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कानपुर में जीका संक्रमण के 10 नए मामले, अब तक 89 लोग संक्रमित

यूपी के कानपुर में रविवार को फिर जीका वायरस के 10 मामले सामने आए हैं. वहीं, अब तक जिले में कुल 89 लोग जीका वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. लगातार जीका वायरस के मामले सामने आने से प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग चिंतित है. शनिवार काे कानपुर में जीका संक्रमण के 13 मामले सामने आये थे.

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Published : Nov 7, 2021, 8:53 PM IST

कानपुर : महानगर में जीका वायरस का प्रकोप लगातार जारी है. जिले में रविवार को 10 और मरीजों में जीका वायरस की पुष्टि हुई है, जिसके बाद संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 89 पहुंच गया है. लागातार जीका वायरस के मामले मिलने से स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है.

कानपुर में फिर मिले जीका वायरस के 10 नए मामले
कानपुर में फिर मिले जीका वायरस के 10 नए मामले

हालांकि जिला प्रशासन द्वारा लोग जिन क्षेत्रों में मामले सामने आ रहे हैं, वहां निरोधात्मक कार्रवाई कराई जा रही है. नगर निगम के दस्ते और स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार फागिंग सोर्स रिडक्शन और दवाओं का छिड़काव कर रही है. बता दें कि इसके पहले शनिवार काे कानपुर में जीका संक्रमण के 13 मामले सामने आये थे.

उल्लेखनीय है कि कानपुर महानगर को जीका वायरस तेजी के साथ अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है. उत्तर प्रदेश में कानपुर पहला जिला था, जहां पर जीका वायरस का मरीज पाया गया था. इसके बाद हड़कंप मच गया था. इतना ही नहीं डब्ल्यूएचओ की टीम भी कानपुर पहुंची थी और वायरस कहां से आया इसका पता लगाने की कोशिश की थी.

कानपुर में फिर मिले जीका वायरस के 10 नए मामले
कानपुर में फिर मिले जीका वायरस के 10 नए मामले

इसके बाद लगातार मामले तेजी के साथ बढ़ते गए और यह आंकड़ा अब 89 पर आ गया है. सरकार भी जीका वायरस के बढ़ते हुए मामलों को लेकर काफी चिंतित है. जिले के आला अधिकारियों को सरकार द्वारा दिशा निर्देश भी भेजे जा रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा टीमें बनाकर और लोगों को चिन्हित कर इस वायरस को रोका जा सके.

जिला प्रशासन द्वारा लोगों से अपील की जा रही है कि रातों में अपने घरों में मच्छरदानी का प्रयोग करें ताकि मच्छरों से बच सकें. वहीं, दवाओं का छिड़काव भी नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा किया जा रहा है. इसके बावजूद जीका वायरस के मामले लगातार बढ़ता जा रहा है.

डेंगू से ज्यादा खतरनाक है जीका वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक जीका वायरस भी एडीज मच्छर से फैलता है किन्तु यह जीका वायरस डेंगू की तुलना में अधिक खतरनाक है.

यह जीका वायरस लार (Saliva) और मूत्र से निकले पदार्थ द्वारा किसी पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है, या संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले तरल पदार्थ का किसी साधारण व्यक्ति के संपर्क में आने से भी फैल सकता है.

विश्व स्वास्थ संगठन के मुताबिक जीका वायरस के संपर्क में आने वाले व्यक्ति के अंदर 3 से 14 दिनों के भीतर इस वायरस के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. यह वायरस गर्भवती महिलाओ के लिए अधिक खतरनाक होता है, क्योंकि यह भ्रूण में आसानी से पहुंच जाता है. इसके अलावा यह ब्लड प्रोडक्ट्स, अंग प्रत्यारोपण या सेक्सुअल कॉन्टैक्ट के जरिये भी तेजी से फैलता है.

पढ़ें : कानपुर में जीका वायरस के 13 नए मामले, स्वास्थ्य विभाग की उड़ी नींद

ये हैं लक्षण

  • सिर दर्द
  • बदन दर्द
  • जोड़ो का दर्द
  • बुखार
  • मांसपेशियों में दर्द
  • बेचैनी होना
  • इसके अलावा किशाेराें या वयस्कों में जीका वायरस का संक्रमण हो जाने पर उनमें न्यूरोपैथी, गुलियन-बेरी सिंड्रोम और मायलाइटिस जैसी तंत्रिका संबंधी समस्याएं देखने को मिल सकती है.

ये हैं बचाव

त्वचा के खुले हिस्साें पर 20% – 30% DEET या 20% पिकारिडीन वाले रेपेलेंट का उपयोग करें.

