रायकोट : लम्मे जट्टपुरा गांव के गुरुद्वारा दमदमा साहिब में विस्तार कार्य के दौरान नींव खोदते समय 100 से अधिक पुराने सिक्के मिले हैं. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा प्रबंधित गुरुद्वारे के आयोजकों ने सिक्कों को प्रदर्शित किया है. हालांकि सिक्कों और सिख इतिहास के बीच कोई संबंध नहीं होने का दावा किया गया है. प्रबंधन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण या राज्य पुरातत्व विभाग से इस संबंध में अध्ययन करने की अपील की है.
एसजीपीसी के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल के नेतृत्व में गुरुद्वारा दमदमा साहिब, लम्मे जट्टपुरा के आयोजकों ने कहा, 'मजदूरों को मिट्टी की खुदाई करते समय 100 से अधिक सिक्कों वाला मिट्टी का एक बर्तन मिला था. बर्तन में एक सोने का सिक्का था और बाकी सिक्के चांदी के थे. हालांकि कोई भी सिक्का सिख इतिहास से सीधे तौर पर जुड़ा नहीं पाया गया, लगभग सभी सिक्कों पर महारानी एलिजाबेथ की तस्वीर उकेरी गई है. शिरोमणि कमेटी के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि ये ब्रिटिश शासन के समय के हो सकते हैं. इनको फिलहाल गुरुद्वारा दमदमा साहिब में संगत के दर्शन के लिए रखा जाएगा.
गुरुद्वारे का इतिहास: सिखों के बीच इस गांव का विशेष ऐतिहासिक महत्व है. श्री गुरु गोबिंद सिंह जी यहां 21 दिनों तक रहे थे. श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने रात को गांव में स्थित एक घर में विश्राम किया था, उसी जगह पर गुरुद्वारा दमदमा साहिब अब स्थित है. गुरु गोबिंद सिंह के निजी सेवकों राय काला और नूरा माही ने लोंग जटपुरा गांव में साहिबजादा और माता गुजरी की शहादत की सूचना दी थी.
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