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VIDEO: गोबर के ऐसे खूबसूरत दीये आपने देखे नहीं होंगे, घर ले आइए

जिले में गोबर के दीये बनाकर यहां की महिलाएं अपनी किस्मत सवांर रही हैं. इन ईको फ्रेंडली दीयों के लिए प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों से भी इसकी मांग आ रही है. इसके अलावा महिलाएं बचे हुए गोबर चूर्ण और पत्तियों से ऑर्गेनिक खादी भी बना रही हैं.

जिले में बनाए जा रहे गोबर के दीये
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Published : Oct 25, 2019, 11:50 PM IST

सूरजपुर: इस बार दिवाली में एक खूबसूरत और राहत भरी पहल ये हुई कि लोग मिट्टी और गोबर के दीये खरीद रहे हैं. खरीदने के साथ ही साथ शासन और प्रशासन ने महिलाओं को सशक्त करने के लिए गोबर के दीये बनाने के लिए सुविधा उपलब्ध करा रहा है.

पैकेज.

जिले में गोबर के दीये बनाकर महिलाएं अपनी किस्मत सवांर रही हैं. एक समय ऐसा था कि इन महिलाओं के पास कोई काम नहीं था लेकिन आज गोबर की दीये बनाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं. साथ ही साथ आत्मनिर्भर हो रही हैं. इससे इन महिलाओं को 3 से 4 हजार तक इनकम हो जाती है.

हजार से ज्यादा दीयों का निर्माण
दीये बनाने वाली ट्रेनर ने बताया कि, यहां करीब 70 से 80 महिलाएं हैं, जो इन दीयों को बनाने का काम कर रहीं हैं. एक दिन में एक महिला सौ से ज्यादा दीयों का निर्माण कर लेती है. अब तक एक हजार दीयों का निर्माण किया जा चुका है और लगातार इसके लिए बाहर से आर्डर आ रहे हैं.

दूसरे राज्यों से भी आ रही मांग
इन ईको फ्रेंडली दीयों के लिए प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों से भी इसकी मांग आ रही है. इसके अलावा महिलाएं बचे हुए गोबर चूर्ण और पत्तियों से ऑर्गेनिक खादी भी बना रही हैं.

58 गौठानों में संचालित
कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा कि, 'मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के मुताबिक जिले के 58 गौठानों में गोबर के दीये के साथ ही खाद बनाने की मुहिम चलाई जा रही है. सभी जगह ये पहल सुचारु रुप से संचालित हो रही है.'

ये है दीये बनाने की विधि

  • इन दीयों को बनाने में गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स (मुल्तानी मिट्टी और गोंद) का उपयोग किया जाता है.
  • गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स को पानी में मिलाकर कड़ा मिश्रण बनाया जाता है.
  • मिश्रण तैयार हो जाने के बाद इसकी छोटी लोई बनाकर इसे दीया बनाने वाले विशेष सांचे में ढाल दिया जाता है.
  • सांचे से बने हुए दीये को बाहर निकालकर धूप में सुखा दिया जाता है.
  • दीयों के सूख जाने के बाद इनका रंग-रोगन कर इन्हें खूबसूरत ईको फ्रेंडली दीये का रूप दे दिया जाता है.

सूरजपुर: इस बार दिवाली में एक खूबसूरत और राहत भरी पहल ये हुई कि लोग मिट्टी और गोबर के दीये खरीद रहे हैं. खरीदने के साथ ही साथ शासन और प्रशासन ने महिलाओं को सशक्त करने के लिए गोबर के दीये बनाने के लिए सुविधा उपलब्ध करा रहा है.

पैकेज.

जिले में गोबर के दीये बनाकर महिलाएं अपनी किस्मत सवांर रही हैं. एक समय ऐसा था कि इन महिलाओं के पास कोई काम नहीं था लेकिन आज गोबर की दीये बनाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं. साथ ही साथ आत्मनिर्भर हो रही हैं. इससे इन महिलाओं को 3 से 4 हजार तक इनकम हो जाती है.

