर: कपड़ा कारोबारी मनीष काबरा का कहना है कि 'हमारा हाल बेहाल तो है ही. हमसे जुड़े 15 से 20 परिवारों का भी हाल बेहाल है. जो कारीगर हमारे यहां मशीन चलाने आते थे वो भुखमरी के कगार पर हैं. जो ऑटो वाला हमारे यहां कपड़ा ढोता था, वह भी बेरोजगार है. इस समय जो जिस स्तर का व्यापारी है, उसके पास उसकी लिमिट से दोगुना या तीन गुना माल डंप पड़ा हुआ है. हमारी सारी मशीनें बंद पड़ी हुई हैं. हमारे कारखाने पर 12 मशीनें हैं. इस मशीन पर कम से कम 15 परिवार काम कर रहे थे. ये पूरे परिवार भुखमरी के कगार पर हैं'.
बिजली की दर बढ़ने से बंद की मशीनें.
बिजली की दर बढ़ने से बंद की मशीनें.
करोड़ो मीटर कपड़ा बाजार में है डंप: हिन्दू बुनकर वाहिनी के उपाध्यक्ष शैलेश प्रताप सिंह ने बताया कि 'बाजार की स्थिति बहुत ही भयावह है. करीब एक करोड़ मीटर से ज्यादा का माल कारोबारियों के गोदाम में भरकर रखा हुआ है. इससे जुड़े हुए रोजगार भी प्रभावित हुए हैं. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मिलाकर अगर आंकड़ों में बात करें तो करीब एक लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. अगर परिवारों की बात कर लें तो तीन से चार लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं. बनारस में करीब 2000 से ज्यादा मशीनें इस समय हैं. यह माना जा सकता है कि करीब 1500 मशीनें काम कर रही थीं'.
4 महीने से बंद हैं टेक्सटाइल मशीनें.
4 महीने से बंद हैं टेक्सटाइल मशीनें.


सिर्फ 200-300 मशीनें कर रहीं काम: शैलेश प्रताप सिंह बताया कि 'वाराणसी में इस समय जिन मशीनों पर डिजाइनिंग वाले कपड़े तैयार होते हैं, वे करीब 200 से 300 मशीनें काम कर रही हैं. मगर प्लेन कपड़े तैयार करने वाली मशीनें बंद हैं. बिजली की दर इतनी ज्यादा है कि कपड़े की लागत ही 5 रुपये मीटर बढ़ जाएगी. इस माहौल में कपड़ा कारोबारियों ने अपनी मशीनों को बंद रखना सही समझा. मंदी पूरे विश्व में है. पिछले साल से कपड़े के मार्केट में मंदी है. हम मंदी के दौरान त्योहारों में अपने कपड़े बेच लेते थे, लेकिन इस समय हम मुश्किल में हैं'.

बंद पड़ी टेक्सटाइल मशीनें.
बंद पड़ी टेक्सटाइल मशीनें.
इसे भी पढ़े-बसपा नेता शकील अहमद कुरैशी का मीट प्लांट किया सील, जानिए क्यों हुई कार्रवाई?

4 रुपये मीटर बढ़ गई है कपड़े पर लागत: शैलेश प्रताप का कहना है कि हमारे कारखानों में जो कपड़े तैयार होंगे, उनका जो रेट आएगा, वह रेट क्या रखा जाएगा. वह रेट लगाकर हम मार्केट में कपड़ा नहीं बेच सकेंगे तो इससे अच्छा है कि मशीनों को बंद ही रखा जाए, जब तक सरकार की तरफ से कोई निर्णय नहीं आ जाता है. उन्होंने बताया कि पहले हमारी मशीनों पर लगभग 163 रुपये प्रति हार्सपॉवर का रेट हुआ करता था. इसमें हमारे कपड़े की लागत 30 से 35 पैसे प्रतिमीटर आता था. अभी बिजली की लागत 4 रुपये मीटर ज्यादा बढ़ गई, जबकि कपड़े पर मार्जिन 2 रुपये मीटर का था. अगर हम एक मीटर कपड़ा बनाते हैं तो 2 रुपये नुकसान में हैं.

