कोच्चि : केरल की शिजी शिजू के पति की 10 साल पहले ओमान में एक दुर्घटना में मौत हो गयी थी, लेकिन आज तक शोक संतप्त परिवार को मुआवजे का एक पैसा भी नहीं मिला है. परेशान होकर महिला ने मदद के लिए केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
दुर्घटना के समय गर्भवती थी पत्नी
शिजी शिजू उस समय गर्भवती थीं, जब 2010 में उनके पति पुलिककोटिल वरुथुन्नी शिजू (Pulikkottil Varuthunny Shiju) अल एकटिस्यून (Al Ektisasyoon) ट्रेडिंग कंपनी में काम करने के लिए विदेश गए थे.
अगले ही साल सड़क पर पुलिककोटिल पर एक क्रेन गिर गया और उनकी मौत हो गई. हादसे के समय वह 36 साल के थे और एक छह महीने की बच्ची एंजेल रोज़ के पिता थे. जिस बच्ची को वह कभी नहीं देख पाए.
पुलिककोटिल की मौत को 10 साल से भी अधिक समय हो गया है. पुलिककोटिल की बड़ी बेटी अजीना अब 12वीं कक्षा में पढ़ती है जबकि उनकी छोटी बेटी पांचवीं कक्षा में पढ़ाई करती है.
मामूली वेतन और ससुर की पेंशन पर गुजर-बसर
शिजी जोकि त्रिशूर के नंबाझिक्कड में अपने माता-पिता के घर में रहती है, अपनी दोनों बेटियों के पालन-पोषण के लिए सप्ताह में छह दिन एक निजी लैब में लगभग 8,500 रुपये के मामूली वेतन पर आठ घंटे से अधिक काम करती है. शिजी के पास इस वेतन के अलावा अपने 79 वर्षीय ससुर की पेंशन से आने वाली धन राशि ही गुजारा चलाने के साधन हैं. शिजी को इसके जरिए ही अपनी दोनों बेटियों के पालन-पोषण और अन्य जरूरतों को पूरा करना होता है.
शिजी ने अपनी परेशानियों के बारे में बात करते हुए कहा, जैसे-जैसे बच्चे बड़े हो रहे हैं, यह धन राशि उनकी शिक्षा को जारी रखने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा हमारा घर बहुत पुराना है और केवल एक कमरा ही इस्तेमाल करने योग्य है. इसकी मरम्मत की जरूरत है. हमारे घर के लिए कोई सीधा रास्ता भी नहीं है. इस सब के लिए पैसे की जरूरत है. मेरे परिवार ने हर संभव मदद की है लेकिन इसके बावजूद हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. शिजी के पति अप्रैल 2010 में ओमान के लिए रवाना होने से पहले यहां बिजली मिस्त्री का काम किया करते थे और उसके ठीक एक साल बाद दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी.
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शिजी के पति के चचेरे भाई सेवी पी टी ने बताया कि पुलिककोटिल की मृत्यु के कुछ सप्ताह बाद, ओमान में भारतीय दूतावास ने शिजी को सूचित किया था कि मुआवजे की वसूली की प्रक्रिया चल रही है और वहां की एक अदालत में इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए उनसे मुख्तारनामा (पावर ऑफ अटॉर्नी)मांगा था.
सेवी इस मामले को प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, केरल के मुख्यमंत्री और केरल उच्च न्यायालय सहित राज्य तथा केंद्र सरकार के अधिकारियों के सामने उठाने में परिवार की मदद कर रहे हैं.
(पीटीआई-भाषा)