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यूपी बोर्ड : पहली से 12वीं तक के बच्चों को संस्कृत पढ़ना होगा अनिवार्य - संस्कृत पढ़ना अनिवार्य यूपी

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि यूपी बोर्ड के कक्षा 1 से 12 तक के सभी छात्र-छात्राओं को अब संस्कृत पढ़ना अनिवार्य होगा. उम्मीद है कि अगले शैक्षिक सत्र से इसे लागू कर दिया जाएगा. इसे लेकर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र बातचीत की.

डॉ. वाचस्पति मिश्र
डॉ. वाचस्पति मिश्र
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Published : Jun 26, 2021, 10:58 PM IST

लखनऊ: यूपी बोर्ड के कक्षा 1 से 12 तक के सभी छात्र-छात्राओं को अब संस्कृत पढ़ना अनिवार्य होगा. नई शिक्षा नीति के तहत व्यवस्था लागू की जा रही है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने इसकी घोषणा की. उन्होंने बताया कि इसको लेकर सहमति बन गई है. उम्मीद है कि अगले शैक्षिक सत्र से इसे लागू कर दिया जाएगा. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान डॉ. वाचस्पति मिश्र ने प्रदेश में हो रहे कई बड़े बदलावों की बारे में जानकारी दी. पढ़िए प्रमुख अंश...

उत्तर प्रदेश में संस्कृत स्कूलों की स्थिति लगातार खराब हो रही है. स्कूल बंद हो रहे हैं. क्या कहना है ?

जवाब: संस्कृत स्कूलों की मौजूदा स्थिति पिछले वर्षों में हुई इसकी उपेक्षा के कारण है. 30 साल से शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाई. स्कूल बंद होने लगे हैं. इसको लेकर अब प्रयास शुरू किए गए हैं. जल्द ही यहां शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. ऐसे में पूरी उम्मीद है कि कुछ समय के बाद उनकी स्थितियों में सुधार देखने को मिलेगा.

जानकारी देते उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र.
संस्कृत विद्यालय के शिक्षकों की वेतन विसंगति के प्रश्नों को बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया था. इस पर क्या कहना है ?

जवाब: संस्कृत विद्यालय में कार्य कर रहे शिक्षकों की बदौलत थी. इस देव भाषा को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है. शिक्षकों की समस्या को लेकर भी सरकार लगातार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है. सक्षम स्तर पर इसको लेकर सहमति भी बन गई है. जल्दी ही इनकी समस्या का भी निवारण हो जाएगा.

युवाओं को संस्कृत से जोड़ने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

जवाब: संस्कृत में बदलाव के लिए काफी कदम उठाए गए हैं. सिलेबस में सुधार किया गया. योग, कर्मकांड, ज्योतिष और आयुर्वेद यह चार ऐसे क्षेत्र हैं. जिनमें संस्कृत पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की जरूरत भी है और यहां रोजगार की अपार संभावनाएं भी है. इस पर मुख्यमंत्री जी से भी बात हुई है. उन्होंने भी अपनी सहमति दी है. ऐसे में संस्कृत पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए इन चार क्षेत्रों में तो अपार संभावनाएं हैं. इसको लेकर आवश्यक बदलाव भी किए जा रहे हैं.

संस्कृत को पढ़ने और पढ़ाने के तरीके में क्या बदलाव होने जा रहे हैं?

जवाब: नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश के कम से कम यूपी बोर्ड में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राओं के लिए संस्कृत और भारतीय संस्कृति को अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाने की व्यवस्था की जा रही है. कक्षा 1 से 12 तक के सभी बच्चों के लिए यह व्यवस्था लागू होगी. इसको लेकर सक्षम स्तर पर सहमति बन गई है. आने वाले शैक्षिक सत्र से नई शिक्षा नीति के तहत इसे लागू भी किया जा सकता है. इसके अलावा संस्कृत पढ़ने और पढ़ाने वाले छात्रों व शिक्षकों को पूरा सम्मान मिलेगा. इसके लिए सरकार और शासन के स्तर पर व्यवस्थाएं की जा रही हैं.

इसे भी पढ़ें- वाराणसी : बीएचयू के छात्रों की मांग, ट्विटर की भाषा संस्कृत में भी हो

लखनऊ: यूपी बोर्ड के कक्षा 1 से 12 तक के सभी छात्र-छात्राओं को अब संस्कृत पढ़ना अनिवार्य होगा. नई शिक्षा नीति के तहत व्यवस्था लागू की जा रही है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने इसकी घोषणा की. उन्होंने बताया कि इसको लेकर सहमति बन गई है. उम्मीद है कि अगले शैक्षिक सत्र से इसे लागू कर दिया जाएगा. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान डॉ. वाचस्पति मिश्र ने प्रदेश में हो रहे कई बड़े बदलावों की बारे में जानकारी दी. पढ़िए प्रमुख अंश...

उत्तर प्रदेश में संस्कृत स्कूलों की स्थिति लगातार खराब हो रही है. स्कूल बंद हो रहे हैं. क्या कहना है ?

जवाब: संस्कृत स्कूलों की मौजूदा स्थिति पिछले वर्षों में हुई इसकी उपेक्षा के कारण है. 30 साल से शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाई. स्कूल बंद होने लगे हैं. इसको लेकर अब प्रयास शुरू किए गए हैं. जल्द ही यहां शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. ऐसे में पूरी उम्मीद है कि कुछ समय के बाद उनकी स्थितियों में सुधार देखने को मिलेगा.

जानकारी देते उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र.
संस्कृत विद्यालय के शिक्षकों की वेतन विसंगति के प्रश्नों को बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया था. इस पर क्या कहना है ?

जवाब: संस्कृत विद्यालय में कार्य कर रहे शिक्षकों की बदौलत थी. इस देव भाषा को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है. शिक्षकों की समस्या को लेकर भी सरकार लगातार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है. सक्षम स्तर पर इसको लेकर सहमति भी बन गई है. जल्दी ही इनकी समस्या का भी निवारण हो जाएगा.

युवाओं को संस्कृत से जोड़ने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

जवाब: संस्कृत में बदलाव के लिए काफी कदम उठाए गए हैं. सिलेबस में सुधार किया गया. योग, कर्मकांड, ज्योतिष और आयुर्वेद यह चार ऐसे क्षेत्र हैं. जिनमें संस्कृत पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की जरूरत भी है और यहां रोजगार की अपार संभावनाएं भी है. इस पर मुख्यमंत्री जी से भी बात हुई है. उन्होंने भी अपनी सहमति दी है. ऐसे में संस्कृत पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए इन चार क्षेत्रों में तो अपार संभावनाएं हैं. इसको लेकर आवश्यक बदलाव भी किए जा रहे हैं.

संस्कृत को पढ़ने और पढ़ाने के तरीके में क्या बदलाव होने जा रहे हैं?

जवाब: नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश के कम से कम यूपी बोर्ड में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राओं के लिए संस्कृत और भारतीय संस्कृति को अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाने की व्यवस्था की जा रही है. कक्षा 1 से 12 तक के सभी बच्चों के लिए यह व्यवस्था लागू होगी. इसको लेकर सक्षम स्तर पर सहमति बन गई है. आने वाले शैक्षिक सत्र से नई शिक्षा नीति के तहत इसे लागू भी किया जा सकता है. इसके अलावा संस्कृत पढ़ने और पढ़ाने वाले छात्रों व शिक्षकों को पूरा सम्मान मिलेगा. इसके लिए सरकार और शासन के स्तर पर व्यवस्थाएं की जा रही हैं.

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