हजार से ज्यादा दीयों का निर्माण
दीये बनाने वाली ट्रेनर ने बताया कि, यहां करीब 70 से 80 महिलाएं हैं, जो इन दीयों को बनाने का काम कर रहीं हैं. एक दिन में एक महिला सौ से ज्यादा दीयों का निर्माण कर लेती है. अब तक एक हजार दीयों का निर्माण किया जा चुका है और लगातार इसके लिए बाहर से आर्डर आ रहे हैं.

दूसरे राज्यों से भी आ रही मांग
इन ईको फ्रेंडली दीयों के लिए प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों से भी इसकी मांग आ रही है. इसके अलावा महिलाएं बचे हुए गोबर चूर्ण और पत्तियों से ऑर्गेनिक खादी भी बना रही हैं.

58 गौठानों में संचालित
कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा कि, 'मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के मुताबिक जिले के 58 गौठानों में गोबर के दीये के साथ ही खाद बनाने की मुहिम चलाई जा रही है. सभी जगह ये पहल सुचारु रुप से संचालित हो रही है.'

ये है दीये बनाने की विधि

  • इन दीयों को बनाने में गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स (मुल्तानी मिट्टी और गोंद) का उपयोग किया जाता है.
  • गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स को पानी में मिलाकर कड़ा मिश्रण बनाया जाता है.
  • मिश्रण तैयार हो जाने के बाद इसकी छोटी लोई बनाकर इसे दीया बनाने वाले विशेष सांचे में ढाल दिया जाता है.
  • सांचे से बने हुए दीये को बाहर निकालकर धूप में सुखा दिया जाता है.
  • दीयों के सूख जाने के बाद इनका रंग-रोगन कर इन्हें खूबसूरत ईको फ्रेंडली दीये का रूप दे दिया जाता है.
Intro:गठान के गोबर से बने इको फ्रेंडली दिए आप भी अपने घर कर सकते हैं इन दिनों से रोशन


Body:सूरजपुर जिले में गोबर कीजिए बनाकर महिलाएं अपनी किस्मत सवार रही है एक समय ऐसा था कि इन महिलाओं के पास कोई काम नहीं था लेकिन आज गोबर की दिए बनाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति फिक्की है महिलाओं की इस अनोखी कलाकारी के जरिए वे आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं इसके अलावा भी गोबर के स्वामी सचिन गणेश की मूर्ति स्वास्तिक के निशान का निर्माण कर रही हैं जो काफी आकर्षक और मनमोहक है इंद्रियों की मदद से न केवल घर पर रोशनी कर सकते हैं बल्कि दोस्तों और फैमिली फ्रेंड्स को भी गिफ्ट कर सकते हैं महिलाओं ने बताया कि करीब ढाई किलो गोबर के पाउडर से 1 किलो प्रीमियम व गुण मिलाने के बाद गीली मिट्टी की तरस आने के बाद इसे हाथ से खूबसूरत आकाश दिया जाता है इसके बाद इसे 2 दिनों तक धूप में सुखाने के बाद अलग-अलग रंगों से सजाया जाता है इस इको फ्रेंडली होने के चलते राज्य के अन्य शहरों और अन्य राज्यों में भी इसकी मांग आ रही है इसके अलावा क्या महिलाएं बचे हुए गोबर चूर्ण और पत्तियों से ऑर्गेनिक खादी बना रही हैं सूरजपुर के आसपास इलाकों में बने गठान के गोबर इन इको फ्रेंडली दिए से अपने घर से साथ साथ अपने भविष्य को भी रोशन कर रही हैं इस इको फ्रेंडली गोबर से बने दिए को बनाकर अपनी किस्मत चमका रही हैं और महीने का लगभग 3 से ₹4000 इनकम कर रही हैं जो इनके परिवार के भविष्य के लिए एक अच्छी पहल है

बाईट - अनीता
बाईट - सुमित्रा
बाईट - राजकुमारी,,,,, ट्रेनर
बाईट - दीपक सोनी ,,,,,कलेक्टर सूरजपुर


Conclusion:
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