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कोवीशील्ड की 10,000 डोज गायब, वैक्सीन मंगवाने वाला अस्पताल भी लापता

मध्यप्रदेश के जबलपुर में कोवीशील्ड वैक्सीन की 10 हजार डोज गायब हो गई हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि ये वैक्सीन जिस हॉस्पिटल के नाम पर खरीदी गईं थी वो हॉस्पिटल भी गायब है.

वैक्सीन गायब
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Published : Jun 8, 2021, 7:47 PM IST

जबलपुर: कोरोना संक्रमण के मौजूदा दौर में वैक्सीन की कमी की शिकायतें आम हैं लेकिन सोचिये अगर वैक्सीन की हजारों डोज़ गायब हो जाएं और उसका ऑर्डर करने वाले अस्पताल का भी लापता हो तो क्या कहेंगे. मामला मध्यप्रदेश के जबलपुर का है जहां कोवीशील्ड वैक्सीन की 10 हजार डोज गायब हो गई हैं. इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि ये वैक्सीन जिस हॉस्पिटल के नाम पर खरीदी गईं थी वो हॉस्पिटल भी गायब है. ये डोज जबलपुर के मैक्स हेल्थ केयर अस्पताल के नाम खरीदी गई थी. जिला टीकाकरण अधिकारी के मुताबिक इस नाम का अस्पताल जबलपुर में है ही नहीं. ऐसे में सवाल है कि ये वैक्सीन किसने खरीदी और अभी वैक्सीन की ये डोज कहां है.

6 अस्पतालों ने खरीदीं थी 43 हजार डोज

कोवीशील्ड वैक्सीन के जो डोज गायब हुए हैं वे जबलपुर के मैक्स हेल्थ केयर अस्पताल के नाम पर खरीदे गए थे. टीकाकरण अधिकारी को जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने कहा कि इस नाम का कोई हॉस्पिटल जबलपुर में है ही नहीं. इसके बाद दो दिनों तक अस्पताल की खोज की गई लेकिन इस नाम का कोई अस्पताल नहीं मिला. आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के 6 अस्पतालों ने सीधे सीरम इंस्टीट्यूट से 43 हजार कोवीशील्ड की डोज खरीदीं थी. जिसमें जबलपुर के मैक्स हेल्थ केयर इंस्टीट्यूटी ने 10 हजार डोज खरीदीं थी. अब जब हॉस्पिटल ही नहीं है तो ये 10 हजार वैक्सीन किसने खरीदी और अब वे कहां हैं, कोई नहीं जानता.

दिल्ली से आए मैसेज से हुआ खुलासा
जबलपुर के जिला टीकाकरण अधिकारी डॉक्टर शत्रुघ्न दाहिया के मुताबिक वैक्सीनेशन एप पर दो दिन पहले दिल्ली से एक मैसेज उन्हें मिला था. इस मैसेज में जबलपुर के मैक्स हेल्थ केयर इंस्टीट्यूट को 10 हजार डोज दिए जाने की जानकारी थी. टीकाकरण अधिकारी ने सीएचएमओ को इस बात की जानकारी दी और जबलपुर में इस अस्पताल की खोज की गई, लेकिन रिकॉर्ड में इस नाम का अस्पताल ही नहीं मिला. जिसके बाद भोपाल में बैठे अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई.

दुरुपयोग या डंप करने की साजिश तो नहीं ?

जिला टीकाकरण अधिकारी को भोपाल से अलर्ट करते हुए कहा गया है कि वे वैक्सीन की मौजूदा स्थिति का पता लगाएं. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता वैक्सीन के दुरुपयोग या डंप करने को लिए किसी शरारती तत्व ने ऐसी साजिश रची हो. सीरम इंस्टीट्यूट से भी इस बारे में अधिक ब्य़ौरा मांगा गया है. हालांकि खबर लिखे जाने तक इसकी कोई जानकारी नहीं लगी है.

60 लाख का भुगतान करने वाला हॉस्पिटल फर्जी कैसे?

कोवीशील्ड वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट और केंद्र सरकार के बीच हुए करार के मुताबिक प्राइवेट अस्पताल को 600 रुपए प्रति डोज के हिसाब से भुगतान करना होता है. इस तरह 10 हजार डोज खरीदने के लिए 60 लाख रुपए का भुगतान हुआ होगा. ऐसे में सवाल यह है कि इतनी बड़ी राशि चुकाने वाला अस्पताल फर्जी कैसे हो सकता है, हॉस्पिटल ने आखिर अपना फर्जी एड्रेस क्यों लिखवाया है. वैक्सीन खरीद और अस्पताल के गायब होने के मामले की जबलपुर से लेकर भोपाल और दिल्ली तक पड़ताल की जा रही है, लेकिन अभी तक ऐसा कोई हॉस्पिटल अधिकारियों को नहीं मिला है और न ही इस बात की कोई जानकारी मिली है कि 10 हजार कोवीशील्ड वैक्सीन के डोज आखिर कहां हैं.