  • हल्के कलर के कपड़े पहनें.
  • बांह बंद वाले कपड़े पहनें.
  • यदि हो सके तो कपड़ों की बाहरी सतह पर प्रीमेथरिन का स्प्रे कर लें.
  • घर में पानी को न जमा होने दें.

कानपुर : महानगर में जीका वायरस का प्रकोप लगातार जारी है. जिले में रविवार को 10 और मरीजों में जीका वायरस की पुष्टि हुई है, जिसके बाद संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 89 पहुंच गया है. लागातार जीका वायरस के मामले मिलने से स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है.

कानपुर में फिर मिले जीका वायरस के 10 नए मामले
कानपुर में फिर मिले जीका वायरस के 10 नए मामले

हालांकि जिला प्रशासन द्वारा लोग जिन क्षेत्रों में मामले सामने आ रहे हैं, वहां निरोधात्मक कार्रवाई कराई जा रही है. नगर निगम के दस्ते और स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार फागिंग सोर्स रिडक्शन और दवाओं का छिड़काव कर रही है. बता दें कि इसके पहले शनिवार काे कानपुर में जीका संक्रमण के 13 मामले सामने आये थे.

उल्लेखनीय है कि कानपुर महानगर को जीका वायरस तेजी के साथ अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है. उत्तर प्रदेश में कानपुर पहला जिला था, जहां पर जीका वायरस का मरीज पाया गया था. इसके बाद हड़कंप मच गया था. इतना ही नहीं डब्ल्यूएचओ की टीम भी कानपुर पहुंची थी और वायरस कहां से आया इसका पता लगाने की कोशिश की थी.

कानपुर में फिर मिले जीका वायरस के 10 नए मामले
कानपुर में फिर मिले जीका वायरस के 10 नए मामले

इसके बाद लगातार मामले तेजी के साथ बढ़ते गए और यह आंकड़ा अब 89 पर आ गया है. सरकार भी जीका वायरस के बढ़ते हुए मामलों को लेकर काफी चिंतित है. जिले के आला अधिकारियों को सरकार द्वारा दिशा निर्देश भी भेजे जा रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा टीमें बनाकर और लोगों को चिन्हित कर इस वायरस को रोका जा सके.

जिला प्रशासन द्वारा लोगों से अपील की जा रही है कि रातों में अपने घरों में मच्छरदानी का प्रयोग करें ताकि मच्छरों से बच सकें. वहीं, दवाओं का छिड़काव भी नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा किया जा रहा है. इसके बावजूद जीका वायरस के मामले लगातार बढ़ता जा रहा है.

डेंगू से ज्यादा खतरनाक है जीका वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक जीका वायरस भी एडीज मच्छर से फैलता है किन्तु यह जीका वायरस डेंगू की तुलना में अधिक खतरनाक है.

यह जीका वायरस लार (Saliva) और मूत्र से निकले पदार्थ द्वारा किसी पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है, या संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले तरल पदार्थ का किसी साधारण व्यक्ति के संपर्क में आने से भी फैल सकता है.

विश्व स्वास्थ संगठन के मुताबिक जीका वायरस के संपर्क में आने वाले व्यक्ति के अंदर 3 से 14 दिनों के भीतर इस वायरस के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. यह वायरस गर्भवती महिलाओ के लिए अधिक खतरनाक होता है, क्योंकि यह भ्रूण में आसानी से पहुंच जाता है. इसके अलावा यह ब्लड प्रोडक्ट्स, अंग प्रत्यारोपण या सेक्सुअल कॉन्टैक्ट के जरिये भी तेजी से फैलता है.

पढ़ें : कानपुर में जीका वायरस के 13 नए मामले, स्वास्थ्य विभाग की उड़ी नींद

ये हैं लक्षण

  • सिर दर्द
  • बदन दर्द
  • जोड़ो का दर्द
  • बुखार
  • मांसपेशियों में दर्द
  • बेचैनी होना
  • इसके अलावा किशाेराें या वयस्कों में जीका वायरस का संक्रमण हो जाने पर उनमें न्यूरोपैथी, गुलियन-बेरी सिंड्रोम और मायलाइटिस जैसी तंत्रिका संबंधी समस्याएं देखने को मिल सकती है.

ये हैं बचाव

त्वचा के खुले हिस्साें पर 20% – 30% DEET या 20% पिकारिडीन वाले रेपेलेंट का उपयोग करें.

  • हल्के कलर के कपड़े पहनें.
  • बांह बंद वाले कपड़े पहनें.
  • यदि हो सके तो कपड़ों की बाहरी सतह पर प्रीमेथरिन का स्प्रे कर लें.
  • घर में पानी को न जमा होने दें.
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