सूरजपुर: पिछले साल जहां असमय बारिश की वजह से किसानों की धान की फसल अच्छी नहीं हुई थी. वहीं इस बार किस्मत से मानसून वक्त पर आया और बारिश भी बहुत अच्छी हुई. पानी और मौसम अनुकूल होने से किसान खुश तो थे, लेकिन उनकी उम्मीदों पर धान के हाइब्रिड बीज ने पानी फेर दिया है. करीब 75 फीसदी बीज अंकुरित नहीं हुए, इस दिक्कत ने अन्नदाताओं को परेशान कर दिया है. किसानों ने इन बीजों को लेने में हजारों रुपए खर्च कर दिए थे.
सही समय पर धान अंकुरित नहीं होने से सूरजपुर के भैयाथान इलाके के साथ ही 12 से ज्यादा गांव के किसान परेशान हैं. हालात ये हैं कि उनकी लागत राशि भी उन्हें मिल पाना मुश्किल है. पैसे और समय की बर्बादी तो हुई ही, इसके साथ ही मजदूरी भी गई और मेहनत भी.
75 प्रतिशत धान बीजों में नहीं हुआ अंकुरण
भैयाथान क्षेत्र के पोड़ी समेत कई गांव के किसानों ने निजी कंपनी से धान के बीच खरीदे. बारिश की शुरुआत के साथ ही किसान धान की बुआई में जुट गए, लेकिन बीज की क्वॉलिटी खराब निकल रही है. किसानों ने बताया कि अब तक मेहनत तो पूरी लग गई और लागत भी, लेकिन सिर्फ 25 प्रतिशत धान के बीज ही अंकुरित हुए हैं. बाकी के 75 प्रतिशत बीज में अंकुरण नहीं हुआ है.
निजी कंपनी ने झाड़ा पल्ला
किसानों ने बताया कि इस परेशानी की जानकारी उन्होंने धान बीज दुकानदार को दी, लेकिन उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए. दुकानदार कहते हैं कि जो बीज किसान लेकर गए हैं, उसे एजेंट को दिखाया जाएगा. वहीं एजेंट को बताने पर उसने भी ध्यान नहीं दिया. निजी कंपनी के गुणवत्ताहीन बीज के कारण अब किसानों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है.
'किसानों के साथ धोखाधड़ी'
किसानों का कहना है कि सरकारी बीज मिलने में लेटलतीफी की वजह से अच्छे और हाइब्रीड धान की पैदावार के लिए किसानों ने निजी कंपनियों से खरीदी की. लेकिन अब किसान फसल की पैदावार नहीं होने की वजह से काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि उनकी कोई सुनने वाला नहीं है. किसानों का कहना है कि गरीब किसानों पर क्या बीत रही है ये तो सिर्फ वही जानते हैं. एक बड़े वर्ग को इस परेशानी का अंदाजा भी नहीं है. किसानों का कहना है कि निजी कंपनी ने उनके साथ धोखाधड़ी की है.
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जिले के कृषि विभाग के उप संचालक ने बताया कि अभी तक किसानों की शिकायत नहीं आई है. मामले में जांच कर दुकानदारों पर कार्रवाई की जाएगी. अधिकारी ने कहा कि अगर कोई किसान परेशान हैं, तो वह कृषि विभाग में संपर्क कर अपनी परेशानी बताएं.
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राज्य सरकार किसान हितैशी सरकार होने का डंका बजाती है. नेता-मंत्री अपने भाषण में किसानों की समृद्धि के बारे में बोलना नहीं भूलते, लेकिन हकीकत में किसानों के माथे की शिकन उनका दुख बयान करने के लिए काफी है. किसानों ने इस संकट काल के समय में अपने बचाए हुए पैसों से कैसे भी कर नई फसल लगाने की सोची भी, तो ऐसी स्थित बन गई कि अब उनके पास खुद के लिए कोई रास्ता नहीं बचा है. ऐसे में प्रशासन बीज बेचने वाले दुकानदारों पर क्या कार्रवाई करता है, ये देखने वाली बात होगी.