ये भी पढ़ें: 'टीका', 'टिप्पणी' और मोदी का मास्टरस्ट्रोक, एक तीर से कई निशाने और कई सवाल

जबलपुर: कोरोना संक्रमण के मौजूदा दौर में वैक्सीन की कमी की शिकायतें आम हैं लेकिन सोचिये अगर वैक्सीन की हजारों डोज़ गायब हो जाएं और उसका ऑर्डर करने वाले अस्पताल का भी लापता हो तो क्या कहेंगे. मामला मध्यप्रदेश के जबलपुर का है जहां कोवीशील्ड वैक्सीन की 10 हजार डोज गायब हो गई हैं. इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि ये वैक्सीन जिस हॉस्पिटल के नाम पर खरीदी गईं थी वो हॉस्पिटल भी गायब है. ये डोज जबलपुर के मैक्स हेल्थ केयर अस्पताल के नाम खरीदी गई थी. जिला टीकाकरण अधिकारी के मुताबिक इस नाम का अस्पताल जबलपुर में है ही नहीं. ऐसे में सवाल है कि ये वैक्सीन किसने खरीदी और अभी वैक्सीन की ये डोज कहां है.

6 अस्पतालों ने खरीदीं थी 43 हजार डोज

कोवीशील्ड वैक्सीन के जो डोज गायब हुए हैं वे जबलपुर के मैक्स हेल्थ केयर अस्पताल के नाम पर खरीदे गए थे. टीकाकरण अधिकारी को जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने कहा कि इस नाम का कोई हॉस्पिटल जबलपुर में है ही नहीं. इसके बाद दो दिनों तक अस्पताल की खोज की गई लेकिन इस नाम का कोई अस्पताल नहीं मिला. आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के 6 अस्पतालों ने सीधे सीरम इंस्टीट्यूट से 43 हजार कोवीशील्ड की डोज खरीदीं थी. जिसमें जबलपुर के मैक्स हेल्थ केयर इंस्टीट्यूटी ने 10 हजार डोज खरीदीं थी. अब जब हॉस्पिटल ही नहीं है तो ये 10 हजार वैक्सीन किसने खरीदी और अब वे कहां हैं, कोई नहीं जानता.

दिल्ली से आए मैसेज से हुआ खुलासा
जबलपुर के जिला टीकाकरण अधिकारी डॉक्टर शत्रुघ्न दाहिया के मुताबिक वैक्सीनेशन एप पर दो दिन पहले दिल्ली से एक मैसेज उन्हें मिला था. इस मैसेज में जबलपुर के मैक्स हेल्थ केयर इंस्टीट्यूट को 10 हजार डोज दिए जाने की जानकारी थी. टीकाकरण अधिकारी ने सीएचएमओ को इस बात की जानकारी दी और जबलपुर में इस अस्पताल की खोज की गई, लेकिन रिकॉर्ड में इस नाम का अस्पताल ही नहीं मिला. जिसके बाद भोपाल में बैठे अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई.

दुरुपयोग या डंप करने की साजिश तो नहीं ?

जिला टीकाकरण अधिकारी को भोपाल से अलर्ट करते हुए कहा गया है कि वे वैक्सीन की मौजूदा स्थिति का पता लगाएं. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता वैक्सीन के दुरुपयोग या डंप करने को लिए किसी शरारती तत्व ने ऐसी साजिश रची हो. सीरम इंस्टीट्यूट से भी इस बारे में अधिक ब्य़ौरा मांगा गया है. हालांकि खबर लिखे जाने तक इसकी कोई जानकारी नहीं लगी है.

60 लाख का भुगतान करने वाला हॉस्पिटल फर्जी कैसे?

कोवीशील्ड वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट और केंद्र सरकार के बीच हुए करार के मुताबिक प्राइवेट अस्पताल को 600 रुपए प्रति डोज के हिसाब से भुगतान करना होता है. इस तरह 10 हजार डोज खरीदने के लिए 60 लाख रुपए का भुगतान हुआ होगा. ऐसे में सवाल यह है कि इतनी बड़ी राशि चुकाने वाला अस्पताल फर्जी कैसे हो सकता है, हॉस्पिटल ने आखिर अपना फर्जी एड्रेस क्यों लिखवाया है. वैक्सीन खरीद और अस्पताल के गायब होने के मामले की जबलपुर से लेकर भोपाल और दिल्ली तक पड़ताल की जा रही है, लेकिन अभी तक ऐसा कोई हॉस्पिटल अधिकारियों को नहीं मिला है और न ही इस बात की कोई जानकारी मिली है कि 10 हजार कोवीशील्ड वैक्सीन के डोज आखिर कहां हैं.

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