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republic day 2023 : सूरजपुर का गुमनाम शहीद बाबू परमानंद की कहानी - सूरजपुर का एक क्रांतिकारी

देश की आजादी के लिए सूरजपुर का एक क्रांतिकारी शहीद हो गया. लेकिन शहीद का दर्जा 80 साल बाद भी उसे नहीं मिल सका.शहीद की तीसरी पीढ़ी अपने पूर्वज को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए सिस्टम से लड़ाई लड़ते रही है.लेकिन अभी तक क्रांतिकारी बाबू परमानंद को शहीद का दर्जा नहीं मिल सका है.

unsung martyr of Surajpur
सूरजपुर का गुमनाम शहीद बाबू परमानंद
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Published : Jan 24, 2023, 11:08 PM IST

शहीद बाबू परमानंद की कहानी जो मांग रही इंसाफ

सूरजपुर: भारत देश को आजाद कराने के लिए लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया. ऐसा ही एक क्रांतिकारी थे. सूरजपुर के बाबू परमानन्द. जो 1936 में 15- 16 साल की उम्र में घर से पढ़ाई करने के नाम पर हरिद्वार चले गए.यहां बाबू परमानंद आर्य समाज के आंदोलन में शामिल हो गए. उन्होंने सन 1938 के हैदराबाद आर्य समाज प्रजामण्डल आंदोलन में शामिल होकर देश के लिए लड़ाई लड़ी. उसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. फिर उन्हें जेल में कई तरह की यातनाएं दी गई. जिसके बाद वह इस लड़ाई में शहीद हो गए.


दस्तावेजों से गायब है इस स्वतंत्रता सेनानी का नाम : बाबू परमानंद सन 1939 में देश के लिए शहीद हुए. उस दौरान उनकी मौत से लेकर डॉक्टर के पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत कई दस्तावेज आज भी मौजूद है. ऐसे में साल 1939 के दौरान शहीद बाबू परमानन्द के स्मारक और एक बागवानी के लिए सरगुजा स्टेट के राजा के द्वारा जमीन भी परिजनों को दी गई थी. लेकिन सन 1955 के दौरान शहीदों की सूची से बाबू परमानन्द का नाम हटा दिया गया. शहीद के नाम में दी गयी जमीन भी ले ली गयी. फिर मुफलिसी के दौर से गुजरते हुए पहले शहीद के पिता, फिर भाई और अब तीसरी पीढ़ी संघर्ष कर रही है. उनके भतीजे अपने पूर्वज को शहीद का दर्जा दिलाने की लड़ाई सरकार से लड़ रहे हैं.

शोध में शहीद पर लिखी गई किताब : सरगुजा के शोधकर्ता अजय चतुर्वेदी ने जब अपने शोध में बाबू परमानन्द की कहानी लिखी. तब सरगुजा वासियों को बाबू परमानन्द के बलिदान की जानकारी लगी. ऐसे में शोधकर्ता अजय चतुर्वेदी ने कहा कि '' शहीद होने का दर्जा अब बाबू परमानन्द को मिले. जिससे उनके परिजनों को उनके सम्मान का हक मिल सके. इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं.'' वहीं इस मामले की जांच कर रहे एसडीएम रवि सिंह ने बताया कि ''बाबू परमानन्द के दस्तावेजों के आधार पर जांच जारी है. जल्द शासन स्तर पर जांच के लिए भेज दिया जाएगा.''

ये भी पढ़ें- कबाड़ से जुगाड़ बनाकर छात्र ने किया कमाल

बहरहाल देश आजाद हुए 75 साल हो गए, लेकिन दस्तावेजों के आधार पर 18 साल के शहीद बाबू परमानन्द को शहीद का दर्जा कैसे मिलेगा .कब तक इनकी पीढ़ी आजाद देश मे भी सम्मान की लड़ाई लड़ने को मजबूर रहेंगे यह तो देखने वाली बात होगी.क्योंकि यदि देश के लिए मर मिटने वाले बाबू परमानंद को उनके बलिदान के लिए सम्मान नहीं मिला तो ये उनके परिवार ही नहीं बल्कि पूरे सरगुजा वासियों के लिए भी काफी दुख की बात होगी.

शहीद बाबू परमानंद की कहानी जो मांग रही इंसाफ

सूरजपुर: भारत देश को आजाद कराने के लिए लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया. ऐसा ही एक क्रांतिकारी थे. सूरजपुर के बाबू परमानन्द. जो 1936 में 15- 16 साल की उम्र में घर से पढ़ाई करने के नाम पर हरिद्वार चले गए.यहां बाबू परमानंद आर्य समाज के आंदोलन में शामिल हो गए. उन्होंने सन 1938 के हैदराबाद आर्य समाज प्रजामण्डल आंदोलन में शामिल होकर देश के लिए लड़ाई लड़ी. उसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. फिर उन्हें जेल में कई तरह की यातनाएं दी गई. जिसके बाद वह इस लड़ाई में शहीद हो गए.


दस्तावेजों से गायब है इस स्वतंत्रता सेनानी का नाम : बाबू परमानंद सन 1939 में देश के लिए शहीद हुए. उस दौरान उनकी मौत से लेकर डॉक्टर के पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत कई दस्तावेज आज भी मौजूद है. ऐसे में साल 1939 के दौरान शहीद बाबू परमानन्द के स्मारक और एक बागवानी के लिए सरगुजा स्टेट के राजा के द्वारा जमीन भी परिजनों को दी गई थी. लेकिन सन 1955 के दौरान शहीदों की सूची से बाबू परमानन्द का नाम हटा दिया गया. शहीद के नाम में दी गयी जमीन भी ले ली गयी. फिर मुफलिसी के दौर से गुजरते हुए पहले शहीद के पिता, फिर भाई और अब तीसरी पीढ़ी संघर्ष कर रही है. उनके भतीजे अपने पूर्वज को शहीद का दर्जा दिलाने की लड़ाई सरकार से लड़ रहे हैं.

शोध में शहीद पर लिखी गई किताब : सरगुजा के शोधकर्ता अजय चतुर्वेदी ने जब अपने शोध में बाबू परमानन्द की कहानी लिखी. तब सरगुजा वासियों को बाबू परमानन्द के बलिदान की जानकारी लगी. ऐसे में शोधकर्ता अजय चतुर्वेदी ने कहा कि '' शहीद होने का दर्जा अब बाबू परमानन्द को मिले. जिससे उनके परिजनों को उनके सम्मान का हक मिल सके. इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं.'' वहीं इस मामले की जांच कर रहे एसडीएम रवि सिंह ने बताया कि ''बाबू परमानन्द के दस्तावेजों के आधार पर जांच जारी है. जल्द शासन स्तर पर जांच के लिए भेज दिया जाएगा.''

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बहरहाल देश आजाद हुए 75 साल हो गए, लेकिन दस्तावेजों के आधार पर 18 साल के शहीद बाबू परमानन्द को शहीद का दर्जा कैसे मिलेगा .कब तक इनकी पीढ़ी आजाद देश मे भी सम्मान की लड़ाई लड़ने को मजबूर रहेंगे यह तो देखने वाली बात होगी.क्योंकि यदि देश के लिए मर मिटने वाले बाबू परमानंद को उनके बलिदान के लिए सम्मान नहीं मिला तो ये उनके परिवार ही नहीं बल्कि पूरे सरगुजा वासियों के लिए भी काफी दुख की बात होगी.

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