चेन्नई: म्यांमार और थाईलैंड में भारतीय दूतावासों ने 13 भारतीय आईटी पेशेवरों को बचाया है, जिन्हें आईटी में नौकरी देने के बहाने म्यांमार के म्यावाडी में एक दूरदराज के इलाके में ले जाया गया था. सूत्रों के मुताबिक, सभी 13 व्यक्ति तमिलनाडु के हैं और वह अब नई दिल्ली पहुंच गए हैं. डिजिटल स्कैमिंग और क्रिप्टो धोखाधड़ी में लगी कुछ धोखाधड़ी वाली आईटी कंपनियों ने उप-एजेंटों का उपयोग करके तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और कुछ अन्य राज्यों से भारतीय नागरिकों की 'भर्ती' की.
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विदेश मंत्रालय ने हाल ही में एक विज्ञप्ति में कहा था, थाईलैंड में अत्यधिक आकर्षक डेटा प्रविष्टि नौकरियों के सोशल मीडिया विज्ञापनों का लालच दिया जाता है. इनको फिर अवैध रूप से म्यांमार के मायावाडी क्षेत्र में ले जाया जाता है, जहां स्थानीय सुरक्षा स्थिति के कारण पहुंचना मुश्किल है. राज्य मंत्री केएस मस्तान ने कहा कि एजेंटों के माध्यम से लोगों को राज्य के विभिन्न हिस्सों से म्यांमार लाया गया था. सीएम एमके स्टालिन ने उन्हें बचाने के प्रयास किए थे. साथ ही उन्होंने कहा कि लगभग 50 तमिल अभी भी म्यांमार में हैं और सरकार उन्हें वापस लाने के लिए प्रयास करेगी.
कोयंबटूर के एक पीड़ित ने कहा कि हमने दुबई में नौकरी के लिए आवेदन किया था. दुबई के एजेंट ने कहा कि नौकरी थाईलैंड में है लेकिन जब हम थाईलैंड पहुंचे तो नौकरी नहीं मिली. इसके बाद वे हमें लगभग 450 किमी दूर एक कार में किसी स्थान पर ले गए. वहां से चीनी लोगों के एक समूह ने हमें अवैध रूप से एक नदी पार करा दी. इसके बाद उन्होंने हमारी कंपनी के फोन लिए और बाद में हमें पता चला कि हम म्यांमार में हैं.
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हमारे पास वीजा नहीं था और अवैध रूप से वहां थे. हमें वीआईपी के साथ फर्जी आईडी से चैट करनी थी. साथ ही बताया कि स्थानीय सेना ने हमें बचाया. हमें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। दिन में 15-16 घंटे काम किया. एजेंटों के जरिए वहां काफी लोग आए हुए थे.