सूरजपुर: जिले के प्रतापपुर में एक महिला प्रिंसिपल को मध्याह्न भोजन का सूखा राशन खुद बांटने की जगह स्वीपर से बंटवाना महंगा पड़ गया. मामले को घोर लापरवाही मानते हुए सूरजपुर जिला शिक्षा अधिकारी ने उसे निलंबित कर दिया है. प्रदेश में लॉकडाउन को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूलों में मध्याह्न भोजन बन्द होने के कारण इसका सूखा राशन हर बच्चे के घर तक पहुंचाए जाने का फैसला लिया था और इसकी पूरी जवाबदेही स्कूलों के प्रधानपाठकों को दी थी.
प्रतापपुर विकासखंड के बंशीपुर स्थित प्राथमिक शाला धूमाडांड की प्रधानपाठक ने इस महत्वपूर्ण काम का जिम्मा स्कूल के स्वीपर को दे दिया. इसके साथ ही स्वीपर ने घर-घर जाकर राशन बांट भी दिया. वहीं प्रिंसिपल इस दौरान अपने घर पर ही रहीं, जबकि उन्हें खुद घर-घर जाकर वितरण कराना था. इसकी शिकायत पर बीईओ जनार्दन सिंह ने जांच कर जिला कार्यालय को प्रतिवेदन भेज दिया था, जहां से उन्हें निलंबित कर दिया गया है.
दूसरे स्कूल के प्रिंसिपल ने बांटी खराब दाल
इसी तरह प्राथमिक शाला बोझा के प्रिंसिपल रामप्रसाद मेहता को घुन लगी हुई दाल बांटना महंगा पड़ा और उनकी एक वेतन वृद्धि रोक दी गई है. मिली जानकारी के मुताबिक प्रिंसिपल ने अच्छी क्वॉलिटी की दाल की जगह घुन लगी हुई दाल बच्चों में बंटवा दी. इसकी जानकारी जब बीईओ प्रतापपुर को मिली, तो उन्होंने समूह के माध्यम से सबसे पहले बंटी हुई दाल वापस कराकर अच्छी राहर दाल को बंटवाया, इसके बाद मामले को जांच में लेकर प्रतिवेदन जिला कार्यालय को भेजा. जहां से प्रिंसिपल रामप्रसाद मेहता की एक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश जारी किया गया है.
जांच के बाद की जाएगी आगे की कार्रवाई
बता दें कि प्रतापपुर ब्लॉक में कई गांवों से घटिया और कम दाल देने की शिकायत सामने आई है, जिसकी उच्च स्तरीय जांच की जा रही है. बीईओ जनार्दन सिंह ने एक चर्चा के दौरान कहा कि शासन के निर्देश के अनुसार उच्च क्वॉलिटी का चावल और दाल बांटा जाना है और इसकी सम्पूर्ण जवाबदेही स्कूलों के हेडमास्टर्स की है, लेकिन जिस तरह की शिकायतें आ रही हैं, वो उचित नहीं है. फिलहाल सभी गांवों में जांच चल रही है. जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.