दुर्घटना या किसी भी कारण से सिर या मस्तिष्क पर लगने वाली चोट कई बार बेहद गंभीर प्रभाव दे सकती हैं, इसलिए चोट चाहे गंभीर हो या सामान्य, उन्हे कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. सिर में या मस्तिष्क में चोट लगने के कारण होने वाले गंभीर खतरों, उनके पीड़ित के जीवन पर पड़ सकने वाले प्रभावों तथा हेड इंजूरी से बचाने में मददगार सावधानियों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 20 मार्च को दुनियाभर में वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे मनाया जाता है. World head injury awareness day
दुनियाभर के चिकित्सकों का कहना है सिर में खेलते-कूदते या अन्य शारीरिक गतिविधियों के कारण या किसी भी प्रकार की सड़क या अन्य दुर्घटना में सिर पर चोट लगना पीड़ित के लिए घातक हो सकता है. यहां तक की कई बार इस कारण से उसे ना सिर्फ जीवन भर विकलांगता का सामना करना पड़ सकता है बल्कि उसकी जान भी जा सकती है.
क्यों खतरनाक है सिर में चोट
दरअसल सिर में या मस्तिष्क में लगी किसी प्रकार की चोट को हेड इंजरी कहा जाता है. हेड इंजरी में छोटी-मोटी खरोंच से लेकर,सिर की हड्डी फ्रैक्चर होना, मस्तिष्क का कोई भाग क्षतिग्रस्त होना या चोट के कारण सिर के अंदरूनी हिस्सों में रक्तस्राव या सूजन आना शामिल होता है. गौरतलब है कि इस तरह की चोट के कारण कई बार पीड़ित के मस्तिष्क की तंत्रिकाओं और टिशूज को नुकसान पहुंच सकता है, जिसके कारण उसे गंभीर ब्रेन इंजरी हो सकती है. वहीं कई बार ऐसे में उसकी आंखों तथा देखने में मदद करने वाली नसों पर भी असर पड़ सकता है. जिससे कभी-कभी पीड़ित स्थाई या अस्थाई तौर पर दृष्टिहीन हो सकता है, अन्य तरह से विकलांग हो सकता है, अपना मानसिक संतुलन खो सकता है, उसके शरीर के अंग खराब हो सकते हैं या उनके कार्य करने की क्षमता पर असर पड़ सकता है, कई बार उसकी खड़े होने, बोलने और सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है तथा उसकी याददाश्त भी कमजोर हो सकती है या जा सकती है. इसके अलावा कई बार सिर में गंभीर चोट के चलते पीड़ित की जान भी चली जाती है.
सिर में चोट के कारण
आमतौर पर सिर या मस्तिष्क में लगने वाली चोटें दो प्रकार की मानी जाती हैं. पहली, जिसमें गिरने या किसी अन्य चीज के सिर से टकराने के कारण सिर में हल्की चोट लगती है लेकिन उसमें सिर के अंदर या बाहर खून नहीं निकलता है, तथा कोई घाव नहीं बनता है . और दूसरी, जिसमें किसी दुर्घटना, खेलकूद के दौरान या अन्य कारण से सिर में अंदरूनी चोट, खोपड़ी की हड्डी का टूटना व चटखना, मस्तिष्क में चोट लगना व उसे नुकसान पहुंचना, तथा उससे जुड़ी तंत्रिकाओं व नसों के क्षतिग्रस्त होने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. जिन्हें आमतौर पर हेमटोमा, हैमरेज, कन्क्यूजन, एडीमा, स्कल फ्रैक्चर आदि के नाम से जाना जाता है. ये अवस्थाएं आमतौर पर काफी गंभीर स्थिति का कारण बन सकती है. सिर में चोट लगने के सबसे ज्यादा मामले जिन कारणों के चलते सामने आते हैं उनमें खेलकुद के अलावा मोटर व वाहन-पैदल यात्री दुर्घटनाएं, गिरना, सामान्य हिंसा व घरेलू हिंसा और ज्यादा छोटे बच्चों में कई बार सिर के बल गिरने के अलावा उन्हे खेल-खेल में जोर से हिलाना आदि शामिल हैं.
वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे का महत्व
सरकारी आंकड़ों की माने तों देश में सड़क दुर्घटनाओं में हर साल लगभग 80,000 लोग मारे जाते हैं. जो दुनिया भर में होने वाली मौतों का लगभग 13% है. वहीं दुनिया भर में हर 4 मिनट में हेड इंजरी से एक मौत होती है. यह आंकड़ा भारत में हर 7 मिनट में एक मौत का है. गौरतलब है कि आमतौर पर लोग सामान्य रूप से गिरने, किसी चीज के टकराने और सिर में हल्की चोट लगने जैसी घटनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं. आमतौर पर लोगों को लगता है कि सिर या मस्तिष्क में वो ही चोटे गंभीर प्रभाव दिखाती है जो किसी बड़ी दुर्घटना के कारण लगती हैं. जबकि यह सही नहीं है. कई बार सिर में किसी बेहद संवेदनशील हिस्से पर लगी हल्की चोट, और यहां तक की सिर पीटने तक से भी सिर तथा मस्तिष्क को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. ऐसे में वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे आम लोगों में सिर में चोट से संबधित भ्रमों तथा उससे जुड़े तथ्यों को लेकर जागरूकता फैलाने का मौका देता है. जिससे वे किसी भी अवस्था में सिर में चोट को हल्के में ना लेते हुए तत्काल चिकित्सक से परामर्श, सिर की जांच तथा जरूरत पड़ने पर सही समय पर इलाज ले सकें जिससे समस्या को गंभीर होने से या उसके पार्श्वप्रभावों से बचा जा सके.
कैसे बचें हेड इंजरी से
हमारे रोजमर्रा के जीवन में बहुत सी सावधानियां या आदतें हैं जिन्हें अपनाकर किसी भी कारण से हेड इंजरी की आशंका तथा यहां तक की दुर्घटना होने की अवस्था में भी सिर में चोट लगने की आशंका को कम किया जा सकता है तथा चोट लगने के बाद भी उसके गंभीर प्रभावों से बचने कुछ हद तक कामयाबी पाई जा सकती है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- कार में चलते समय हमेशा सीट बेल्ट लगाएं. यदि गाड़ी में ज्यादा छोटे बच्चे सफर करते हों जो सीट बेल्ट की सुरक्षा नहीं ले पाते हों गाड़ी में बाल सुरक्षा सीट का उपयोग करें.
- स्कूटर, मोटरसाइकिल या कोई भी दोपहिया वाहन चलते समय हेलमेट पहने.
- कोई भी गाड़ी चलाते समय सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करें तथा रैश ड्राइविंग ना करें.
- घर में यदि बुजुर्ग हैं तो बाथरूम में तथा सीढ़ियों पर अच्छे प्रकाश तथा खड़े होते, बैठते या चलते समय जरूरत पड़ने पर पकड़ने के लिए किसी तरह के सपोर्ट की व्यवस्था करें.
- नशे में या ड्रग्स या शराब के प्रभाव में कभी भी ड्राइव ना करें.
- आपात परिस्थिति जैसे भूकंप या अन्य प्राकृतिक आपदा के लिए जरूरी सुरक्षा नियमों की जानकारी रखें तथा जरूरत पड़ने पर उनका पालन करें.
- सिर की चोट चाहे गंभीर हो या हल्की , उसे कभी हल्के में ना लें. विशेषतौर पर यदि हल्की चोट के बाद भी बेहोशी, भ्रम, या भटकाव का अनुभव हो तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें.
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