धूल फांक रही हैं टेक्सटाइल मशीनें.
धूल फांक रही हैं टेक्सटाइल मशीनें.
प्रदेश सरकार का सपना हो जाएगा ध्वस्त: शैलेश प्रताप ने बताया कि सरकार 31 मार्च 2023 तक हमें बिजली में सब्सिडी दे रही थी. एक अप्रैल 2023 के बाद से हमारे लिए यूनिट रेट से बिजली का दर निर्धारित किया है. यह साढ़े 6 रुपये प्रति मीटर के साथ कई तरह के टैक्स के साथ है. अब यह करीब साढे़ 10 से 11 रुपये प्रति यूनिट बिजली पड़ रही है. अगर ऐसा ही रहा तो सीएम योगी जिस सपने को लेकर चल रहे हैं, जिस विश्वास के साथ वह यूपी को एक ट्रिलियन डॉलर की इकॉनॉमी बनाने की सोच रहे हैं, उनका सपना ध्वस्त हो जाएगा. मुखिया का सपना ध्वस्त होने से सोचिए प्रदेश के लिए कितना बुरा होगा'.अचानक से ऐसे बढ़े हैं बिजली बिल के दाम: बता दें कि इंडस्ट्रियल एरिया चांदपुर, लहरतारा, पीलीकोठी, दुल्हीपुर, सरैया, बजरडीहा क्षेत्रों में कपड़ों का कारोबार होता है. बिजली की दरों में बढ़ेतरी के साथ ही इन क्षेत्रों में मशीनें बंद होना शुरू हो गई हैं. करीब 500 उद्यमी इस कारोबार से जुड़े थे, जो घटकर 100 ही रह गए हैं. कारोबारियों का कहना है कि पहले 7 किलोवाट के लिए 1141 रुपये प्रतिमाह बिल देना पड़ा था. अब सब्सिडी के बाद 37,142 रुपये देने पड़ रहे हैं. वहीं 30 किलोवाट पर 4890 का बिल आता था, अब अप्रैल महीने में 1,71,080 रुपये का बिल आया है. एक मशीन पर करीब 143 रुपये का बिल आता था, जोकि 6060 रुपये हो गया है. सरकार 700 की सब्सिडी देती है तो 5306 रुपये का भुगतान करना होता है. रोजाना होता था 4 करोड़ का कारोबार: कपड़ा कारोबारियों का कहना है कि पहले 4 करोड़ प्रतिदिन का कारोबार वाराणसी में होता था. वहीं महीने में करीब एक अरब 20 करोड़ का कारोबार हो जाता था. मार्केट में ऑर्डर न मिलने के चलते यह करीब 40 करोड़ से कम का रह गया है. कारोबारियों का कहना है कि नए नियम के बाद सरकार ने वस्त्र लूम संचालकों के लिए बिजली सब्सिडी 75 किलोवाट से घटाकर 5 किलोवाट कर दिया है. इससे शहर की करीब 80 फीसदी मशीनें बंद पड़ गई हैं. करीब 30 हजार वस्त्रलूम बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं. वहीं करोड़ों का माल सभी व्यापारियों के गोदाम में डंप पड़ा हुआ है.यह भी पढ़े-गोरखपुर विवि को नए कुलपति की तलाश, 67 सालों में किसी को नहीं मिली दोबारा वीसी की कुर्सी, जानिए क्यों?

वाराणसी में 1300 से ज्यादा टेक्सटाइल मशीनें बंद.

वाराणसी: बनारस अपने कपड़े के कारोबार के लिए जाना जाता है. लेकिन इन दिनों यह कारोबार मंदी (Recession) के दौर से गुजर रहा है. सरकार की बिजली सब्सिडी ने इस पूरे कारोबार को चौपट कर दिया है. जिसका परिणाम है कि वर्तमान में काशी में लगभग 1300 से ज्यादा टेक्सटाइल मशीनें बंद हो चुकी हैं. इससे मार्केट में अरबों का नुकसान हो चुका है. व्यापारियों का कहना है कि बिजली की दरों में 30 गुना इजाफा होने से इस सेक्टर पर ताला पड़ गया है. ऐसे ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब बनारस का कपड़ा कारोबार खत्म हो जाएगा.

वाराणसी में कपड़े का कारोबार प्रभावित.
वाराणसी में कपड़े का कारोबार प्रभावित.

