बेंगलुरु : महिला सैन्य पुलिस 8 मई को शामिल होकर 100 महिलाएं नया इतिहास बनाएंगी. इन महिलाओं को 61 सप्ताह का कड़ा प्रशिक्षण दिया गया है. इतना ही नहीं पिछले साल 2 लाख आवेदनों में से 17 राज्यों की 100 महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए पायलट बैच के रूप में कॉर्प्स-मिलिट्री पुलिस (सीएमपी) के लिए चुना गया था. प्रशिक्षण अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल जुली के अनुसार, इन्हें भी पुरुषों की तरह प्रशिक्षण दिया जा रहा है. हालांकि महिला प्रशिक्षुओं के लिए कुछ मापदंड निर्धारित हैं.
प्रशिक्षण में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के काम शामिल
रक्षा मंत्रालय द्वारा पूर्व में तय किया पाठ्यक्रमों के अनुसार महिला प्रशिक्षुओं को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के प्रशिक्षण दिया जा रहा है. महिला सिपाही लैंगिक अपराध में अधिक सक्षम साबित होंगी. प्रशिक्षण के दौरान यह भी उन्हें बताया गया कि क्राइम के बाद कैसे अपराध को रिक्रिएट करके जांच करनी चाहिए.
बंदूक भी चला रहीं
इतना ही नहीं महिला सिपाहियों को अपराध की जांच और अपराधियों से निपटने के लिए रिवाल्वर और स्वचालित बंदूक चलाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षु महिला सिपाहियों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक राज्य की महिलाएं ज्यादा है.
साइकिल नहीं चला पाती थीं, वे अब ट्रक चला सकती हैं
महिला सिपाहियों का जब प्रशिक्षण शुरू हुआ था तब कई महिलाएं साइकिल तक नहीं चला पाती थीं. प्रशिक्षण के कुछ सप्ताह के बाद अब वे 2.5-टन के ट्रक के अलावा रॉयल एनफील्ड चलाना सीख गई हैं. अब इनका प्रशिक्षण कार्यक्रम भी समाप्त होने वाला है.
खिलाड़ियों के आकलन के लिए टीम आएगी
महिला सिपाहियों में से कई ने कबड्डी, क्रिकेट और साइकिलिंग जैसे खेलों के राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. सीएमपी ने सैन्य मंत्रालय से सिफारिश की है कि इन महिलाओं में से कई खिलाड़ी काफी प्रतिभावान है इसलिए इन्हें आगामी खेल प्रतियोगिताओं के लिए चयन किया जा सकता है हमारी सिफारिश पर तकनीकी विशेषज्ञ की एक टीम आएगी और उनका आकलन करेगी.
महिला सिपाही बोलीं- राष्ट्र की सेवा के लिए सेना को चुना
ईटीवी भारत से प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में कई महिला सिपाहियों ने बातचीत की. इसमें प्रत्येक सिपाही ने कहा कि उन्होंने राष्ट्र सेवा के लिए ही भारतीय सेना को चुना. उन्होंने कहा कि महिला-पुरुष समान हैं और सेना में पुरुषों द्वारा किए गए सभी कार्य महिलाओं द्वारा किए जा सकते हैं.
अभिभावक बिना डर के बच्चों को सेना में भेजें
लेफ्टिनेंट कर्नल जुली के अनुसार मई के पहले सप्ताह के बाद सिपाहियों को देश भर के विभिन्न स्थानों पर तैनात किया जाएगा. उन्होंने माता-पिता से भी आग्रह किया कि अपने बच्चों को बिना किसी डर के सेना में भेजें.
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