सूरजपुर: सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वे अपने नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराये, लेकिन छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में तमाम सरकारी दावे दम तोड़ते नजर आती है. सूरजपुर के पहुंचविहिन क्षेत्रों की स्थिति जिले के गठन के आठ साल बाद भी जस की तस बनी हुई है. आए दिन स्वास्थ्य सुविधाओं की 'मौत' की खबरें आती रहती है, फिर भी न प्रशासन ध्यान देता और न ही जनप्रतिनिधि.
ऐसी ही एक शर्मनाक तस्वीर बैजनपाठ गांव से सामने आई, जहां एक गर्भवती को एंबुलेंस नहीं मिलने और गांव तक सड़क नहीं होने के कारण 6 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल तक लाना पड़ा.
गांव की मितानिनों की मदद से छह किलोमिटर पैदल चलकर गर्भवती अस्पताल तक पहुंची. इस दौरान महिला दर्द से कराहती रही, उसने इसी हालत में पहाड़ों के पथरीले रास्तों को पार किया. मुश्किलें यहीं नहीं थमी, उसे इसी हालत में नाला भी पार करना पड़ा. इसे मजबूरी नहीं कहिए, सिस्टम की नाकामी कहिए, जिसने मानवीय संवेदनाओं का ही घला घोंट दिया. गर्भवती महिला असहनीय पीड़ा में, इस दशा को अपना नसीब मानकर चलती रही. पहाड़, चट्टानों और नाले को पार करने के बाद उसे एंबुलेंस की सुविधा मिल पाई.
सड़क का अभाव
दरअसल, मध्य प्रदेश से सटे पहाड़ों में बसा बैजनपाठ गांव, जहां अबतक सड़क नहीं बन पाई है. ऐसे में गांव की रमदशीया पंडो को प्रसव पीड़ा हुई और गांव वालों ने 102 और 108 एंबुलेंस को बुलाया, लेकिन सड़क के अभाव और मध्य प्रदेश का लोकेशन का हवाला देकर सभी ने पल्ला झाड़ लिया. जिसके बाद गांव की मितानिनें पैदल ही गर्भवती को लेकर निकल पड़ी. 6 किलोमीटर पैदल चलने के बाद किसी तरह वे महुली पहुंची, जहां से उन्हें बिहारपुर अस्पताल लाया गया. सूरजपुर सीएमएचओ का कहना है कि जल्द ही स्वास्थ्य सेवा पहुंच विहिन क्षेत्रों में शुरू की जाएगी. फिलहाल गर्भवति बिहारपुर अस्पताल में भर्ती है और स्वस्थ है.