बिजली की बढ़ी दरों ने बढ़ाई मुश्किलः बनारस के कपड़ा कारोबारियों का कहना है कि यह बंदी एक या दो दिन नहीं बल्कि बीते 4 महीने से चल रही है. इसकी वजह से सैकड़ों उद्यमियों के साथ-साथ हजारों की संख्या में कारीगर प्रभावित हो रहे हैं. कपड़ा कारोबार से जुड़े हुए लोगों का कहना है कि मार्केट में ऑर्डर न मिलने से अरबों का कपड़ा फैक्ट्री में डंप है. बिजली बिल बढ़ने से कई मशीन बंद हो चुकी है. अगर यही हाल रहा तो 100-200 जो चल रही हैं वह भी बंद हो जाएंगी. कारोबारियों का कहना है कि एक अप्रैल से नया अध्यादेश लागू होने के बाद अबतक 1300 मशीनें बंद हो चुकी हैं.

कारोबार प्रभावित होने से कारीगर और मालिक परेशान.
कारोबार प्रभावित होने से कारीगर और मालिक परेशान.
मशीन चलाने वालों का परिवार भुखमरी के कगार पर: कपड़ा कारोबारी मनीष काबरा का कहना है कि 'हमारा हाल बेहाल तो है ही. हमसे जुड़े 15 से 20 परिवारों का भी हाल बेहाल है. जो कारीगर हमारे यहां मशीन चलाने आते थे वो भुखमरी के कगार पर हैं. जो ऑटो वाला हमारे यहां कपड़ा ढोता था, वह भी बेरोजगार है. इस समय जो जिस स्तर का व्यापारी है, उसके पास उसकी लिमिट से दोगुना या तीन गुना माल डंप पड़ा हुआ है. हमारी सारी मशीनें बंद पड़ी हुई हैं. हमारे कारखाने पर 12 मशीनें हैं. इस मशीन पर कम से कम 15 परिवार काम कर रहे थे. ये पूरे परिवार भुखमरी के कगार पर हैं'.
बिजली की दर बढ़ने से बंद की मशीनें.
बिजली की दर बढ़ने से बंद की मशीनें.
करोड़ो मीटर कपड़ा बाजार में है डंप: हिन्दू बुनकर वाहिनी के उपाध्यक्ष शैलेश प्रताप सिंह ने बताया कि 'बाजार की स्थिति बहुत ही भयावह है. करीब एक करोड़ मीटर से ज्यादा का माल कारोबारियों के गोदाम में भरकर रखा हुआ है. इससे जुड़े हुए रोजगार भी प्रभावित हुए हैं. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मिलाकर अगर आंकड़ों में बात करें तो करीब एक लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. अगर परिवारों की बात कर लें तो तीन से चार लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं. बनारस में करीब 2000 से ज्यादा मशीनें इस समय हैं. यह माना जा सकता है कि करीब 1500 मशीनें काम कर रही थीं'.
4 महीने से बंद हैं टेक्सटाइल मशीनें.
4 महीने से बंद हैं टेक्सटाइल मशीनें.


सिर्फ 200-300 मशीनें कर रहीं काम: शैलेश प्रताप सिंह बताया कि 'वाराणसी में इस समय जिन मशीनों पर डिजाइनिंग वाले कपड़े तैयार होते हैं, वे करीब 200 से 300 मशीनें काम कर रही हैं. मगर प्लेन कपड़े तैयार करने वाली मशीनें बंद हैं. बिजली की दर इतनी ज्यादा है कि कपड़े की लागत ही 5 रुपये मीटर बढ़ जाएगी. इस माहौल में कपड़ा कारोबारियों ने अपनी मशीनों को बंद रखना सही समझा. मंदी पूरे विश्व में है. पिछले साल से कपड़े के मार्केट में मंदी है. हम मंदी के दौरान त्योहारों में अपने कपड़े बेच लेते थे, लेकिन इस समय हम मुश्किल में हैं'.

बंद पड़ी टेक्सटाइल मशीनें.
बंद पड़ी टेक्सटाइल मशीनें.
इसे भी पढ़े-बसपा नेता शकील अहमद कुरैशी का मीट प्लांट किया सील, जानिए क्यों हुई कार्रवाई?

