सूरजपुर: एक ओर जहां प्रदेश सरकार गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का दावा कर रही है, वहीं जमीनी हकीकत इससे ठीक उलट दिखाई पड़ रही है. सूरजपुर जिला अस्पताल में डॉक्टर की मनमानी और डिलीवरी कराने के एवज में रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है. परिजनों ने जब रुपये जमा करने में असमर्थता जताई तो डॉक्टर ने जच्चा-बच्चा को डिस्चार्ज करने से ही मना कर दिया.
जिले के लैलूंगा गांव में रहने वाले दिनेश यादव ने 19 तारीख को अपनी पत्नी को डिलीवरी के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां महिला ने बेटे को जन्म दिया. दिनेश ने आरोप लगाया है कि डिलीवरी के तीन-चार दिन बाद जब उसने अपनी पत्नी को डिस्चार्ज करने को कहा तो डॉक्टर ने उससे कहा कि 'पहले 15 हजार रुपए जमा करो तभी तुम्हारी पत्नी को डिस्चार्ज किया जाएगा.
डॉक्टर ने दवाई देने से किया इंकार
दिनेश ने किसी तरह से 27 तारीख को अस्पताल में 4 हजार रुपए जमा कराए, जिसके बाद उसकी पत्नी को डिस्चार्ज तो कर दिया गया, लेकिन दवा के बदले दिनेश को एक पर्ची थमा दी गई, जिसमें महिला चिकित्सक ने नर्स को लिखा था कि सिस्टर छुट्टी दे दो दवाई कल दे देना. हद तो तब हो गई जब जिला अस्पताल ने उनके घर जाने के लिए एंबुलेंस तक का इंतजाम नहीं किया. लिहाजा जच्चा-बच्चा को प्राइवेट वाहन बुक कर घर ले जाया गया.
दिनेश का कहना है कि उसकी पत्नी और बच्चे की तबीयत थोड़ी खराब है और वह बिना पर्ची के दवा कैसे ले जाएगा. फिलहाल मीडिया के दखल के बाद CMHO ने मामले की जांच करने की बात कही है. वहीं महिला डॉक्टर ने ऐसी किसी बात से इनकार किया है. इस दौरान वे कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बचती रहीं.
जिला अस्पताल का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले डॉक्टर रश्मि कुमार के ऊपर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं लेकिन आज तक रश्मि कुमार के ऊपर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है. जिसका परिणाम आज फिर एक बार देखने को मिला है.
आरोपी पर होगी कड़ी कार्रवाई
CMHO ने भी इस बात को माना है कि डॉ रश्मि कुमार के ऊपर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन उन्होंने रिश्वत न लेने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया. वहीं CMHO का कहना है कि 'इस बार जांच में अगर रश्मि कुमार दोषी पाई जाती हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.