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सूरजपुर : सिस्टम का ऐसा सितम, यहां हर रोज मौत से लड़कर जीतते हैं जिंदगी की जंग

तेज बारिश के कारण करोड़ो का पुल बह गया. इसके बाद जैसे तैसे प्रशासन ने रपटा का निर्माण कराया जो बारिश के तेज बहाव में बह गया. मजबूर ग्रामीण नदी पार कर शहर जाने को मजबूर है.

नाव से नदी पार करते लोग
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Published : Jul 22, 2019, 9:25 PM IST

सूरजपुर : एक ओर राज्य सूखे की कगार पर है. वहीं दूसरी तरफ दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां लगातार हो रही बारिश ने गांवों को सबसे अलग कर दिया है. यहां के लोग हर रोज जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं और उसे जीत भी रहे हैं, लेकिन प्रशासन विकास की जंग में हर बार फेल हो रहा है.

नाव से नदी पार करते लोग

दरअसल, कुप्पा खर्रा समेत दर्जनों गांव पिछले दो साल से बारिश का दंश झेल रहा है. ओडगी ब्लॉक में चार साल पहले हुई तेज बारिश ने करोड़ों की लागत से बना कुप्पा पुल को बहा ले गई थी. इसके बाद से कुप्पा, लांजित खर्रा गांव समेत दर्जन भर गांव का संपर्क ही टूट गया है. इस कारण 11 ग्राम पंचायत के लगभग 20 हजार लोगों का संपर्क मुख्यालय से टूट गया है.

तेज बहाव में बहा रपटा पुल
शासन ने जैसे-तैसे रपटा पुल का निर्माण किया, लेकिन पानी के तेज बहाव को ये पुल भी झेल नहीं पाया और यह भी बह गया. इस पुल के गिरने के बाद से बूढ़े, बुजुर्ग, गर्भवती महिला समेत स्कूली बच्चों को नाव के सहारे महान नदी को पार कर रहे हैं.

फेल होता सब पढ़े सब बढ़े का नारा
इनकी समस्याओं को दूर करने के लिए पिछले चार साल से किसी भी जनप्रतिनिधि और अधिकारियों ने इनकी सुध नहीं ली. वहीं सरकार सब पढ़े सब बढ़े का नारा लेकर शिक्षा को बढ़ावा दे रही है. कई बच्चे ऐसे भी हैं, जो रोज जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. इन समस्याओं पर जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि इस साल भी पुल का कार्य शुरू होने की संभावनाए नहीं है, फिर भी किसी वैकल्पिक रास्ते को खोजने की बात उन्होंने कही है.

सूरजपुर : एक ओर राज्य सूखे की कगार पर है. वहीं दूसरी तरफ दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां लगातार हो रही बारिश ने गांवों को सबसे अलग कर दिया है. यहां के लोग हर रोज जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं और उसे जीत भी रहे हैं, लेकिन प्रशासन विकास की जंग में हर बार फेल हो रहा है.

नाव से नदी पार करते लोग

दरअसल, कुप्पा खर्रा समेत दर्जनों गांव पिछले दो साल से बारिश का दंश झेल रहा है. ओडगी ब्लॉक में चार साल पहले हुई तेज बारिश ने करोड़ों की लागत से बना कुप्पा पुल को बहा ले गई थी. इसके बाद से कुप्पा, लांजित खर्रा गांव समेत दर्जन भर गांव का संपर्क ही टूट गया है. इस कारण 11 ग्राम पंचायत के लगभग 20 हजार लोगों का संपर्क मुख्यालय से टूट गया है.

तेज बहाव में बहा रपटा पुल
शासन ने जैसे-तैसे रपटा पुल का निर्माण किया, लेकिन पानी के तेज बहाव को ये पुल भी झेल नहीं पाया और यह भी बह गया. इस पुल के गिरने के बाद से बूढ़े, बुजुर्ग, गर्भवती महिला समेत स्कूली बच्चों को नाव के सहारे महान नदी को पार कर रहे हैं.

फेल होता सब पढ़े सब बढ़े का नारा
इनकी समस्याओं को दूर करने के लिए पिछले चार साल से किसी भी जनप्रतिनिधि और अधिकारियों ने इनकी सुध नहीं ली. वहीं सरकार सब पढ़े सब बढ़े का नारा लेकर शिक्षा को बढ़ावा दे रही है. कई बच्चे ऐसे भी हैं, जो रोज जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. इन समस्याओं पर जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि इस साल भी पुल का कार्य शुरू होने की संभावनाए नहीं है, फिर भी किसी वैकल्पिक रास्ते को खोजने की बात उन्होंने कही है.