4 रुपये मीटर बढ़ गई है कपड़े पर लागत: शैलेश प्रताप का कहना है कि हमारे कारखानों में जो कपड़े तैयार होंगे, उनका जो रेट आएगा, वह रेट क्या रखा जाएगा. वह रेट लगाकर हम मार्केट में कपड़ा नहीं बेच सकेंगे तो इससे अच्छा है कि मशीनों को बंद ही रखा जाए, जब तक सरकार की तरफ से कोई निर्णय नहीं आ जाता है. उन्होंने बताया कि पहले हमारी मशीनों पर लगभग 163 रुपये प्रति हार्सपॉवर का रेट हुआ करता था. इसमें हमारे कपड़े की लागत 30 से 35 पैसे प्रतिमीटर आता था. अभी बिजली की लागत 4 रुपये मीटर ज्यादा बढ़ गई, जबकि कपड़े पर मार्जिन 2 रुपये मीटर का था. अगर हम एक मीटर कपड़ा बनाते हैं तो 2 रुपये नुकसान में हैं.

धूल फांक रही हैं टेक्सटाइल मशीनें.
धूल फांक रही हैं टेक्सटाइल मशीनें.
प्रदेश सरकार का सपना हो जाएगा ध्वस्त: शैलेश प्रताप ने बताया कि सरकार 31 मार्च 2023 तक हमें बिजली में सब्सिडी दे रही थी. एक अप्रैल 2023 के बाद से हमारे लिए यूनिट रेट से बिजली का दर निर्धारित किया है. यह साढ़े 6 रुपये प्रति मीटर के साथ कई तरह के टैक्स के साथ है. अब यह करीब साढे़ 10 से 11 रुपये प्रति यूनिट बिजली पड़ रही है. अगर ऐसा ही रहा तो सीएम योगी जिस सपने को लेकर चल रहे हैं, जिस विश्वास के साथ वह यूपी को एक ट्रिलियन डॉलर की इकॉनॉमी बनाने की सोच रहे हैं, उनका सपना ध्वस्त हो जाएगा. मुखिया का सपना ध्वस्त होने से सोचिए प्रदेश के लिए कितना बुरा होगा'.अचानक से ऐसे बढ़े हैं बिजली बिल के दाम: बता दें कि इंडस्ट्रियल एरिया चांदपुर, लहरतारा, पीलीकोठी, दुल्हीपुर, सरैया, बजरडीहा क्षेत्रों में कपड़ों का कारोबार होता है. बिजली की दरों में बढ़ेतरी के साथ ही इन क्षेत्रों में मशीनें बंद होना शुरू हो गई हैं. करीब 500 उद्यमी इस कारोबार से जुड़े थे, जो घटकर 100 ही रह गए हैं. कारोबारियों का कहना है कि पहले 7 किलोवाट के लिए 1141 रुपये प्रतिमाह बिल देना पड़ा था. अब सब्सिडी के बाद 37,142 रुपये देने पड़ रहे हैं. वहीं 30 किलोवाट पर 4890 का बिल आता था, अब अप्रैल महीने में 1,71,080 रुपये का बिल आया है. एक मशीन पर करीब 143 रुपये का बिल आता था, जोकि 6060 रुपये हो गया है. सरकार 700 की सब्सिडी देती है तो 5306 रुपये का भुगतान करना होता है. रोजाना होता था 4 करोड़ का कारोबार: कपड़ा कारोबारियों का कहना है कि पहले 4 करोड़ प्रतिदिन का कारोबार वाराणसी में होता था. वहीं महीने में करीब एक अरब 20 करोड़ का कारोबार हो जाता था. मार्केट में ऑर्डर न मिलने के चलते यह करीब 40 करोड़ से कम का रह गया है. कारोबारियों का कहना है कि नए नियम के बाद सरकार ने वस्त्र लूम संचालकों के लिए बिजली सब्सिडी 75 किलोवाट से घटाकर 5 किलोवाट कर दिया है. इससे शहर की करीब 80 फीसदी मशीनें बंद पड़ गई हैं. करीब 30 हजार वस्त्रलूम बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं. वहीं करोड़ों का माल सभी व्यापारियों के गोदाम में डंप पड़ा हुआ है.यह भी पढ़े-गोरखपुर विवि को नए कुलपति की तलाश, 67 सालों में किसी को नहीं मिली दोबारा वीसी की कुर्सी, जानिए क्यों?
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