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महामाया सहकारी शक्कर कारखाने में छापेमारी, सीजीएसटी टीम को नहीं मिली कोई गड़बड़ी - Maa Mahamaya Cooperative Sugar Factory Raid Case CGST team returned

सूरजपुर मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना छापेमारी मामले में सीजीएसटी और सेंट्रल एक्साइज की टीम को कोई गड़बड़ी नहीं मिली है.

CGST team did not find any error
शक्कर मिल में छापा
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Published : Feb 20, 2022, 3:46 PM IST

सूरजपुर: जिले के मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना में सीजीएसटी और सेंट्रल एक्साइज की 17 सदस्यीय टीम ने दबिश दी थी. जहां 17 फरवरी दोपहर एक बजे से टीम शक्कर कारखाने के कार्यालय और फैक्टरी में दस्तावेज खंगालने में जुटी थी. हालांकि टीम को कोई गड़बड़ी नहीं मिली. टीम जरूरी दस्तावेज लेकर वापस लौट गई है.

शक्कर कारखाने में छापा

जांच टीम शक्कर की बिक्री का रिकॉर्ड चेक कर रही थी. इसके साथ मोलासिस और ठेकेदारों से जुड़े कागजात भी खंगाल रही थी. जांच टीम ने जीएसटी से जुड़ी फाइलों को चेक किया. जिसमें जांच टीम को कोई गड़बड़ी नहीं दिखाई दी है.

यह भी पढ़ें: सूरजपुर के मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाने में छापेमारी का दूसरा दिन

GST और सेंट्रल एक्साइज की 35 घंटे चली जांच कार्रवाई

तकरीबन 35 घंटे तक चली कार्रवाई के बाद भी टीम को शक्कर फैक्ट्री में किसी गड़बड़ी की बात नजर नहीं आई. प्रबंधन का कहना है कि जून 2017 से 2020 के बीच पूर्व में तीन ठेकेदारों को जीएसटी का 51 लाख रुपये दिया गया था. लेकिन ठेकेदार ने शासन को जीएसटी जमा नहीं किया. सीजीएसटी टीम ने संबंधित दस्तावेजों को जब्त किया और उसके बाद वह लौट गई.

सूरजपुर: जिले के मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना में सीजीएसटी और सेंट्रल एक्साइज की 17 सदस्यीय टीम ने दबिश दी थी. जहां 17 फरवरी दोपहर एक बजे से टीम शक्कर कारखाने के कार्यालय और फैक्टरी में दस्तावेज खंगालने में जुटी थी. हालांकि टीम को कोई गड़बड़ी नहीं मिली. टीम जरूरी दस्तावेज लेकर वापस लौट गई है.

शक्कर कारखाने में छापा

जांच टीम शक्कर की बिक्री का रिकॉर्ड चेक कर रही थी. इसके साथ मोलासिस और ठेकेदारों से जुड़े कागजात भी खंगाल रही थी. जांच टीम ने जीएसटी से जुड़ी फाइलों को चेक किया. जिसमें जांच टीम को कोई गड़बड़ी नहीं दिखाई दी है.

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GST और सेंट्रल एक्साइज की 35 घंटे चली जांच कार्रवाई

तकरीबन 35 घंटे तक चली कार्रवाई के बाद भी टीम को शक्कर फैक्ट्री में किसी गड़बड़ी की बात नजर नहीं आई. प्रबंधन का कहना है कि जून 2017 से 2020 के बीच पूर्व में तीन ठेकेदारों को जीएसटी का 51 लाख रुपये दिया गया था. लेकिन ठेकेदार ने शासन को जीएसटी जमा नहीं किया. सीजीएसटी टीम ने संबंधित दस्तावेजों को जब्त किया और उसके बाद वह लौट गई.

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