सूरजपुर: महंगाई की मार झेल रहे मिडिल क्लास फैमिली को और आर्थिक बोझ झेलना पड़ रहा है. जहां एक ओर लोग तीन साल से कोरोना से परेशान हैं. वहीं, अब स्कूल खुल गए हैं और बच्चे स्कूल जाने लगे हैं. कोरोना ने लोगों से रोजगार छीन लिया है, जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. इस बीच पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से ऑटो रिक्शा चालक और बस मालिकों ने स्कूली बच्चों के ट्रांसपोटिंग का किराया बढ़ा दिया है, जिससे अभिभावक परेशान (Surajpur Parents of school children upset over fare hike ) हैं.
स्कूल खुलते ही बढ़ा ऑटो बस-भाड़ा: दरअसल स्कूल खुलते ही छात्रों के परिवहन वाले ऑटो और बस संचालकों ने किराए में लगभग डेढ़ से 2 गुना तक बढ़ोतरी कर दी है. जिसकी सीधा मार आम लोगों पर पड़ रहा है. इसके पीछे ऑटो और बस संचालकों का तर्क यह है कि स्कूली बच्चों की संख्या में काफी कमी आई है. पेट्रोलियम के दाम में भारी बढ़ोतरी की वजह से उन्हें किराया बढ़ाना पड़ा है. इस बढ़ोतरी को लेकर छात्रों के परिजन काफी परेशान हैं. उनके अनुसार घर का बजट चलाना पहले ही मुश्किल था और अब बच्चों के ट्रांसपोर्टिंग किराए में बढ़ोतरी उनके लिए बड़ी मुसीबत साबित हो रही है. स्कूल प्रबंधन भी ऑटो और बस संचालकों के द्वारा किराया वृद्धि किए जाने का समर्थन कर रहे हैं.
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लोगों का बढ़ा बजट: इस विषय में प्रवेश गोयल ने बताया कि "बजट डेढ़ गुना हो गया है. ट्रांसपोर्टिंग के नाम पर 1000 की जगह 1500 सौ रुपया लिया जा रहा है. शिक्षा के सिस्टम में बड़ा बदलाव आया है. जिसे मेंटेन करना मिडल क्लास के लिए मुश्किल हो रहा है. जिसका कारण पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत है. वहीं, राजकुमार टैक्सी ड्राइवर का कहना है कि "डीजल और पेट्रोल की बढ़ती कीमत के कारण किराया बढ़ा दिया गया है.इस विषय में निजी स्कूल के प्रिंसिपल ने कोरोना को डीजल पेट्रोल की बढ़ती कीमत का कारण बताया है".