Intro:एंकर- सूरजपुर जिले का दुरस्थ ग्राम कहलाने वाला कुप्पा खर्रा समेत दर्जनो गांव पिछले दो साल से पहुंचविहिनता का दंश झेल रहा है,,,Body:दरअसल ओङगी ब्लाक मे चार साल पुर्व आए तेज बारिश ने करोङो कि लागत से बना कुप्पा पुल को ध्वस्थ कर दिया था,, जिसके बाद से कुप्पा ,लांजित खर्रा गांव समेत दर्जन भर गांव का संपर्क ही टुट गया ,,,जहां वैकल्पीक रपटा पुल तो प्रशासन द्वारा तैयार किया गया था जो अब बारीश के दिनो मे ढह चुका है और अब संपर्क टुटे गांव के ग्रामिण और स्कुली बच्चो को महान नदी के तेज बहाव मे जान जोखिम मे डाल नदी पार कर ब्लाक मुख्यालय आना पङ रहा है,,,पेश है एक रिपोर्ट,,,
नदी का तेज बहाव और उसमे नाव से नदी पार करते महिलायें,पुरुष और स्कूली बच्चे,यह नजारा सूरजपुर के खर्रा गांव में स्थित महान नदी का है,,,जहाँ रोजाना सैकड़ो लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर नदी पार करने को मजबूर हैं,,दरअसल लगभग चार साल पहले ढाई करोड़ की लागत से बना पुल बारिस में बह गया था,,,जिसके बाद ब्लॉक मुख्यालय से 11 ग्राम पंचायत के लगभग 20 हजार लोगों का संपर्क कट गया था,,,शासन ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एक रपटा पुल तैयार किया था जो गर्मी और ठंड के लिए तो ठिक था लेकिन बारिश मे पुल का नामो निशान मिट जाता है,,,वही अब नदी पर हजारो लोगो के लिए ब्लॉक मुख्यालय आने के लिए बस नाव ही एक माध्यम है,, जहां कई बार नाव दुर्घटना ग्रस्त भी हुआ है,,,हालांकि किसी को नुकसान नही पहुंचा,,,वही नदी पार दर्जन भर गांव मे चिकित्सा के अभाव से गर्भवती महिलाओ को भी परेशानीयो का सामना करना पङता है,,,,वही रोजाना स्कुली छात्र छात्राए भी जान जोखिम मे डालकर अपनी शिक्षा के लिए नदी पार करने को मजबुर है,,,लेकिन इनकी समस्याओ को दुर करने पिछले चार साल से किसी भी जनप्रतिनिधियो और शासन के अधिकारीयो के पास समय ही नही मिला,,,,, सब पढ़े सब बढे ,सरकार का यह नारा है लेकिन क्या अपनी जान जोखिम मे डालकर पढाई के लिए जद्दोजहद करने वाले इन छात्रो के लिए पढाई एक चुनौती नही है?,,,,जहां महान नदी पार करने के लिए मशक्कत और जान का खतरा होने के कारण कुप्पा गांव समेत दर्जन भर गांव के सैकङो छात्रो ने पढाई ही छोङ दिया ,,,वही जिला पंचायत सी.ई.ओ ने बताया कि इस साल भी पुल का कार्य शुरु होने कि संभावना नही है फिर भी कोई वैकल्पीक रास्ता खोजने कि बात करते नजर आए

Conclusion:आपने कहावत सुना होगा जिंदगी एक जंग है,,,,ओङगी ब्लाक के कुप्पा गांव समेत दर्जन भर गांव के ग्रामिणो के लिए वाकई जिंदगी एक जंग से कम नही है,,,अपनी जान को जोखिम मे डालकर नदी पार करने को मजबुर है,,,कई बार हादसे भी हो चुके है बावजुद इसके शासन प्रशासन इनकी सुध तक नही ले रहा,,,स्कुली बच्चो कि समस्याओ और गर्भवती महिलाओ के लिए चिकित्सीय अभाव कि परेशानी के लिए कब तक शासन प्रशासन अपनी जिम्मेदारी दिखाता है यह देखने वाली बात होगी,,,

बाइट -1-प्रविण गुर्जर,,,स्थानीय निवासी

बाइट -2-अश्वनी देवांगन,,,सी.ई.ओ. जिला पंचायत सूरजपुर


नोट - यह विजुअल फाइल विजुअल है लेकिन अभी भी स्थिति जस की तस है

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