नई दिल्ली : कांग्रेस ने रविवार को कहा कि वह एक वीडियो क्लिप को लेकर चुनाव आयोग से संपर्क कर सकती है जिसमें पीएम मोदी (PM Modi) कथित तौर पर हिमाचल प्रदेश भाजपा के एक असंतुष्ट पर 12 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से हटने का दबाव बना रहे हैं.
एआईसीसी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने कहा कि ' सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें पीएम मोदी को भाजपा के एक बागी नेता कृपाल परमार पर कांगड़ा की फतेहपुर सीट से निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ने का दबाव बनाते और भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करते सुना जा सकता है.'
सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं. यह साफ तौर पर भ्रष्ट चुनावी प्रथा नहीं है तो स्पष्ट रूप से चुनावी कदाचार तो है ही.' उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और अन्य जगहों पर शिकायत करने के माध्यम से हमारे पास जो भी उपाय उपलब्ध हैं, उनका प्रयोग कांग्रेस पार्टी द्वारा किया जाएगा.
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने उक्त वीडियो का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के पास समस्याग्रस्त प्राथमिकता सूची थी. सिंघवी ने कहा कि चुनाव प्रचार, शासन नहीं है, भाजपा सरकार और उसके मुख्य कार्यकारी का पसंदीदा काम है. देश ऑटोपायलट पर चल रहा है क्योंकि मुख्य पायलट डेरों की सवारी कर रहे है और चुनाव प्रचार कर रहे हैं. कांग्रेस ने दावा किया कि पीएम ये सब इसलिए कर रहे हैं क्योंकि भाजपा हिमाचल प्रदेश में हार रही है और उन्हें ये हार दिख रही है.
सिंघवी ने कहा कि 'विनाशकारी अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने और सुशासन सुनिश्चित करने के बजाय प्रधानमंत्री ने शनिवार को अमृतसर के ब्यास में राधा स्वामी सत्संग का दौरा किया और इसके प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से मुलाकात की, क्योंकि डेरा का हिमाचल प्रदेश में काफी प्रभाव है. इस तरह की हरकतों से हताशा और डर झलकता है. भाजपा को धर्म की याद तभी आती है जब वोट कम हो जाते हैं.'
उन्होंने कहा कि 'इस तरह की हरकतें और शब्द उनके डर, हताशा और असुरक्षा को दर्शाते हैं. हम यह फैसला देश के ऊपर छोड़ते हैं कि क्या प्रधानमंत्री को विधायक चुनाव में इस स्तर तक गिरना चाहिए. कांग्रेस नेता ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में समान नागरिक संहिता की घोषणा चुनावी हथकंडा है क्योंकि राज्य सरकार ने पिछले पांच वर्षों में इस मुद्दे पर कुछ नहीं किया.
कांग्रेस नेता के अनुसार, पीएम को गिरती अर्थव्यवस्था और महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए जो आम आदमी को परेशान कर रहे हैं. सिंघवी के मुताबिक 'संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) सितंबर में बढ़कर 7.41 प्रतिशत हो गया और ग्रामीण सीपीआई चिंताजनक रूप से पहले से ही उच्च शहरी सीपीआई से भी अधिक बढ़ गया है, ये ग्रामीण भारत में मुद्रास्फीति के थोड़ा अधिक प्रभाव को दर्शाता है.
इसके अलावा, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) इस महीने साल-दर-साल 8.6 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जिसका अर्थ है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि हो रही हैं, जिसका असर आम आदमी पर पड़ रहा है.
सितंबर में सीपीआई मुद्रास्फीति में वृद्धि मुख्य रूप से सब्जियों (18.05 प्रतिशत), मसालों (16.88 प्रतिशत), अनाज और उत्पादों (11.53 प्रतिशत) से प्रेरित है. उन्होंने कहा कि इस सितंबर में अनाज और उत्पादों के लिए मुद्रास्फीति के आंकड़े सितंबर 2013 के बाद से सबसे अधिक हैं. इसके अलावा, इस सप्ताह की शुरुआत में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में बेरोजगारी दर अक्टूबर में 7.77 प्रतिशत थी, जबकि सितंबर में यह चार साल के निचले स्तर 6.43 प्रतिशत पर थी.