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12 लाख रुपये की लागत से नदी किनारे बन रहे तालाब पर उठ रहे सवाल

सूरजपुर के सौतार ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत 12 लाख रुपये की लागत से तालाब का निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन यह तालाब निर्माण का कार्य बांकी नदी के किनारे कराया जा रहा है. जिसपर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि नदी किनारे तालाब बनाने से बारिश में तालाब नदी में मिल जाएगा.

pond being constructed along the river
नदी किनारे किया जा रहा तालाब का निर्माण
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Published : Jun 1, 2020, 4:28 PM IST

सूरजपुर: कोरोना संकट के समय में ग्रामीणों को रोजगार देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने मनरेगा का काम सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए कराये जाने के लिए निर्देशित किया था, लेकिन प्रतापपुर में मनरेगा अधिकारी-कर्मचारी और पंचायत कर्मियों की मनमानी से यह योजना उनके कमाई का जरिया बना हुआ है. जनपद पंचायत प्रतापपुर के सौतार में ऐसा ही एक मामला आया है, जहां बांकी नदी के किनारे रेत में 12 लाख रुपये की लागत से तालाब निर्माण कराया जा रहा है.

नदी किनारे किया जा रहा तालाब का निर्माण

प्रतापपुर विकासखंड के सौतार ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत 12 लाख रुपये की लागत से तालाब बनाया जा रहा है. लेकिन ग्रामीण इससे खुश नहीं हैं, उनका कहना है कि नदी में बनाया गया यह तालाब कुछ दिन भी नहीं टिकेगा और बारिश होते ही गायब हो जाएगा.

मनरेगा के तहत नए तालाब का निर्माण

जानकारी के मुताबिक सूरजपुर के प्रतापपुर विकासखंड के सौतार ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत 12 लाख रुपये की लागत से तालाब का निर्माण कराया जा रहा है. इसकी स्वीकृति इसी साल मिली थी, जिसके बाद जनपद के तकनीकी सहायक ने ले आउट बनाकर निर्माण कार्य शुरू करावाया था.

पढ़ें: पेंड्रा में मनरेगा के काम के दौरान ताक पर सोशल डिस्टेंसिंग, डैम की गुणवत्ता में भी कमी

पंचायत की निगरानी में तालाब बनकर तैयार हो रहा है, लेकिन यह अजीबो-गरीब तालाब बांकी जैसी विशालकाय नदी के किनारे बनाया जा रहा है. अब देखना यह होगा कि यह तालाब कब तक सुरक्षित रह पाता है. वहीं इस मामले में जब ETV भारत की टीम ने संबंधित अधिकारियों से जानकारी लेनी चाही तो अधिकारियों ने कुछ भी कहने से मना कर दिया.

सूरजपुर: कोरोना संकट के समय में ग्रामीणों को रोजगार देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने मनरेगा का काम सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए कराये जाने के लिए निर्देशित किया था, लेकिन प्रतापपुर में मनरेगा अधिकारी-कर्मचारी और पंचायत कर्मियों की मनमानी से यह योजना उनके कमाई का जरिया बना हुआ है. जनपद पंचायत प्रतापपुर के सौतार में ऐसा ही एक मामला आया है, जहां बांकी नदी के किनारे रेत में 12 लाख रुपये की लागत से तालाब निर्माण कराया जा रहा है.

नदी किनारे किया जा रहा तालाब का निर्माण

प्रतापपुर विकासखंड के सौतार ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत 12 लाख रुपये की लागत से तालाब बनाया जा रहा है. लेकिन ग्रामीण इससे खुश नहीं हैं, उनका कहना है कि नदी में बनाया गया यह तालाब कुछ दिन भी नहीं टिकेगा और बारिश होते ही गायब हो जाएगा.

मनरेगा के तहत नए तालाब का निर्माण

जानकारी के मुताबिक सूरजपुर के प्रतापपुर विकासखंड के सौतार ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत 12 लाख रुपये की लागत से तालाब का निर्माण कराया जा रहा है. इसकी स्वीकृति इसी साल मिली थी, जिसके बाद जनपद के तकनीकी सहायक ने ले आउट बनाकर निर्माण कार्य शुरू करावाया था.

पढ़ें: पेंड्रा में मनरेगा के काम के दौरान ताक पर सोशल डिस्टेंसिंग, डैम की गुणवत्ता में भी कमी

पंचायत की निगरानी में तालाब बनकर तैयार हो रहा है, लेकिन यह अजीबो-गरीब तालाब बांकी जैसी विशालकाय नदी के किनारे बनाया जा रहा है. अब देखना यह होगा कि यह तालाब कब तक सुरक्षित रह पाता है. वहीं इस मामले में जब ETV भारत की टीम ने संबंधित अधिकारियों से जानकारी लेनी चाही तो अधिकारियों ने कुछ भी कहने से मना कर दिया.

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